रामराज्य के लिए श्रीराम का अनुकरण करना जरूरी- सतपाल जी महाराज

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 29, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

रामराज्य के लिए श्रीराम का अनुकरण करना जरूरी- सतपाल जी महाराज

-मानव सेवा समिति द्वारा आयोजित सदभावना सम्मेलन में सतपाल जी महाराज ने श्रद्धालुओं से किया आह्वान -सतपाल जी महाराज ने 75वें गणतंत्र दिवस पर झंडा भी फहराया

नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- उत्तराखंड सरकार के कॅबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज ने कहा कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा हो गई हैं और अब हमे रामराज्य की कल्पना को साकार करने के लिए उनके आदर्शो पर चलना होगा। मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा आयोजित सद्भावना सम्मेलन व श्री विभू जी महाराज के जन्मोत्सव के अवसर पर यह कार्यक्रम पंडवाला कलॉं नजफगढ नई दिल्ली स्थित हंसनगर आश्रम में किया गया।

सतपाल महाराज ने कहा कि, भगवान श्री राम ने जैसा उदाहरण हमारे सामने प्रस्तुत किया है वैसा दुनिया के किसी भी कोने में देखने को नहीं मिलता। अन्य धर्मो का इतिहास देखेंगे तो पता चलता हैं कि सत्ता पाने के लिए किसी ने अपने पिता को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया तो किसी ने अपने भाइयों की जान ले ली। किंतु प्रभु श्रीराम का एकमात्र ऐसा उदाहरण है जिन्हाने अपने पिता का वचन निभाने के लिए सत्ता का मोह छोडकर 14 साल का वनगमन स्वीकार किया। यही बात उनको पुरूषों  में सर्वोत्तम बनाती हैं. उन्होने अपने जीवन में मर्यादा को प्राथमिकता दी और मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाये। अतः अब सब भारतवासियों का यह कर्तव्य हो जाता हैं कि हम प्रभू श्रीराम द्वारा स्थापित आदर्शो पर चलें। अयोध्या में रामलला आ गये हैं अब हमें रामराज्य स्थापित करने के लिए उनके जीवन के आदर्शो को अंगीकार करने की जरूरत हैं।

श्री महाराज ने यह भी कहा कि, श्रीराम को किसी देश या किसी विचारधारा की सीमा में बांधा नहीं जा सकता हैं। वे कण-कण में व्याप्त हैं। अयोध्या से लेकर नेपाल, म्यानमार, इंडो-चायना, इंडोनिशिया, मलेशिया आदि देशों मे जब भी कोई सांस्कृतिक महोत्सव होता हैं तब वहॉं के नाटकों में भगवान श्रीराम के जीवन का ही वर्णन देखने को मिलता हैं, श्रीराम सर्वव्यापी हैं।
          सतपाल महाराज ने रामायण की घटना का जिक्र करते हुये जनमानस को बताया कि, जब नल-नील पत्थर पर राम लिखकर समुद्र में छोड देते थे तो वह तैरने लगते थे। यह बात जब फैली तो लंकापति रावण तक भी पहुंच गई। तब कुछ राक्षसों ने रावण को सलाह दी कि वे भी पत्थर पर अपना नाम लिखकर उन्हे समुद्र में छोड दे, पत्थर तैरने लगेंगे। इससे श्री राम की सेना का मनोबल टुटेगा।

जब रावण ने अपना नाम लिखा पत्थर समुद्र में छोड दिया तो वह पत्थर भी तैरने लगे। मंदोदरी रावण के सारे ज्ञान और माया को जानती थी। वह यह भी जानती थी कि समुद्र में पत्थर तैराने का ज्ञान रावण को नहीं हैं। जब मंदोदरी ने इसका राज रावण से जानना चाहा तो रावण टालता रहा किंतु जब मंदोदरी हठ करने लगी तो रावण ने बताया कि‘ मैने पत्थर पर अपना नाम लिखा और समुद्र में छोडते समय कहा कि तुम्हे राम की कसम हैं पत्थर डुबना नहीं चाहिये। यह कहकर छोड दिया और पत्थर तैरने लगा।

प्रभू श्रीराम का ऐसा दिव्य प्रभाव था। रामलला की स्थापना हो चुकि हैं अब रामराज्य की स्थापना के लिए हमे राम के जीवन का अनुकरण करना होगा। यदि हम अपने आप को राम के भक्त मानते हैं तो प्रभू श्री राम की तरह माता-पिता की आज्ञा को मानना होगा।
          75वें गणतंत्र दिवस पर सतपाल महाराज ने झंडा फहराया। मानव सेवा दल द्वारा सलामी दी गई और परेड निकाली गई। साथ ही रामराज्य पर आधारित सांस्कृतिक झॉंकिया भी निकाली गई। कार्यक्रम से पूर्व श्री सतपाल महाराज, पूर्व मंत्री श्रीमती अमृता रावत जी, श्री विभु जी महाराज, श्री सुयश जी महाराज व माता आराध्या जी का संस्था के पदाधिकारियो द्वारा माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। मंच का संचालन महात्मा श्री हरिसंतोषानंद जी ने किया।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox