नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/प्रयागराज/शिव कुमार यादव/- हाईकोर्ट में आज ज्ञानवापी मामले में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराये जाने के मामले में दाखिल अंजुमन इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिकर दिवाकर ने एएसआई के वैज्ञानिक को आज 4.30 बजे तलब किया और ढांचे को बिना नुकसान पहुंचाए 31 जुलाई तक सर्वे पूरा करने का आदेश दिया है।
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे कराये जाने के मामले में एएसआई की ओर से वैज्ञानिक आलोक त्रिपाठी कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जीपीआर विधि और फोटोग्राफी विधि से कैसे सर्वेक्षण होगा। कोर्ट एएसआई से यह स्पष्ट करना चाहती है कि सर्वे के दौरान कोई क्षति हो सकती है। कोर्ट इस मामले में एएसआई से उस मैथेड को जानना चाहती है, जिसके जरिये एएसआई सर्वे कर रही है। कोर्ट सर्वे सिस्टम का डेमो भी देखेगी।
इसके पहले सुनवाई के दौरान मस्जिद पक्ष की ओर से कहा गया कि सर्वे से संरचना को क्षति हो सकती है। जिला जज को सर्वे कराये जाने का अधिकार नही है। यह आदेश गलत है। जवाब में मंदिर पक्ष की ओर से जवाब दिया गया कि सर्वे के बाद ही मंदिर के स्ट्रक्चर का सही पता चल सकता है।
एएसआई दो तकनीकों के माध्यम से सर्वे कर रही है। उसमे फोटोग्राफी, इमैजिंग करेगी। किसी तरह की क्षति नहीं होगी। इस पर कोर्ट ने सर्वे का डेमो जानना चाहा और सर्वे में लगे एएसआई के साइंटिस्ट को 4.30 बजे तलब किया है।
इसके पूर्व सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील ने कहा वैज्ञानिक सर्वेक्षण से स्थापित ढांचे को कोई नुकसान नहीं होगा। मुस्लिम पक्षकार ने तर्क दिया कि कौन लेगा नुकसान न होने की गारंटी। 1992 अयोध्या में हुए विध्वंस का अनुभव भुलाया नहीं जा सकता।
ज्ञानवापी मामले की सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश कोर्ट में बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद हैं। इस मामले आज शाम तक फैसला आ सकता है। मुस्लिम पक्षकार का आरोप है कि निचली अदालत ने वैज्ञानिक सर्वे का कोई तार्किक कारण अपने आदेश में अंकित नहीं किया है। निचली अदालत ने अपने आदेश में उन परिस्थितियों का उल्लेख भी नहीं किया जिसमें वैज्ञानिक सर्वे अनिवार्य है।
मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि काशी विश्वनाथ ट्रस्ट और इंतजामिया कमेटी के बीच कोई विवाद नहीं है तो वादिनी को वाद दाखिल करने का कोई विधिक अधिकार नहीं। सिविल वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाया। मुस्लिम पक्ष की दलील जारी है। मुस्लिम पक्ष के दूसरे अधिवक्ता पुनीत गुप्ता भी बहस कर रहे हैं। मुस्लिम पक्ष की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने कहा सिविल वाद में साक्ष्य की प्रक्रिया पूरी हुए बिना वैज्ञानिक सर्वे किया जाना गलत है। सिविल वाद में इस स्टेज पर वैज्ञानिक सर्वे का आदेश जल्दबाजी में दिया गया है।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि एएसआई ज्ञानवापी में क्या करेगी और क्यों वहां जा रही है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह से पूछा सवाल। कोर्ट ने पूछा किस तरह सर्वेक्षण करेगी। खुदाई करेंगे या नहीं।
हिंदू पक्ष के वकील का दावा- 1993 तक होती थी विवादित स्थल की पूजा
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर तर्क दिया कि नवंबर 1993 तक विवादित स्थल पर की गई है पूजा। मां श्रृंगार गौरी, हनुमानजी, भगवान गणेश और भगवान शिव की पूजा हुई हुई है। विवादित स्थल पर परिक्रमा होती रही है। हिंदू पक्ष ने यह भी दावा किया की औरंगजेब ने मंदिर का विध्वंस किया था।
सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि विधि क्या है। वैज्ञानिक सर्वे केसे होगा। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के वैज्ञानिक कितनी देर में कोर्ट में हाजिर हो सकते हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी केस की सुनवाई फिर शुरू हो गई है। दोनों पक्ष के वकील कोर्ट में मौजूद हैं। ।ैप् के वैज्ञानिक आलोक त्रिपाठी कोर्ट में पेश हुए। वह कोर्ट को बता रहे हैं कि जीपीआर विधि और फोटोग्राफी विधि से कैसे सर्वेक्षण किया जाएगा। आलोक ने कोर्ट को बताया कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण से मूल ढांचे को नहीं होगा कोई नुकसान।
अनुमति मिली तो 31 जुलाई तक पूरा हो जाएगा सर्वे,
हाईकोर्ट ने एएसआई से पूछा कब तक सर्वे पूरा कर लेंगे। एएसआई ने कहा अगर अनुमति मिली तो 31 जुलाई तक सर्वे पूरा हो जाएगा। कोर्ट में एएसआई से पूछा आप पक्षकार नहीं हैं तो आप कैसे आए पिक्चर में। आपको किसी की संपत्ति में सर्वे करने का लाइसेंस किसने दे दिया।
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