नई दिल्ली/सिमरन मोरया/- देश और दुनिया के सामने महंगाई की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही है. भारत में खाद्य महंगाई दर सबसे बड़ी मुसीबत बनी हुई है और इसके 2 महीने की राहत के बाद फिर से बढ़ने की आशंका है. इसकी सबसे बड़ी वजह मौसम है जिससे फसलों का उत्पादन घट रहा है. प्याज और बागवानी फसलों के उत्पादन में गिरावट और सब्जियों की कीमतों में उछाल के अनुमान ने सरकार और जनता की चिंता बढ़ा दी है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार खाद्य वस्तुएं अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक 30 फीसदी तक महंगी हुई हैं. इस वजह से आरबीआई के कंफर्ट जोन से रिटेल महंगाई दर ऊपर जा रही है.
कोरोना महामारी के बाद से देश और दुनिया में महंगाई का भयंकर अटैक हुआ है. यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद तो 2022 में अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी. लेकिन कच्चे तेल पर जरुरत से ज्यादा निर्भर भारत ने महंगाई में बढ़ोतरी को एक तय सीमा से ऊपर नहीं जाने दिया. हालांकि, लगातार 3 तिमाहियां ऐसी थीं जब ये RBI की 6 फीसदी की ऊपरी लिमिट के भी पार निकल गई थी. भारत में टैक्स वगैरह घटाकर क्रूड की महंगाई को तो काफी हद तक कंट्रोल कर लिया गया था, लेकिन भारत में खाने-पीने के सामान की महंगाई लगातार सरकार और आम लोगों की मुश्किल की वजह बनी हुई है. इस साल भी खुदरा महंगाई दर के 6 फीसदी से नीचे आने के बावजूद इससे जुड़े जोखिम कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं.
महंगाई में खाद्य वस्तुओं का 30 फीसदी योगदान
महंगाई में बढ़ोत्तरी की वजह खाद्य पदार्थों के दामों में उछाल है जिसने आम आदमी के रसोई के बजट को बिगाड़कर रख दिया है. इसकी सबसे बड़ी वजह सब्जियों के बढ़ते दाम हैं जो मौसम के बदलते मिजाज के बीच कम उत्पादकता के चलते काफी तेजी से बढ़े हैं. बीती सर्दियों में भी सब्जियों की कीमतों में कमी के सभी अनुमान धराशाई हो गए थे. अब तो बढ़ते तापमान के असर से आने वाले महीनों में सब्जियों की कीमतों में उछाल आने की आशंका जताई जा रही है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक खाने-पीने की चीजों का रिटेल महंगाई में योगदान पिछले साल अप्रैल के महीने से लेकर इस साल के मार्च महीने तक 30 फीसदी रहा है.
बागवानी फसलों के उत्पादन में गिरावट
लगातार बदलते मौसम की वजह से फसलों को काफी नुकसान हुआ है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस साल रबी सीजन में प्याज के उत्पादन में 20 फीसदी की कमी आ सकती है. प्याज का उत्पादन इस साल घटकर 190.5 लाख टन रहने का अनुमान है. इसके अलावा 2022-23 में बागवानी फसलों का उत्पादन 35.55 करोड़ टन था जो इस बार 35. 53 करोड़ टन रहने का अनुमान है. यानी बागवानी फसलों के उत्पादन में मामूली गिरावट आने की आशंका है.
महंगाई को ऊपर ले जाएगा हीटवेव का अनुमान
दिल्ली की बात करें तो यहां पर बीते दो महीने के दौरान आसपास के इलाकों से सब्जियों की आवक बढ़ने से दाम कम हुए हैं. लेकिन, आने वाले समय में बढ़ते तापमान के असर से उत्पादन में कमी आने के आसार हैं. हालांकि इसके बाद अगर मौसम विभाग का बेहतर मानसून का अनुमान सही निकला तो फिर सब्जियों की कीमतें कंट्रोल में आ सकती हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो सब्जियों और दालों के दामों ने आम जनता को परेशान किया हुआ है. इनकी वजह से ही खाने-पीने के सामानों की महंगाई पर दबाव बना हुआ है. लेकिन जिस तरह से अगले 2 महीने तक हीटवेव का असर रहेगा उससे सब्जियों के दाम में और बढ़ोतरी हो सकती है जो खाद्य पदार्थों की महंगाई समेत रिटेल इंफ्लेशन को RBI के कम्फर्ट जोन से ऊपर ले जा सकती है.
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