दुष्कर्म पर इलाहबाद हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी, आरोपी को दी अंतरिम राहत

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
January 15, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

दुष्कर्म पर इलाहबाद हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी, आरोपी को दी अंतरिम राहत

-विरोध नहीं करती है तो यह नहीं कहा जा सकता कि शारीरिक संबंध महिला की इच्छा के खिलाफ था

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/प्रयागराज/शिव कुमार यादव/- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के झूठे मामलों को देखते हुए एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि यदि शारीरिक संबंध का अनुभव रखने वाली विवाहिता विरोध नहीं करती है, तो यह नहीं कहा जा सकता है कि किसी पुरुष के साथ संबंध उसकी इच्छा के विरुद्ध है। कोर्ट ने अपनी इसी टिप्पणी के साथ 40 वर्षीय विवाहित महिला के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी व्यक्ति को अंतरिम राहत दे दी और उसके खिलाफ शुरू हुई आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगा दी।
               यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की खंडपीठ जौनपुर के रहने वाले याची राकेश यादव व दो अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। खंडपीठ आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर विचार कर रही थी। कोर्ट ने पाया कि आरोप लगाने वाली दो बच्चों की मां अपने पति को छोड़ दिया और याची के साथ विवाह करने से पहले लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगी।
               याची राकेश यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 504 के तहत और याची दो व तीन के खिलाफ 504 और 506 के तहत आरोप पत्र दाखिल हुआ था। जौनपुर अपर सिविल जज (जूनियर डिविजन) की अदालत ने संज्ञान लेते हुए समन जारी किया था। इस महिला की शादी वर्ष 2001 में हुई थी और उसके बाद उसके दो बच्चे हुए। पति के साथ उसके संबंध अच्छे नहीं थे। आरोप है कि इसका फायदा उठाकर याची ने उसके साथ रहने लगा।
                  उसने शादी का आश्वासन दिया। पीड़िता याची के साथ पांच महीने साथ रही। सह अभियुक्तों जो कि उसके भाई और पिता हैं, उन्होंने भी याची से उसकी शादी कराने का आश्वासन दिया था। याची की ओर से कहा गया कि महिला परिपक्व है और सभी स्थितियों से भलीभांति जानती है। उसने सहमति से संबंध बनाए। इस पर कोर्ट ने आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगा दी और पक्षकारों से छह हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox