
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- पाकिस्तान को अफ़ग़ानिस्तान से अलग करने वाली सीमा को डूरंड लाइन कहा जाता है. लेकिन अफ़ग़ानिस्तान इस सीमा रेखा को स्वीकार नहीं करता है। पाकिस्तान इसे डूरंड लाइन न कह कर, अंतरराष्ट्रीय सीमा कहता है। उनका कहना है कि इस बॉर्डर को अंतरराष्ट्रीय मान्यता हासिल है। अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच खींची डूरंड लाइन पर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के आसार अब साफ़ नज़र आ रहे हैं। पिछले कुछ महीनों और हफ़्तों में दोनों देशों के बीच सरहद पर, पाकिस्तान द्वारा बिछाई गई कंटीली बाड़ को तालिबान लड़ाकों ने कई जगहों से उखाड़ फेंका है और आपसी झड़प की खबरें भी सामने आ रही है। दरअसल अंग्रेज़ों के शासन के दौरान खींची गई अफ़ग़ानिस्तान और ब्रिटिश इंडिया के बीच इस सीमा-रेखा को अफगानिस्तान स्वीकार नहीं करता है। डूरंड लाइन के अस्तित्व में आने के बाद काबुल पर हुकूमत करने वाली हर सरकार ने इस लाइन को मंज़ूर करने इनकार किया है।
यहां बता दें कि ब्रिटिश सरकार ने तत्कालीन भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों पर नियंत्रण मज़बूत करने के लिए 1893 में अफ़ग़ानिस्तान के साथ 2640 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा खींची थी। ये समझौता ब्रिटिश इंडिया के तत्कालीन विदेश सचिव सर मॉर्टिमर डूरंड और अमीर अब्दुर रहमान ख़ान के बीच काबुल में हुआ था. लेकिन अफ़ग़ानिस्तान पर जो चाहे राज करे, डूरंड लाइन पर सबकी सहमति नहीं है. कोई अफ़ग़ान इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं मानता। साल 1923 में किंग अमानुल्ला से लेकर मौजूदा हुक़ूमत तक डूरंड लाइन के बारे में धारणा यही है।. 1947 में पाकिस्तान के जन्म के बाद कुछ अफ़ग़ान शासकों ने डूरंड समझौते की वैधता पर ही सवाल उठाए।
इन घटनाओं पर पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज़ पब्लिक रिलेशसं के महानिदेशक मेजर जनरल बाबर इफ़्तिख़ार से बाड़ उखाड़ने की घटनाओं पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि “बाड़ को उखाड़ने की घटनाएं काफ़ी स्थानीय मुद्दे हैं और पाकिस्तान की सरकार अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार के संपर्क में है। हम दोनों के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं और हम एक दूसरे से बातचीत करते रहते हैं। सीमा पर बाड़ लगाने का काम जारी है और भविष्य में भी जारी रहेगा। लेकिन बुधवार को ही तालिबान हुकूमत के एक कमांडर सनाउल्लाह संगीन ने टोलो न्यूज़ को बताया है कि उनकी सरकार पाकिस्तान को बाड़ का काम जारी नहीं रखने देगी।
मेजर जनरल इफ़्तिख़ार ने कहा, “पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान की सरहद पर बाड़ की आवश्यकता है ताकि व्यापार, बॉर्डर क्रॉसिंग और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को रेगुलेट किया जा सके। इस बाड़ का उद्देश्य लोगों को बांटना नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा करना है। उन्होंने कहा कि इस बाड़ को लगाने में ’शहीदों का ख़ून’ बहा है। पाकिस्तान जनरल ने स्वीकार किया है देश की पश्चिमी सरहद पर स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। उन्होंने बताया कि पाक-अफ़ग़ान सरहद पर बाड़ का काम 94 फ़ीसदी पूरा हो गया है और पाक-ईरान की सीमा पर भी ऐसे ही बाड़ बिछाई जा रही है, जिसका 71 फ़ीसदी काम पूरा हो गया है। पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच सरहद पर 1200 से अधिक पाकिस्तानी बॉर्डर पोस्ट हैं. जबकि अफ़ग़ानिस्तान ने इस बॉर्डर पर सिर्फ़ 377 पोस्ट ही बनाए हैं। लगभग सात से आठ किलोमीटर के फ़ासले पर कोई न कोई बॉर्डर पोस्ट है।
उधर तालिबान भी इस विषय पर पीछे हटने को तैयार नहीं है। काबुल में बैठे वरिष्ठ नेता भले ही इस मुद्दे पर साफ़गोई से बच रहे हों लेकिन स्थानीय कमांडर और लड़ाके बाड़ को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं दिख रहे है। बुधवार को अफ़ग़ानिस्तान के लोकप्रिय टीवी न्यूज़ चैनल टोलो न्यूज़ को मौलवी सनाउल्लाह संगीन नाम के एक वरिष्ठ कमांडर ने कहा है कि अब वे किसी भी तरीके से बाड़ को लगाने की अनुमति नहीं देंगे। मौलवी संगीन ने टोलो न्यूज़ को बताया, “पाकिस्तान ने पहले जो कुछ किया वो किया पर अब हम इसकी इजाज़त नहीं देंगे। अब कोई बाड़ नहीं लगने दी जाएगी।“
कुछ अफ़ग़ान मीडिया संस्थानों में ये ख़बर भी चल रही है कि तालिबान सरकार डूरंड लाइन पर 30 नए बॉर्डर पोस्ट बना रही है. लेकिन पाकिस्तान ने भी साफ़ कहा है कि वो अपनी पश्चिमी सरहद पर बाड़ लगाने की प्रक्रिया बददस्तूर जारी रखेगा। दोनों तरफ़ से परस्पर विरोधी बयानों से साफ है कि ये है कि मद्दा आने वाले समय में पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच संबंधों की मज़बूती को परखेगा।
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