नई दिल्ली/- इलाज के बावजूद वायरल हेपेटाइटिस पूरी दुनिया में टीबी के बाद दूसरी सबसे ज्यादा होने वाली संक्रामक बीमारी है। इसका सबसे बड़ा कारण जानकारी का अभाव है। दुनियाभर में वायरल हेपेटाइटिस से संक्रमित 10 में से 9 लोगों को इस बात की खबर ही नहीं है कि वो एक गंभीर इंफेक्शन से पीड़ित हैं। ऐसा इंफेक्शन जिसका अगर समय पर पता न चले और इलाज न हो तो जानलेवा साबित हो सकता है। वायरल हेपेटाइटिस के इसी खतरे को समझते हुए लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से दिल्ली के बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल ने आज एक वॉकथॉन का सफल आयोजन किया।
इस वॉकथॉन को बीएलके-मैक्स के डॉक्टरों की टीम ने लीड किया जिन्हें अस्पताल के स्टाफ ने सपोर्ट किया। यहां इंस्टिट्यूट फॉर डाइजेस्टिव एंड लिवर डिसीज के चेयरमैन और एचओडी डॉ. अजय कुमार, एचपीबी सर्जरी एंड लिवर ट्रांसप्लांटेशन के सीनियर डायरेक्टर एंड एचओडी डॉ. अभिदीप चौधरी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉ. मानव माधवन की टीम ने इस वॉकथॉन को लीड किया और साथ में अन्य डॉक्टर्स, हॉस्पिटल स्टाफ व लोकल सिटिजंस समेत 250 सहभागियों ने इसमें हिस्सा लिया। वॉक ए माइल शीर्षक के बैनर तले इस वॉकथॉन को हरी झंडी दिखाई गई जो बीएलके मैक्स अस्पताल से सुबह 6 बजे शुरू हुई और करीब 5 किलोमीटर का रूट तय करने के बाद सुबह 9 बजे अस्पताल के प्रांगण में इस वॉकथॉन का समापन हुआ। इस दौरान पूरे रूट पर अलग-अलग किस्म की एक्टिविटीज की गईं और लोगों को वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जागरुक किया गया।
वॉकथॉन के बाद एक सत्र के जरिए डॉक्टर्स ने अपनी बात भी रखी और हेपेटाइटिस से बचाव और इसके एडवांस ट्रीटमेंट मेथड्स की भी जानकारी दी। पूरे सत्र में डॉक्टर्स की तरफ से इस बात पर जोर दिया गया कि कैसे अवेयरनेस और हेल्दी लाइफस्टाइल के जरिए हेपेटाइटिस से बचाव किया जा सकता है। बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में इंस्टिट्यूट फॉर डायजेस्टिव एंड लिवर डिसीज के चेयरमैन और एचओडी डॉ. अजय कुमार ने इस मौके पर कहा, ये समझते हैं कि हेपेटाइटिस वायरस कैसे शरीर में जाता है और कैसे इसके इंफेक्शन से बचा जा सकता है।
हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई दूषित खाने या पानी के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है यानी ये संक्रमण फैको-ओरल ट्रांसमिशन के जरिए फैलता है। साफ-सफाई का ध्यान रखकर इस संक्रमण से बचा जा सकता है हालांकि, एहतियात के तौर पर हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए वैक्सीनेशन का भी इस्तेमाल किया जाता है। वैसे तो हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई के बहुत कम मरीजों की गंभीर स्थिति होती है जिन्हें आईसीयू में एडमिट करना पड़ता है लेकिन कुछ केस में लिवर ट्रांसप्लांट की नौबत भी आ जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के कारण हर साल 14 लाख लोगों को जान गंवानी पड़ती है। एचआईवी से 9 गुना ज्यादा लोग इन वायरस से संक्रमित हैं। ये वायरस सीरियल किलर की तरह है और टीबी के बाद दूसरे नंबर पर इनसे सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। वायरल हेपेटाइटिस के कारण कुल जितनी मौतें होते हैं उनमें 96 फीसदी वो केस होते हैं जो हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी से इंफेक्टेड होते हैं। यानी इन दोनों वायरस का मॉर्टेलिटी रेट बहुत हाई है। हेपेटाइटिस एक चुनौती बनता जा रहा है। इस साल वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे की थीम श्ब्रिंगिंग हेपेटाइटिस केयर क्लोजर टू यूश् रखी गई है। डा. अभिदीप चौधरी ने बताया, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के इंफेक्शन से क्रोनिक बीमारियां भी हो जाती हैं। इनके कारण लिवर की बीमारी, स्रोसिस और लिवर कैंसर होने का भी खतरा रहता है। ये इंफेक्शन दवाइयों से आसानी से रोके जा सकते हैं या इन्हें पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा इस दशक की एक बड़ी खोज ये है कि हेपेटाइटिस सी में ड्रग थेरेपी पूरी तरह सक्सेसफुल है। हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए रिसर्च अभी चल रही है, फिलहाल इसके लिए जो एंटी-वायरल दवाइयां हैं वो सिर्फ वायरस के प्रसार को रोक सकती हैं। भारत में स्रोसिस होने का दूसरा सबसे कारण हेपेटाइटिस बी है। इसके अलावा लिवर कैंसर का भी ये एक बड़ा कारण है, करीब 40 फीसदी लिवर कैंसर के पेशंट हेपेटाइटिस बी से संबंधित होते हैं। यही वजह है कि हेपेटाइटिस बी से स्रोसिस और लिवर कैंसर होने का भी खतरा रहता है।
हेपेटाइटिस को ठीक करने के लिए जितनी जरूरी मेडिसिन हैं उससे कहीं ज्यादा लाइफस्टाइल भी है। डॉ.मानव वाधवन ने इस बारे में बताया, इस इंफेक्शन से बचने के लिए रुटीन लाइफ को सुधारने की भी बेहद आवश्यकता है। शराब पीना, मोटापा, डायबिटीज जैसे वो कारण हैं जो हेपेटाइटिस को पैदा करते हैं, इसलिए इनसे बचने की जरूरत है। क्रोनिक हेपेटाइटिस के कारण हेपाटोसेल्यूयर कैंसर होने की आशंका रहती है, ऐसे में बीमारी या किसी अनहोनी से बचाव के लिए ये जरूरी है कि मरीज लगातार डॉक्टर से संपर्क में रहे। दुनियाभर में वायरल हेपेटाइटिस के साथ जी रहे 290 मिलियन लोगों को चेकअप कराने और इलाज लेने की जरूरत है ताकि इस संक्रमण से बचा जा सके और सुरक्षित जिंदगी गुजारी जा सके। हेपेटाइटिस से बचाव के लिए टेस्टिंग बढ़ाने, ट्रीटमेंट और वैक्सीनेशन की जरूरत है। हेपेटाइटिस के इन्हीं घातक नतीजों को ध्यान में रखते हुए बीएलके अस्पताल ने वॉकथॉन का आयोजन किया ताकि इसके जरिए वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे 2022 के मौके पर लोगों को हेपेटाइटिस के बारे में अवेयर किया जा सके।


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