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  • पुलिस से डरें नहीं, जागरूक रहें और सरकार संवैधानिक संस्थाओं को न्यायोचित अधिकारों से लैश करे- आरजेएस वेबिनार.

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    पुलिस से डरें नहीं, जागरूक रहें और सरकार संवैधानिक संस्थाओं को न्यायोचित अधिकारों से लैश करे- आरजेएस वेबिनार.

    -आजादी की अमृत गाथा में आरजेएस फैमिली ने राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त और गायक कवि प्रदीप को श्रद्धांजलि दी

    नई दिल्ली/- राम जानकी संस्थान (आरजेएस) द्वारा आयोजित आजादी की अमृत गाथा की 105वीं वर्चुअल बैठक विश्व मानवाधिकार दिवस 10 दिसंबर के उपलक्ष्य में हुई। आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने बताया कि सार्वभौमिक मानवाधिकार की घोषणा 10 दिसम्बर 1948 को हुई थी ।  
               जस्टिस फॉर द डिप्राइव्ड के सहयोग से आयोजित वेबिनार में राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त और कवि व गायक प्रदीप को पॉजिटिव स्पीकर्स इसहाक खान और गायक प्रशांत श्रीवास्तव ने आरजेएस फैमिली की ओर से श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें याद किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए ऐक्टिव मीडिया ग्रुप के संपादक सिराज अब्बासी ने कहा कि गायक प्रशांत के गाए गीत ऐ मेरे वतन के लोगों ने देशभक्ति का समां बांध दिया।
           मानवाधिकारों की चर्चा करते हुए बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के माननीय अध्यक्ष एडवोकेट मुरारी तिवारी ने मानवाधिकार की रक्षा के लिये मानवाधिकार आयोग को दंड देने की शक्ति देने की वकालत की। अभी मानवाधिकार आयोग सुनवाई करता है और दंड की सिफारिश भर करता है लेकिन दोषी को दंडित नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार आयोग बिना दांत का शेर है जो देखता है लेकिन काटता नहीं यानि दंड नहीं दे सकता है। दूसरी ओर विशिष्ट अतिथि और कीनोट स्पीकर मानव अधिकार की सामाजिक कार्यकर्ता और टीवी पैनलिस्ट शबनम खान ने कहा कि पुलिस से डरें नहीं, कानूनी जानकारी रखें और पुलिस पकड़ने आए तो सवाल करें और अपने अधिकारों को जानें। कुछ पुलिस वाले और अधिकारियों को जनता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखने से आधी समस्या का शुरू में ही समाधान हो जाता है।विशिष्ट अतिथि इंडियन ह्यूमन राइट्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष अक्षय कुमार मुनि ने कहा कि जाति, लिंग, रंग, नस्ल, क्षेत्र देखकर भेदभाव करना  मानवाधिकारों का उल्लंघन है। नैतिकता में छुपी है समानता की भावना और महापुरुषों का सम्मान।
               एडवोकेट सुदीप साहू ने वेबीनार में बोलते हुए कहा कि इस वर्ष की थीम, डिग्निटी, फ्रीडम, जस्टिस फॉर आल है। मानवाधिकार आयोग में जब तक लिखित शिकायत नहीं होती कोई कार्रवाई नहीं होती है। पीड़ित को लिखित शिकायत डाक, ईमेल के माध्यम से भेजी जा सकती है। पांच करोड़ मुकदमे भारत में विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। यह भी मानवाधिकार का उल्लंघन है। समय से जो न्याय होता है वही ठीक है। साधक ओमप्रकाश  झुनझुनवाला जी ने कहा कि मानवाधिकार दिवस पर प्रेम से जुड़कर हम एक दूसरे के अधिकारों की रक्षा पर बल दिया। उन्होने कहा कि सकारात्मक विचार ही हमें दूसरों के अधिकारों और कर्तव्यों की रक्षा करने में मदद करते हैं। श्री मन्ना ने कहा कि अगले रविवार 18 दिसंबर 2022 को आजादी की अमृत गाथा का अगला वेबिनार रैना इन्फोटेक, राजेन्द्र नगर पटना बिहार के सहयोग से रैना इन्फोटेक परिसर में फिजिकल व वर्चुअल होगा। वेबिनार में डा नरेंद्र टटेसर, डा मुन्नी कुमारी, दिलीप वर्मा, आशीष रंजन, प्रीति राज और मयंक राज आदि शामिल हुए।

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