
मानसी शर्मा/- प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई। देशभर के अखाड़ों के नागा साधु और संत भी इस अवसर पर यहां पहुंचे थे। महाकुंभ में लोग अमृत स्नान करने के लिए आए, साथ ही साधु-संतों को देखना और उनका आशीर्वाद लेना उनके लिए एक विशेष अवसर था। लेकिन अब महाकुंभ का प्रमुख आयोजन खत्म हो चुका है और सभी नागा साधु अपने-अपने अखाड़ों की ओर वापस लौट रहे हैं।
इस समय कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि महाकुंभ का पर्व महाशिवरात्रि तक जारी रहेगा तो नागा साधु क्यों वापस जा रहे हैं? नागा साधुओं का जीवन और महाकुंभ में उनका महत्व नागा साधु अपने जीवन की सभी सुख-सुविधाओं को छोड़कर साधना में पूर्ण रूप से लीन रहते हैं। ये साधु अक्सर आश्रमों, पहाड़ों और जंगलों में तपस्या करते हैं। लेकिन जब भी कुंभ मेला होता है, तो ये सभी नागा साधु वहां पहुंचकर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त करते हैं।
इस बार प्रयागराज महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 14जनवरी मकर संक्रांति के दिन हुआ था। दूसरा स्नान मौनी अमावस्या को और तीसरा बसंत पंचमी के दिन हुआ था। अमृत स्नान वापस लौट रहे है नागा साधु अमृत स्नान का साधु-संतों के जीवन में खास महत्व है। मान्यता है कि इस स्नान से एक हजार अश्वमेघ यज्ञों का पुण्य प्राप्त होता है। महाकुंभ में स्नान के बाद साधु-संत ध्यान और धर्म चर्चा करते हैं। बसंत पंचमी के दिन तीसरा अमृत स्नान करने के बाद अब सभी नागा साधु और संत अपने-अपने अखाड़ों की ओर लौट रहे हैं। अगले महाकुंभ में वे 2027 में नासिक के कुंभ मेला में दिखाई देंगे, जो गोदावरी नदी के किनारे आयोजित होगा। वहां हजारों नागा साधु एक साथ एकत्रित होंगे।
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