नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/उत्तराखंड/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- उत्तराखंड के चमोली में रविवार को ग्लेशियर टूटने से बड़ा हादसा हो गया। अबतक के राहत और बचाव कार्य के दौरान चमोली जिला पुलिस ने अब तक 19 शव मिलने की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि अभी भी 202 से अधिक लोग लापता हैं। रात में भी बचाव कार्य जारी रहा। नुकसान का आकलन जारी है। सुबह तड़के चार बजे से एक बार फिर बचाव कार्य शुरू हो गया है। सुरंगों के पास से मलबा हटाया जा रहा है। माना जा रहा है कि इनमें काफी लोग फंसे हुए हैं। हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने मुआवजे की घोषणा की है। राज्य सरकार चार और केंद्र सरकार दो लाख रुपये की सहयोग राशि देगी। सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत और बचाव का कार्य कर रहे हैं। वैश्विक नेताओं ने घटना पर गहरा दुख जताया है। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने आवश्यकता होने पर मदद करने की पेशकश की है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि क्षेत्र में ग्लेशियर नहीं टूटा बल्कि भारी मात्रा में बर्फ पिघलने से आपदा आई है। आज हुई बैठक में इसरो के साइंटिस्टस ने सेटेलाइट पिक्चर से साफ किया कि यह आपदा ग्लेशियर टूटने नहीं आई। तापमान बढ़ने से बर्फ पिघली और यह हादसा हो गया। चमोली प्रशासन ने आपदा में लापता हुए लोगों की सूची जारी की है। इसमें करीब 119 लोगों के नाम शामिल हैं। सूची देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। चमोली में आपदा प्राभावितों के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग ने राशन की एक हजार किट तैयार की है। जिसमें आटा, दाल, चीनी, चायपत्ती, नमक, मोमबत्ती, माचिस, तेल , मसाले, साबुन आदि रखा गया है। डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि चमोली हादसे में अभी तक लगभग 202 लोगों के लापता होने की सूचना है। वहीं 19 लोगों के शव अलग-अलग स्थानों से बरामद किए गए है। राहत-बचाव कार्य त्वरित रूप से जारी है।
मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि इसरो के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों से इस घटना के कारणों का पता किया जाए, ताकि भविष्य में कुछ एहतियात बरती जा सके। जिला प्रशासन की पूरी टीम रविवार से ही क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्यों में लगी है। अन्य जिलों से भी अधिकारी मौके पर भेजे गए हैं, ताकि आपदा ग्रस्त इलाकों में जो शव मिलें, उनकी पहचान और पोस्टमार्टम जल्द हो सके। आपदा प्रभावित रैणी क्षेत्र में रविवार से डीजीपी अशोक कुमार कैंप कर रहे हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कमिश्रर गढ़वाल और डीआईजी गढ़वाल को सोमवार से क्षेत्र में कैंप करने के निर्देश दिए गए हैं।
एनडीआरएफ के डीजी एसएन प्रधान ने बताया कि ढाई किमी. लंबी सुरंग में राहत बचाव कार्य जारी है। 27 लोगों को जिंदा निकाला गया है। 11 शव बरामद किए गए हैं। वहीं कुल 153 लोग लापता हैं। बताया कि 40 से 50 लोग अभी सुरंग में फंसे हुए हैं। शेष लोगों के मलबे में बह जाने की आशंका है। बताया गया कि सुरंग बेहद संकरी है। जिस वहज से यहां केवल एक ही जेसीबी मलबा निकाल पा रही है। यहां लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ है। हेलीकॉप्टर द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत, जनपद प्रभारी मंत्री डा. धन सिंह रावत, विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट, विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने भी तपोवन एवं रैणी में आपदा प्रभावित क्षेत्र का जायजा लिया। इस दौरान गढ़वाल सांसद एवं प्रभारी मंत्री प्रभावित परिवारों के परिजनों से मिले और उनको हर संभव मदद पहुंचाने का भरोसा दिलाया। प्रभारी मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि जिला प्रशासन, पुलिस, आईटीबीपी, आर्मी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ सभी मिलकर युद्ध स्तर पर रात-दिन राहत-बचाव कार्य में जुटे हैं और फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
श्रीनगर में अलकनंदा इस समय 531.50 मीटर पर बह रही है। रविवार रात 9 बजे जल स्तर 532.50 मीटर था। चेतावनी स्तर 535 मीटर है। खतरे का निशान 536 मीटर पर है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि लगभग 203 लोग आपदा में लापता हुए हैं। जिनमें से 11 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। हमें कल तक एक सहायक कंपनी के प्रोजेक्ट तपोवन के बारे में पता नहीं था। हम यह मानकर चल रहे हैं कि दूसरी सुरंग में 35 लोग अभी भी फंसे हुए हैं। राहत-बचाव कार्य जारी है। डीआईजी गढ़वाल रेंज नीरु गर्ग ने कहा कि हमें सूचित किया गया था कि 178 लोगों को यहां पास जारी किया गया था। जिनमें से 15 लोगों को रविवार को ही सुरक्षित निकाल लिया गया था।
