रोहिणी आचार्य ने छोड़ी राजनीति, कहा- परिवार से भी नाता तोड़ रही हूं

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December 27, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

बिहार/उमा सक्सेना/-  राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने अचानक राजनीति छोड़ने का ऐलान कर पूरे राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। उन्होंने न सिर्फ सार्वजनिक रूप से राजनीति से संन्यास की घोषणा की बल्कि यह भी कहा कि वे अपने परिवार से भी दूरी बना रही हैं। 

रोहिणी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा— “मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से भी नाता तोड़ रही हूं। जो बातें मुझे कहने के लिए संजय यादव और रमीज़ ने कहा था, वही आज मैं बता रही हूं। पार्टी की हार की पूरी ज़िम्मेदारी मैं लेती हूं।”
उनका यह बयान बिहार की राजनीति में गहरे स्तर पर हलचल मचा रहा है।

तेजस्वी यादव के सलाहकार और राजद के राज्यसभा सांसद संजय यादव के हस्तक्षेप को लेकर रोहिणी पहले से नाराज़ चल रही थीं। चुनाव से पहले भी उन्होंने सोशल मीडिया पर अप्रत्यक्ष रूप से नाराज़गी जताई थी, हालांकि बाद में उन्होंने सब कुछ ठीक होने का दावा किया और अपने भाई तेजस्वी के समर्थन में भी पोस्ट किया था। राजद की करारी हार के बाद उन्होंने एक बार फिर खुलकर अपनी पीड़ा सामने रखी और कठोर निर्णय लेने का दावा कर दिया।

कुछ हफ्ते पहले रोहिणी ने एक पोस्ट साझा कर संजय यादव पर सीधे तीखा हमला किया था। उन्होंने लिखा था कि उन्हें लालू–तेजस्वी की जगह लेने की कोशिश करने वालों को देखना बिल्कुल पसंद नहीं। उनके द्वारा शेयर की गई पोस्ट में भी लिखा था कि- “फ्रंट सीट सिर्फ शीर्ष नेता के लिए होती है, चाहे वे मौजूद हों या नहीं। लेकिन अगर कोई खुद को नेतृत्व से भी ऊपर समझ रहा है तो वह एक अलग बात है।”
इस पोस्ट ने पार्टी के भीतर तनाव और गहरा कर दिया था।

रोहिणी आचार्य ने आगे लिखा था कि उनके लिए आत्मसम्मान सर्वोपरि है। उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद यादव को किडनी दान देकर जो जीवनदान दिया, उसी का वीडियो-फोटो साझा करते हुए उन्होंने लिखा-
“जो जान हथेली पर रखकर बड़ी कुर्बानी देता है, उसकी बेबाकी और खुद्दारी उसके लहू में होती है। मैंने एक बेटी और बहन के तौर पर अपना धर्म निभाया है और आगे भी निभाऊंगी। मुझे किसी पद की लालसा नहीं।”
सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों ने उनकी इस कुर्बानी और त्याग की सराहना करते हुए उन्हें “बिहार की साहसी बेटी” बताया।

रोहिणी के गंभीर आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय यादव ने कहा कि रोहिणी दीदी की बातों को गलत संदर्भ में न लिया जाए। उन्होंने कहा कि- “राजद पूरी तरह एकजुट है और पार्टी में किसी तरह की कोई गलतफहमी नहीं है। हम सब संदर्भ समझते हैं।”
उनके इस बयान के बाद भी पार्टी के भीतर उठ रहे सवाल शांत नहीं हुए हैं।

रोहिणी का यह बड़ा फैसला बिहार की राजनीति में कई नए सवाल खड़े करता है-
क्या राजद में वाकई अंदरूनी खींचतान है?
संजय यादव और तेजस्वी की भूमिका पर लगातार उठ रहे सवाल क्या पार्टी की छवि पर असर डालेंगे?
क्या रोहिणी वास्तव में राजनीति और परिवार से दूरी बनाए रखेंगी या यह भावनात्मक क्षण का निर्णय है?
राजद की हार के तुरंत बाद आया यह बयान पार्टी को अगले कई दिनों तक राजनीतिक बहस के केंद्र में रखेगा।

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