इजराइल के लिए हमास बना भस्मासुर

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
November 22, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

इजराइल के लिए हमास बना भस्मासुर

-तो खुद के खड़े किये हमास पर भरोसा करके गच्चा खा गए नेतन्याहू? -पीएम नेतन्याहू की कमजोर नीतियों को बताया जा रहा इजराइल की इस हालत का जिम्मेदार

तेल अवीव/शिव कुमार यादव/- इजरायल की कमजोर नीतियों के चलते फिलिस्तिन में खुद के खड़ा किया हमास ही अब इजराइल के लिए भस्मासुर बन गया है। हमास के इजराइल पर हमले के बाद अब इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिल नेतन्याहू की नीतियों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल इजरायल 50 साल के सबसे भयानक आतंकी हमले से जूझ रहा है। देश के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू ने चेतावनी दी है कि इस बार हमास को ऐसा सबक सिखाएंगे कि आने वाली पीढ़ि‍यां तक उसे याद रखेंगी। वहीं इजरायल के नीतिगत मामलों के जानकारों की मानें तो आज नेतन्‍याहू की कमजोर नीतियों की वजह से ही देश इस हालत में पहुंच गया है। शनिवार को फिलिस्‍तान के आतंकी संगठन हमास ने 5000 रॉकेट इजरायल पर बरसाए। आतंकी गाजा में दाखिल हो गए और उन्‍होंने जमकर उत्‍पात मचाया। इस हमले को देश की सुरक्षा एजेंसी मोसाद के लिए एक बड़ी असफलता करार दिया जा रहा है। दोनों तरफ अब तक 2500 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

हमास को मिला बढ़ावा
टाइम्‍स ऑफ इजरायल में छपे लेख के अनुसार कई सालों तक बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली कई सरकारों ने वह रास्‍ता अपनाया जिसने गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक के बीच ताकत को बांटकर रख दिया। साथ ही फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास को अपने घुटनों पर ला दिया। साथ ही कई ऐसे कदम उठाए गए जिससे हमास आतंकवादी समूह को बढ़ावा मिला। यह सब इसलिए हो रहा था ताकि अब्बास या फिलिस्तीनी प्राधिकरण की वेस्ट बैंक सरकार में किसी और को इस देश की स्थापना न करने दी जाए। लेकिन अब्बास को कमजोर करने की इसी कोशिश के बीच, हमास उस आतंकी संगठन में तब्‍दील हो गया जिसके साथ इजरायल ने मिस्र के जरिए अप्रत्यक्ष बातचीत की। साथ ही जिसे विदेशों से नकदी हासिल करने की मंजूरी भी मिल गई।

वर्क परमिट बने मुसीबत
इजरायल की तरफ से जब गाजा के मजदूरों को दिए जाने वाले वर्क परमिट की संख्या बढ़ाने के बारे में चर्चा हुई तो उसमें हमास को भी शामिल किया गया। इसका मकसद गाजा में पैसे का आना जारी रखना था ताकि परिवारों के लिए भोजन और बुनियादी उत्पादों को खरीदने की क्षमता बनी रहे। इजरायली अधिकारियों ने कहा कि ये परमिट शांति बनाए रखने में मदद करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के तौर पर थे। साल 2021 में नेतन्याहू की पांचवीं सरकार का कार्यकाल जब अंत की तरफ था तो गाजा में लोगों को करीब 2000 से 3000 वर्क परमिट जारी किए गए थे।

लगातार होता इजाफा
जब बेनेट-लैपिड सरकार आई तो यह संख्या बढ़कर 5000 हो गई। फिर इसमें तेजी से इजाफा हुआ और यह 10000 तक पहुंच गई। लेकिन जनवरी 2023 में जब नेतन्याहू सत्ता में लौटे तो इन्‍हीं वर्क परमिट की संख्या करीब 20000 तक पहुंच गई थी। साल 2014 के बाद से नेतन्याहू के नेतृत्व वाली सरकारों ने गाजा से आग लगाने वाले गुब्बारों और रॉकेट की वजह से होने वाली आगजनी पर भी आंखें मूंद ली थीं। सिर्फ इतना ही नहीं इस बीच गाजा पट्टी के हमास शासकों के साथ अपने नाजुक युद्धविराम को बनाए रखने के लिए इजरायल ने साल 2018 से अपनी क्रॉसिंग के जरिए कतर से आने वाले नकदी के लाखों सूटकेस को भी मंजूरी दे दी थी।

नेतन्‍याहू की बातों में अंतर
ताल की मानें तो ज्‍यादातर समय इजरायली नीति फिलिस्तीनी प्राधिकरण को एक बोझ और हमास को एक संपत्ति के रूप में मानने की थी। धुर दक्षिणपंथी एमके बेजेलेल स्मोट्रिच जो अब कट्टरपंथी सरकार में वित्त मंत्री और धार्मिक यहूदी पार्टी के नेता हैं वह खुद साल 2015 में ऐसा कह चुके हैं। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक नेतन्याहू ने साल 2018 की शुरुआत में लिकुड पार्टी की बैठक में इसी तरह की बात कही थी। उन्‍हें यह कहते हुए सुना गया था कि जो लोग फिलिस्तीन का विरोध करते हैं, उन्हें गाजा में धन के हस्तांतरण का समर्थन करना चाहिए। ऐसा करने से फिलिस्तीनी प्राधिकरण के बीच मतभेद बरकरार रखा जा सकता है। साथ ही गाजा में वेस्ट बैंक और हमास फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को रोक देंगे। नेतन्याहू सार्वजनिक तौर पर इस तरह के बयान नहीं देते हैं। लेकिन उनके शब्द उस नीति का हिस्‍सा हैं जो उन्होंने लागू की है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox