ओटावा/- खालिस्तानी नेता व भारत के आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कथित तौर पर भारत के शामिल होने के कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोप पर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस बीच, कनाडाई मीडिया से खबर आ रही है कि ओटावा के फाईव आईज ने किसी का भी पक्ष लेने से मना कर दिया है। हालांकि, इनका कहना है कि दावों की गहन जांच होनी चाहिए।
गौरतलब है, कनाडा एक फाइव आईज नेटवर्क का हिस्सा है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड जैसे देश शामिल हैं। इन्हीं पांचों से मिलकर एक खुफिया गठबंधन बना है। कनाडाई मीडिया के अनुसार, कनाडा के सहयोगियों ने ओटावा और नई दिल्ली के बीच बढ़ते विवाद में पड़ने के लिए दिलचस्पी नहीं दिखाई। बल्कि इन देशों का कहना है कि इस मामले की अभी और गहनता से जांच की जानी चाहिए। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया सभी ने बयान जारी कर आरोपों की जांच की मांग की है।
रिपोर्ट में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एडमिरल जोह किर्बी के उस बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से ये गंभीर आरोप हैं और उनका मानना है कि यह निर्धारित करने के लिए कि पीएम ट्रूडो के आरोप कितने सही हैं, इसके लिए गहन जांच की जरूरत है। इसके साथ ही, किर्बी ने भारत से उस जांच में भाग लेने और सहयोग करने का आग्रह किया। उनका कहना था कि पता लगाना महत्वपूर्ण है कि वास्तव में क्या हुआ था।ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं, वहां के विदेश मंत्री पेनी वोंग ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में रिपोर्ट पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘ये चिंताजनक रिपोर्ट हैं और जांच अभी भी चल रही है। हम इन घटनाक्रमों की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।’
कनाडाई मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि कनाडा के सहयोगी ब्रिटेन ने इस मामले में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की। हालांकि वहां के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने भारत का कोई उल्लेख किए बिना सोशल मीडिया पर कहा, ’सभी देशों को संप्रभुता और कानून के शासन का सम्मान करना चाहिए। हम कनाडा की संसद में उठाए गए गंभीर आरोपों के बारे में अपने कनाडाई सहयोगियों के साथ नियमित संपर्क में हैं। यह महत्वपूर्ण है कि कनाडा जांच कर अपराधियों को न्याय के दायरे में लाए।
ओटावा की मीडिया के मुताबिक, ट्रूडो जहां भारत से इस मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह कर रहे हैं, वहीं लिबरल पार्टी के सदस्यों का यह भी कहना है कि वे उस देश के साथ सामान्य संबंध बनाए रखने की उम्मीद करते हैं, जिसे ओटावा ने हिंद-प्रशांत में एक प्रमुख भागीदार के रूप में चुना है।
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