मानसी शर्मा /- दिल्ली के मुख्य सचिव यानी चीफ सेक्रेटरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा आदेश सामने आया है। जहां देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि भले ही मुख्य सचिव की नियुक्ति देश की केंद्र सरकार करती है, लेकिन उन्हें कुछ विषयों पर दिल्ली सरकार के निर्देश मानने होंगे।
दिल्ली के मुख्य सचिव को दिल्ली की निर्वाचित सरकार के निर्देशों का पालन करने का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नौकरशाहों और अधिकारियों को राजनीतिक रूप से तटस्थ (न्यूट्रल) रहने की जरूरत है।
इस मामले पर सुनवाई करते हुए SC ने कहा कि मुख्य सचिव को केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है, लेकिन उन्हें उन मामलों पर निर्वाचित सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए जो निर्वाचित सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। मुख्य सचिव को अपने कामों (या निष्क्रियताओं) से निर्वाचित सरकार/सरकार के काम को रोकना नहीं चाहिए।
सीधे शब्दों में कहें तो देश के मुख्य न्यायाधीश ने अपने लिखित आदेश में साफ कहा है कि दिल्ली के मुख्य सचिव की नियुक्ति बेशक केंद्र सरकार करती है। लेकिन (Land, police और Law and आर्डर) को छोड़कर बाकी सभी विषय दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। ऐसे में निर्वाचित सरकार के निर्देश मुख्य सचिव को मानने चाहिए और निर्वाचित सरकार के काम में बाधा उत्पन्न नहीं करनी चाहिए।
बता दें कि चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने 29 नवंबर को जब मुख्य सचिव के बारे में यह आदेश सुनाया कि उनकी नियुक्ति और सेवा विस्तार का अधिकार केंद्र सरकार का है। उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने लिखित आदेश में यह बड़ा आदेश भी लिखवाया जो बुधवार 6 दिसंबर को वेबसाइट पर अपलोड हुआ है जिसमें SC ने साफ शब्दों में कहा कि मुख्य सचिव को उन विषयों पर दिल्ली सरकार के निर्देश मानने होंगे जो दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं साथ ही सिविल सर्वेंट्स को पॉलिटिकली न्यूट्रल रहने की जरूरत हैं।
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