नई दिल्ली/- सुल्तानपुरी कांड की बदनामी से बचने के लिए पुलिस कई थ्योरियों पर काम करती दिख रही है। लेकिन अपनी साख बचाने के लिए पुलिस द्वारा सुल्तानपुरी कांड में अभी तक जो भी जांच की गई है उसमें पुलिस की जांच सवालों के घेरे में ही बनी हुई है। केस में सही जांच कम लापरवाही व लीपापोती ज्यादा सामने आ रही है। संदिग्ध वारदात की थ्योरी पर एक रिटायर्ड सीनियर पुलिस अफसर ने जांच में लापरवाही और लीपापोती के पॉइंट्स उजागर किए हैं। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पुलिस की प्रैक्टिकल एप्रोच ये कहती है कि अगर कोई न्यूड लड़की का शव मिला है। उसके शरीर पर चोट के निशान हैं और कोई उस समय चश्मदीद नहीं मिला, तो पुलिस अफसर को खुद से संज्ञान लेकर सबसे पहले 302 में केस दर्ज करना चाहिए था। इसके बाद जो साक्ष्य और तथ्य सामने आते, उसी हिसाब से केस की जांच की जा सकती थी।

अफसर के मुताबिक, बेशक जांच कर रही पुलिस का दावा है कि कुछ ही घंटे में एक्सिडेंट करने वाली कार को ट्रेस कर लिया था। उसमें सवार पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था और उनसे हुई पूछताछ के आधार पर पुलिस ने एक्सिडेंट मान लिया था। लेकिन.. लड़की के न्यूड शव मिलने पर क्या आरोपी की बातों पर भरोसा किया जा सकता है। सवाल उठता है कि, कैसे पुलिस ने आरोपियों के बयान को पहली नजर में ठीक मान लिया। जब कि, उस समय तक न वेरिफिकेशन की, ना जस्टिफिकेशन हुआ। आरोपी के बयान को ही आधार मान कर आईपीसी सेक्शन नहीं जोड़े जा सकते। चूंकि लड़की न्यूड मिली है। इसलिए यह मामला गंभीर है। अगर न्यूड न मिली होती तो एक बार को एक्सिडेंट की थ्योरी पर भरोसा किया जा सकता था।
रिटायर्ड अफसर के मुताबिक, वारदात की थ्योरी साबित करने के लिए कहा ये जा रहा है कि कार सवार नशे में धुत थे, इसलिए उन्हें मालूम नहीं चला। यह दलील अपने आप में ही सवालों के घेरे में है। मान लीजिए, कार में सवार नशे में थे और उन्हें होश नहीं था तो फिर कार कहीं और क्यों नही टकराई। जितने सीसीटीवी दिखे हैं। उसमें कार सही तरीके से चलती दिख रही है, टर्न भी लेती है। वहीं पुलिस को देखकर दो बार आरोपियों ने कार को मोड़ा है। जाहिर है कार चलाने वाला पूरे होश हवास में था। वह दोनों तरफ से करीब 26 किलोमीटर तक बिना किसी से टकराए गया और आया। इसके बाद कार को लेकर घर भी चले गये। इससे साफ होता है कि वह होश में ही थे। नशे में धुत उसे कहा जाएगा। जो बेसुध कहीं पड़ा हो या उसे होश ही न हो कि वह कहां और कैसे हाल में है। इस केस में कार सवार आरोपियों को होश था।
तीन लेवल पर लापरवाही, लीपापोती पर कई नपेंगे
अधिकारी के अनुसार, इस केस की सही तरीके से जांच में लापरवाही के एक दो नहीं, बल्कि कई लेवल हैं। जाहिर है, उस रात एक्सिडेंट की जानकारी मिलने पर पहली लापरवाही लोकल पुलिस की थी। दूसरी उस रूट पर तैनात पीसीआर की है। तीसरी लापरवाही उन अफसरों की है जिन्होंने बिना वेरिफिकेशन और जस्टिफिकेशन के केस को हड़बड़ी में एक्सिडेंट बता दिया। पता लगाना जरूरी है कि क्या उस रात 13 किलोमीटर के रूट पर कोई नाका नहीं था। अगर था तो पुलिसकर्मी क्या कर रहे थे। चश्मदीदों के बार बार कहने पर पुलिसकर्मी एक्टिव क्यों नहीं हुए। अफसर के मुताबिक, इनमें कईयों पर कार्रवाई आने वाले समय में जरूर होगी।
