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    मनाली में मकर संक्रांति के साथ ही 42 दिन देव नियमों में बंध जाएगें ग्रामीण

    -न टीवी लगेगा, न बजेगा डीजे... मोबाइल भी हो जाएंगे साइलेंट, मनोरजंन के तमाम साधान हो जाएगें बंध

    मनाली/कुल्लू/अनीशा चौहान/- मनाली के कई गांवों में मकर संक्रांति के बाद ग्रामीण कड़े देव नियमों में बंधने जा रहे हैं। टीवी, रेडियो बंद रहेंगे। न डीजे बजेगा और न ही गांव में शोर-शराबा किया जा सकेगा। गौशाल गांव के लोग अगले 42 दिन मनोरंजन के तमाम साधनों से दूर रहेंगे। दरअसल, मनाली के कई गांवों में मकर संक्रांति के बाद ग्रामीण कड़े देव नियमों में बंधने जा रहे हैं। सिमसा में देवता कार्तिक स्वामी के मंदिर का कपाट संक्रांति पर बंद हो जाएगा, गौशाल गांव में कंचन नाग, व्यास ऋषि और गौतम ऋषि का मंदिर विधिवत पूजा के बाद बंद हो जाएगा।

    सिमसा में एक महीने, जबकि गौशाल और आसपास के नौ गांवों में लोग 42 दिन देवता के नियमों का पालन करेंगे। गौशाल में टीवी, रेडियो बंद रहेंगे। न डीजे बजेगा और न ही गांव में शोर-शराबा किया जा सकेगा। गौशाल गांव के लोग अगले 42 दिन मनोरंजन के तमाम साधनों से दूर रहेंगे। गौशाल गांव में मकर संक्रांति पर मंगलवार को देवता कंचन नाग, ब्यास और गौतम ऋषि के मंदिर के कपाट बंद होते ही टीवी, रेडियो लगाने पर देव प्रतिबंध लग जाएगा। नौ गांवों में कृषि कार्य और गोशाला से गोबर निकालने पर प्रतिबंध रहेगा। 42 दिन बाद मंदिर के कपाट खुलेंगे, तब तक ग्रामीण देव आदेश का पालन करेंगे।

    क्या है मान्यता
    मान्यता है कि गांव के आराध्य देव 14 जनवरी से तपस्या में लीन हो जाएंगे। मकर संक्रांति पर देवता की मूर्ति पर कपड़े से छानी गई मिट्टी का लेप लगाया जाएगा। विधिवत पूजा के बाद कपाट को बंद किया जाएगा। 42 दिन बाद फागली उत्सव पर मंदिर के कपाट खुलेंगे। इस अवधि के दौरान देवताओं को शांत वातावरण मिले, इसके लिए ग्रामीण गांव में रेडियो व टीवी नहीं चलाएंगे और न ही खेतों का रुख करेंगे। खेतों में खोदाई से संबंधित कार्य नहीं होंगे।

    ऊझी घाटी के गोशाल गांव सहित कोठी, सोलंग, पलचान, रुआड़, कुलंग, शनाग, बुरुआ तथा मझाच गांवों में व्यापक प्रतिबंध रहेगा। देवता के कारदार हरि सिंह ने कहा कि घाटी के नौ गांवों के लोग 14 जनवरी से देव प्रतिबंध में बंध जाएंगे। मोबाइल भी साइलेंट हो जाएंगे। उधर, देव सेनापति कार्तिक स्वामी के सिमसा स्थिति मंदिर के कपाट भी मकर संक्रांति पर बंद होने पर 12 फ़रवरी तक सिमसा ,कन्याल, छियाल, मढ़ी, रांगडी में किसी भी तरह का शोर, ऊंची आवाज में गाना बजाना, डीजे व मिट्टी खोदाई पर प्रतिबंध रहेगा। पुजारी केशव शर्मा ने बताया कि 12 फरवरी को फागली उत्सव पर देवता के कपाट खुलेंगे। इस दिन देवता भविष्यवाणी भी करेंगे।

    42 दिन बाद देवता करेंगे भविष्यवाणी
    42 दिन बाद आराध्य देवों के सम्मान में फागली उत्सव का आयोजन होगा। देवता स्वर्ग प्रवास से लौटते ही भविष्य में होने वाली सालभर की घटनाओं के बारे भी भविष्यवाणी करेंगे। मंदिर के अंदर हुए लेप को निकाला जाएगा। इसमें कुमकुम, सेब के पेड़ों के पत्ते, अनाज के दाने आदि निकलेंगे। इसके आधार पर सालभर की भविष्यवाणी होगी।

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