नई दिल्ली/उमा सक्सेना/- उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए गए उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित किए जाने के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर सेंगर को जेल से रिहा नहीं किया जाएगा और वह न्यायिक हिरासत में ही रहेगा।
शीर्ष अदालत में सुनवाई, नोटिस जारी
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने की, जिसमें न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा और कहा कि इस प्रकरण में गंभीर कानूनी सवाल जुड़े हुए हैं, जिन पर गहन विचार आवश्यक है। अदालत ने चार सप्ताह बाद अगली सुनवाई तय की है।
सीबीआई की याचिका पर रोक का आदेश
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि यह एक नाबालिग बच्ची के साथ अत्यंत गंभीर और जघन्य अपराध का मामला है। उन्होंने कहा कि सेंगर पर आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धाराओं 5 और 6 के तहत दोष सिद्ध हुआ है। पीड़िता की उम्र अपराध के समय 15 वर्ष 10 माह थी। इन दलीलों को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने क्यों दी थी राहत
दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर की सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि सेंगर करीब सात साल पांच महीने की सजा पहले ही काट चुका है, इसलिए उसे सशर्त राहत दी जा सकती है। इसी आदेश को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
जेल में ही रहेगा सेंगर
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सेंगर को फिलहाल कोई राहत नहीं मिलेगी। इसके अलावा, सेंगर पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत से जुड़े मामले में भी 10 साल की सजा काट रहा है, जिसमें उसे जमानत नहीं मिली है। ऐसे में उसकी रिहाई का कोई सवाल नहीं है।
पीड़ित पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद
इससे पहले पीड़िता और उसकी मां ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर सेंगर को मिली राहत का विरोध किया था। पीड़िता की मां ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है और न्याय जरूर मिलेगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन पर केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। पीड़िता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुरक्षा की मांग करते हुए कहा कि उन्हें निर्भय होकर अपनी कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए पर्याप्त सुरक्षा दी जाए।
संवेदनशील मामले पर देश की नजर
उन्नाव दुष्कर्म मामला देश के सबसे संवेदनशील और चर्चित मामलों में गिना जाता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ कानूनी बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी बेहद अहम माना जा रहा है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आने वाली सुनवाई में शीर्ष अदालत क्या अंतिम रुख अपनाती है।


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