सुल्तानपुरी कांड में तीन दिन बाद मृतक युवती की एक सहेली ने बयान दिया है। पुलिस के लिए यह सहेली घटना की अहम चश्मदीद है। सहेली ने उस रात की जो कहानी बताई, उसके हिसाब से वह एक कॉमन फ्रेंड के जरिए 10-15 दिन पहले ही मृतका से मिली थी। सहेली का कहना है कि अगर आरोपी हादसे के बाद गाड़ी से नीचे उतरकर उसे बाहर निकाल लेते तो शायद वो जिंदा होती, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उस रात पहले से तय कार्यक्रम के हिसाब से न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के लिए वह उसके साथ होटल पहुंची थी। सहेली का दावा है कि वहां पार्टी के दौरान पीड़िता से किसी बात को लेकर उसका झगड़ा हो गया था, जिसके फौरन बाद उसने होटल से जाने का मन बना लिया था। सहेली ने पुलिस को बताया कि उस रात सामने से आई गाड़ी ने उनकी स्कूटी को टक्कर मारी थी। कार सवार युवक शराब पीए हुए थे। टक्कर के बाद मृतका गाड़ी के नीचे आ गई, जबकि वह दूसरी तरफ जाकर गिरी। मृतका गाड़ी के नीचे फंस गई थी, जिस कारण वह बाहर नहीं निकल सकी। उसकी सहेली जोर से चीखती-चिल्लाती रही और कार चला रहा शख्स गाड़ी को आगे-पीछे करते हुए उसे वहां से भगा ले गया।
स्कूटी चलाने को लेकर दोस्तों के बीच हुई कहासुनी
एक सवाल के जवाब में मृतका की सहेली ने बताया कि होटल से निकलते समय स्कूटी चलाने को लेकर उन दोनों के बीच कहासुनी हो गई थी। अंत में मृतका ने ही स्कूटी ड्राइव की और वह खुद उसके पीछे बैठ गई। वह उसे घर छोड़ने के लिए जा रही थी, तभी यह हादसा हो गया। घटना में उसे भी थोड़ी-बहुत चोट आई। हादसे को देख वह बुरी तरह से घबरा गई थी और वहां से सीधे घर चली गई। यह बात उसने अपने परिजनों को बताई कि एक गाड़ी एक्सीडेंट कर उसकी सहेली अपने साथ घसीटते ले गई है। सहेली ने दावा किया कि खौफनाक हादसे को देख वह बुरी तरह घबरा गई थी। उसे लगा कि कार वाले जो उसे घसीटकर ले गए हैं, वे उसे निकाल देंगे, लेकिन अगले दिन खबरों से इसका पता चला। वह इस घटना के बाद बुरी तरह से घबरा गई थी। अंत में पुलिस उस तक पहुंच गई, जिसके बाद उसने घटना से जुड़ी सारी जानकारी साझा कर दी।
बता दें कि मामले में गृहमंत्राल के आदेश पर बनी जांच कमेटी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार, 13 किलोमीटर के रूट पर पांच पीसीआर वैन तैनात थीं। पांच से छह पीसीआर कॉल हुई। चश्मदीद दीपक से 20 से ज्यादा बार पुलिस अफसरों ने बात की थी। उसके बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए कुल नौ पीसीआर वैन को लगाया गया। आरोपियों को लोकल पुलिस भी खोज रही थी, लेकिन फिर भी दिल्ली पुलिस मौके से आरोपियों को नहीं पकड़ पाई।


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