नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में एल्डरमैन की नियुक्ति के मामले में उपराज्यपाल (LG) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है और आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार को झटका लगा है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि एमसीडी में पार्षदों को मनोनीत करने का अधिकार LG के पास है। इसके लिए दिल्ली सरकार की सहमति जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल सरकार की सलाह के बिना एमसीडी में 10 मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति कर सकते हैं।
आपको बता दें कि शीर्ष अदालत एमसीडी में उपराज्यपाल द्वारा नामित एल्डरमैन की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली आम आदमी पार्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 17 मई 2024 को मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने की और फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा था?
इससे पहले मई 2024 में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में एल्डरमैन को नामित करने का अधिकार देने का मतलब है कि वह निर्वाचित नगर निकाय को अस्थिर कर सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली नगर निगम में ‘एल्डरमेन’ को नामित करने के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह बात कही थी।
पीठ ने कहा था, “क्या एमसीडी में 12 प्रतिष्ठित लोगों का मनोनयन केंद्र के लिए इतनी चिंता का विषय है? दरअसल, उपराज्यपाल को यह शक्ति देने का मतलब यह होगा कि वह लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई शहर समितियों को अस्थिर कर सकते हैं क्योंकि उनके (एल्डरमैन) के पास मतदान का अधिकार भी होगा।” सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचित सरकार की सहायता और परामर्श के बिना दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में 10 एल्डरमेन को नामित करने के संविधान और कानून के तहत उपराज्यपाल के अधिकार के स्रोत पर सवाल उठाया था।
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