हरिद्वार/उमा सक्सेना/- उत्तराखंड की रजत जयंती उत्सव के बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तीन दिवसीय प्रवास पर राज्य पहुंचीं। शुक्रवार को उन्होंने हरिद्वार स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं को पदक और डिग्रियां प्रदान कीं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) गुरमीत सिंह भी मौजूद रहे। एयरपोर्ट पर राज्य के शीर्ष अधिकारियों ने राष्ट्रपति का पारंपरिक स्वागत किया, जिसके बाद वह हरिद्वार रवाना हुईं।
बेटियों की उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया राष्ट्रपति ने
दीक्षांत समारोह के मंच से राष्ट्रपति मुर्मू ने छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि यह गौरव का विषय है कि इस बार 64 प्रतिशत मेडल विजेता छात्राएं हैं। उन्होंने कहा कि देश के विकास का सपना तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक हमारी बेटियां समान भागीदारी न निभाएं। राष्ट्रपति ने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में निष्ठा, सरलता और अनुशासन जैसे मूल्यों को अपनाकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाएं।
राष्ट्रपति ने पतंजलि संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि योग, आयुर्वेद और अध्यात्म के माध्यम से इस विश्वविद्यालय ने भारतीय परंपरा को जीवंत बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि “हरिद्वार केवल गंगा का द्वार नहीं, बल्कि ज्ञान और साधना का केंद्र है,” और पतंजलि ने इस आध्यात्मिक धारा को शिक्षा के साथ जोड़ने का अनुकरणीय प्रयास किया है।
“विज्ञान और अध्यात्म का संगम ही आदर्श जीवन का मार्ग”
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने भाषण में कहा कि वर्तमान समय में विज्ञान और अध्यात्म का संतुलित समन्वय ही आदर्श समाज निर्माण की दिशा दिखा सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों को गीता के उपदेशों का स्मरण कराते हुए कहा कि “कर्तव्यनिष्ठा ही सफलता का प्रथम सोपान है।” उन्होंने भागीरथ की तपस्या का उदाहरण देते हुए विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे भी कठिन परिश्रम और समर्पण से समाज में नई ऊर्जा का संचार करें।
राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी आने वाले समय में योग, प्राणायाम और स्वदेशी चिकित्सा प्रणाली को वैश्विक मंच पर और अधिक विस्तार देंगे, जिससे भारत पुनः विश्वगुरु की दिशा में अग्रसर होगा।
“युवा अब रोजगार खोजने वाले नहीं, अवसर सृजक बनें” – मुख्यमंत्री धामी
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार नई शिक्षा नीति को व्यवहार में लाने के लिए तेजी से कार्य कर रही है। राज्य में रिसर्च, तकनीकी नवाचार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में नए प्रयोग हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि देहरादून में साइंस सिटी की स्थापना से अनुसंधान को नई दिशा मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य युवाओं को नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि रोजगार सृजक बनाना है। साथ ही उन्होंने परीक्षा तंत्र में पारदर्शिता लाने और नकल माफिया पर नियंत्रण के लिए बनाए गए सख्त कानूनों का भी उल्लेख किया।
“योग ने स्वास्थ्य जगत में नई क्रांति की” – राज्यपाल
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) गुरमीत सिंह ने कहा कि स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने योग और आयुर्वेद को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से आज पूरी दुनिया योग को स्वीकार कर रही है, जिससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत की प्राचीन परंपराएं आज भी पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक हैं और यह देखकर प्रसन्नता होती है कि आज का युवा आयुर्वेद और आध्यात्मिक शिक्षा की ओर आकर्षित हो रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि “आपकी शिक्षा तभी सार्थक होगी जब उसका लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।”
राष्ट्रनिर्माण की दिशा में आगे बढ़ता पतंजलि विश्वविद्यालय
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। समारोह में पतंजलि परिवार के संस्थापक स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सहित देशभर से आए शिक्षाविद, विद्यार्थी और अभिभावक मौजूद रहे। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि संस्कृति, योग और चरित्र निर्माण का केंद्र है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यहां से शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र आने वाले समय में राष्ट्र निर्माण के मार्गदर्शक सिद्ध होंगे।


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