नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जिन्हें हम शाकाहार तो समझते हैं लेकिन वो पूरी तरह से शाकाहार नहीं होते हैं। इन चीजों में कुछ मात्रा में एनिमल प्रोडक्ट्स मिले होते हैं। इन्हें खरीदते समय हम इनके लेबल पर ध्यान नहीं देते हैं। ये नॉनवेज प्रोडक्ट्स के विकल्प के तौर पर बाजार में मिलते हैं। सावन का महीना है तो ऐसे में कई चीजों का इस्तेमाल उपवास में भी होता है, ऐसे में ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है. तो आइए जानते हैं ऐसे ही प्रोडक्ट्स के बारे में जिनके शुद्ध रूप से शाकाहारी ना होने की संभावना होती है और इनमें कुछ ना कुछ मिलावट भी हो सकती है।
चीज़- ज्यादातर लोग अपने ब्रेकफास्ट, स्नैक्स या फूड में किसी ना किसी तरह चीज़ का इस्तमेमाल करते हैं. खासतौर से ये बच्चों को बहुत पसंद होता है. कुछ खास तरह के चीज़ में रेन्नेट मिला होता है. ये एक तरह का एंजाइम है जो बछड़ों के पेट से निकाला जाता है. इसका इस्तेमाल चीज़ को गाढ़ा बनाने में किया जाता है. हालांकि, बाजार में शाकाहारी चीज़ भी मिलते हैं जिनमें इस एंजाइम का इस्तेमाल नहीं होता है. इसलिए अगर आप शाकाहारी चीज़ लेना चाहते हैं तो इसे खरीदने से पहले इसका लेबल जरूर पढ़ लें.
ओमेगा-3 वाले प्रोडक्ट्स- कुछ चीजों में नेचुरल तौर पर ओमेगा-3 नहीं पाया जाता है लेकिन उन्हें ओमेगा-3 से भरपूर बनाकर बाजार में बेचा जाता है. ये चीजें शाकाहारी नहीं होती हैं और इनमें मछली से प्राप्त प्रोडक्ट्स मिलाए जाते हैं. अगर आप शाकाहारी हैं तो ओमेगा-3 के लिए अलसी, चिया सीड्स और अखरोट डाइट में शामिल करें.
सॉफ्ट ड्रिंक्स- आपको जानकर शायद हैरानी होगी कि कुछ सॉफ्ट ड्रिंक्स में थोड़ी मात्रा में जिलेटिन मिलाया जाता है. इसे ड्रिंक्स को गाढ़ा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जिलेटिन जानवरों के अंगों से प्राप्त किया जाता है. हालांकि, हर सॉफ्ट ड्रिंक्स में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है लेकिन फिर आप क्या पी रहे हैं इसकी जानकारी अच्छे से पता कर लें. अगर शुद्ध शाकाहारी ड्रिंक पीना चाहते हैं तो अच्छा होगा कि आप इसे घर में खुद ही बना लें.
सफेद चीनी- कई जगहों पर रिफाइंड व्हाइट शुगर को ’बोन चार’ या नेचुरल कार्बन तरीके से ब्लीच किया जाता है. इस प्रक्रिया में जानवरों की हड्डी का इस्तेमाल होता है. कन्फेक्शनर और ब्राउन शुगर में भी ये मिलाया जाता है क्योंकि ये दोनों भी सफेद चीनी से ही बनाई जाती हैं.
वनीला आइसक्रीम- आइसक्रीम का वनीला फ्लेवर लगभग हर किसी को पसंद होता है. वनीला फ्लेवर के लिए कई प्रोडक्ट में ऊदबिलाव के बाडी पार्ट्स से मिले कुछ तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है. तकनीकी रूप से इसे कैस्टोरम कहते हैं. वेनिला फ्लेवर देने के लिए प्रोडक्ट में कैस्टोरम मिलाया जाता है. थ्क्। के नियमों के मुताबिक, कैस्टोरम खाने से कोई नुकसान नहीं है और इसे प्रोडक्ट की सामग्री सूची में भी शामिल करने की जरूरत नहीं है.
नॉन ऑर्गेनिक केले- साइंस डेली की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नॉन ऑर्गेनिक केले में झींगा और केकड़े का इस्तेमाल किया जाता है. झींगे और केकड़े में बैक्टीरियसे लड़ने वाले ऐसे कंपाउंड पाए जाते हैं और इन्हें प्रिजर्वेटिव के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. इनके जरिए केले को जल्दी खराब होने से बचाया जाता है. आप केले खरीदते समय ध्यान दें कि ये पूरी तरह से ऑर्गेनिक ही हों.
नमकीन मूंगफली- कुछ ब्रांड मूंगफली में नमक और अन्य मसाले मिलाने के लिए जिलेटिन का इस्तेमाल करते हैं. जिलेटिन कुछ जानवरों की हड्डियों और ऊतकों से प्राप्त होता है. अगर आप इसे नहीं खाना चाहते हैं तो फ्लेवर या नमक वाली मूंगफली की जगह सादी मूंगफली का पैकेट खरीदें. इनमें कैलोरी की मात्रा भी बहुत कम होती है.
बारबेक्यू आलू चिप्स- अगर आप बाजार से क्रिस्पी बारबेक्यू आलू चिप्स को पूरी तरह शाकाहारी समझ कर खरीद रहे हैं तो सावधान हो जाएं. इनमें चिकन फैट मिला होता है. हालांकि, ऐसा सारे चिप्स के साथ नहीं है इसलिए इसे खरीदने से पहले अच्छे से इसका लेबल पढ़ लें.
वेजीटेबल सूप- बाजार में मिलने वाले ज्यादातर वेजीटेबल सूप में चिकन या बीफ की हड्डियों से बने पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है. भले ही ये वेजीटेबल सूप हों लेकिन इन्हें खरीदने से पहले इनका लेबल जरूर पढ़ लें. अच्छा होगा कि आप बाजार के सूप की जगह घर का बना सूप ही पिएं. ये शरीर के लिए भी फायदेमंद होता है…
हार्ड-कोटेड कैंडीज- अधिकांश कैंडीज में शेलैक का इस्तेमाल होता है, जो एक मादा कीड़े से निकलने वाले स्त्राव से बनाया जाता है. आमतौर पर इसकी सामग्री में ’कन्फेक्शनर ग्लेज लिखा होता है. शेलैक का इस्तेमाल फर्नीचर पॉलिश, हेयरस्प्रे और कृषि उर्वरक में भी किया जाता है.
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