आपदा ग्रस्त इलाके का निरीक्षण करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि यह बेहद कठिन परिस्थिति है, लेकिन आईटीबीपी ने पहली सुरंग से सफलतापूर्वक लोगों को निकाल लिया है। अब वह दूसरी सुरंग पर कार्य कर रहे हैं। एनडीआरएफ और सेना भी राहत बचाव कार्य में लगी है। दोपहर तक कुछ सकारात्मक परिणाम आने की संभावना है। वहीं सोमवार दूसरे दिन जारी राहत बचाव कार्य के तहत एसडीआरएफ उत्तराखंड पुलिस की टीम श्रीनगर बांध के आसपास लापता लोगों की खोज में लगी हुई है।
भारतीय सेना का कहना है कि इंजीनियरिंग टास्क फोर्स सहित सेना के कर्मियों के प्रयासों के बाद सुरंग का मुंह साफ कर दिया गया है। जनरेटर और सर्च लाइट लगाकर रात भर काम जारी रखा गया। घटना स्थल पर फील्ड अस्पताल मेडिकल सहायता देते रहे। सोमवार की सुबह पहली रोशनी के साथ ही वायु सेना के विमान राहत बचाव टीम की सहायता कर रहे हैं। हिमस्खलन के खतरे का पता लगाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
आपदा प्रभावित तपोवन में राहत बचाव कार्य फिलहाल जारी है। डीआईजी आईटीबीपी अपर्णा कुमार ने बताया कि बड़ी सुरंग को 70 से 80 मीटर तक साफ कर दिया गया है। जेसीबी की मदद से मलबा हटाया गया है। यह सुरंग करीब 100 मीटर लंबी है और लगभग 30-40 कर्मचारी सुरंग में फंसे हुए हैं। उन्हें निकालने के प्रयास जारी हैं। दूसरी सुरंग की तलाश जारी है।
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडे ने कहा, श्हमने दूसरी सुरंग में खोज अभियान तेज कर दिया है। हमें जानकारी मिली है कि लगभग 30 लोग वहां फंसे हुए हैं। सुरंग को साफ करने के लिए लगभग 300 आईटीबीपी के जवान तैनात हैं। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि लगभग 170 लोग लापता हैं। आईटीबीपी ने कल एक सुरंग से 12 लोगों को बचाया, ये 30 लोग एक अलग सुरंग में फंसे हुए हैं। विभिन्न क्षेत्रों में बचाव अभियान चल रहा है। यदि आवश्यकता पड़ी तो और टीमें भेजी जाएंगी, हम पहले सुरंग से लोगों को बचाकर बाहर निकाल रहे हैं। चमोली पुलिस ने कहा, टनल में फंसे लोगों के लिए राहत एवं बचाव कार्य जारी। जेसीबी की मदद से टनल के अंदर पहुंच कर रास्ता खोलने का प्रयास किया जा रहा है। अब तक कुल 15 व्यक्तियों को रेस्क्यू किया गया है एवं 14 शव अलग-अलग स्थानों से बरामद किए गए हैं। चमोली के तपोवन बांध के पास सुरंग पर एसडीआरएफ ने अपना बचाव अभियान शुरू कर दिया है। चमोली में तपोवन बांध के पास तलाशी अभियान चलाने के लिए कैनाइन दस्ते को भी तैनात किया गया है। कल इस क्षेत्र में बाढ़ आ गई थी।
चमोली में ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक आई भीषण बाढ़ में जानमाल के नुकसान पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनिया गुतारेस ने दुख जताया और कहा कि यदि जरूरत पड़ती है तो उत्तराखंड में जारी बचाव एवं राहत कार्यों में संगठन सहयोग देने के लिए तैयार है। भारत में जापान के राजदूत सातोशी सुजूकी ने कहा, उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने के बड़े हादसे में कई निर्दोष लोगों की जान जाने और लापता होने के दुखद हादसे को लेकर मेरा हृदय बेहद दुखी है। मैं हार्दिक शोक जताता हुं और प्रार्थना करता हूं कि लापता लोगों को जल्द से जल्द बचा लिया जाएगा। हमारी सहानुभूति उत्तराखंड के लोगों के साथ है। अमेरिकी विदेश विभाग ने ट्वीट में कहा, हम भारत में ग्लेशियर फटने और भूस्खलन के कारण प्रभावित होने वाले लोगों के प्रति शोक प्रकट करते हैं। हम मृतकों के परिवारों और दोस्तों के दुख में शामिल हैं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं।
उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने के कारण आई बाढ़ से हुए नुकसान पर पूरी दुनिया के कई नेताओं ने दुख जताया है। विभिन्न देशों के नेताओं ने इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के साथ संवेदना भी जताई है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्वीट में कहा, फ्रांस उत्तराखंड राज्य में ग्लेशियर फटने के चलते 100 से ज्यादा लोगों के लापता होने के बाद पूरी तरह भारत के साथ एकजुट होकर खड़ा है। हमारी संवेदनाएं लापता लोगों और उनके परिजनों के साथ हैं। उत्तराखंड में आई ग्लेशियर आपदा के बीच नेपाल के विदेश मंत्रालय ने घटना को लेकर अपनी चिंता प्रकट की है। मंत्रालय ने कहा है कि हम आपदा में लापता लोगों की सुरक्षा की कामना करते हैं।
उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी में आई आपदा को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बचाव और राहत कार्य सरकार की पहली प्राथमिकता है, इसमें पूरी क्षमता से काम किया जा रहा है।
-सेना, अर्ध सैनिक बल व स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक संगठन भी राहत कार्य में जुटे
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