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    केविके उजवा ने दरियापुर में किया मूंग की फसल पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन

    -ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल पर भारत सरकार की परियोजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत किया गया आयोजन

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/अलीपुर/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- भारत सरकार की परियोजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत कृषि विज्ञान केंद्र उजवा द्वारा अलीपुर मंडल के दरियापुर गांव में ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल पर प्रेक्षत्र दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्र के अध्यक्ष डा. पी के गुप्ता ने उपस्थित किसानो व अतिथियों का स्वागत किया।
                             प्रक्षेत्र दिवस पर उन्होने किसानों को दिल्ली एवं देशार में दलहनी फसलों के क्षेत्रफल, उत्पादन एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के बारे में अवगत करवाया। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र दिल्ली के द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के क्लस्टर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के अंतर्गत दिल्ली देहात के विभिन्न गांव दरियापुर, नांगल ठकरान, तिगिपुर एवं पल्ला आदि में किसानों के 50 प्रक्षेत्रों (20 हेक्टर) मूंग की उन्नत किस्म एम. एच.-421 का प्रदर्शन लगवाये, जिसमें किसानों को मूंग की उन्नत किस्म के बीज के साथ-साथ बीज उपचार के लिए राइजोबियम एवं फाॅस्फोरस धुलनशील बैक्टीरिया, टाªइकोडर्मा व सल्फर का वितरण किया गया। डा. पी के गुप्ता ने बताया कि सभी किसान भाईयों को मूंग की फसल से प्राप्त बीज को सभी किसानों को वितरण करें ताकि मूंग के क्षत्र में बढ़ावा हो सके। इसी क्रम में डा. समर पाल सिंह विशेषज्ञ (शस्य विज्ञान) ने बताया कि मू ंग की किस्म एम. एच.-421 चैधरी चरण सिंह हिसार कृषि विश्वविधालय, हिसार (हरियाणा) के द्वारा विकसित कि गई है। डा. समर पाल सिंह ने कहा कि दिल्ली क्षैत्र में धान व गेहूँ की विस्तृत खेती की जाती है। गेहूँ के कटाई के बाद किसान भाई मू ंग की किस्म एम. एच.-421 बुवाई करें जो कि 60 दिनों के अन्दर एक साथ पक जाती है एवं पीत पित्तावर्ण रोग रोधी है एवं औसत उपज 10 से 12 क्विंटल है। जिससे किसान भाईयों का ेअतिरिक्त आय व देश में दलहनी फसलों का अच्छा उत्पादन के लिए योगदान दे सकते है और उसके बाद धान की फसल सफलतापूर्वक ली जा सकती है। डा. सिंह ने कहा कि मूंगकी फसल को लगाने से पानी एवं खाद उर्वरक की कम आवश्यकता होती है। जिससे किसान का खर्चा कम आता है एवं मूंग वायुमंडल से नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके जमीन को उपलब्ध करवाता है जिससें जमीन की उर्वरकता शक्ति बढ़ती है। इस दौरान डा. सिंह ने किसानों को मूंग के प्रदर्शनों का भ्रमण करवाकर किस्म एम. एच.-421 के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
                         इस अवसर पर  श्री कैलश, विशेषज्ञ (कृषि प्रसार) ने केन्द्र की विभिन्न संचार माध्यम (व्हाट्स एप्प, वेबसाइट, मोबाइल एप्प आदि) कि विस्तृ्त जानकारी उपलब्ध करवाई एवं उन्होनें कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र के द्वारा विभिन्न प्रशिक्षण जैसे- खाध्य परिरक्षण एवं प्रसंस्करण, मधुमक्खी पालन, मशरुम उत्पादन एवं जैविक खेती का आयोजन किया जाता है जिससें किसान लाभान्वित हो सकते है। श्री राकश कुमार, विशेषज्ञ (बागवानी) ने उपस्थित किसान भाईयों को बागवानी फसलों की बुवाई एवं प्रबंधन के बारे विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाई।                  
                         क्रार्यक्रम में प्रगतिशील किसान श्री सत्यवान, श्री रविन्द्र कुमार, श्री संगीत, श्री जय भगवान, श्री मनीष कुमार एवं अन्य साथी किसानों ने प्रदर्शित फसल के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए काफी खुशी व्यक्त की। इस कार्यक्रम में लगभग 60 किसानों ने भाग लिया। एवं डीडी किसान के द्वारा किसानों के अनुभवों को दर्ज किया गया ताकि देशभर में इसका प्रसारण किया जा सके।

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