बहादुरगढ़/नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- आगामी विधानसभा चुनाव में बहादुरगढ़ सीट पर मुकाबला काफी कड़ा होने की उम्मीद है, लेकिन केवल कुछ ही उम्मीदवार अपनी जमानत बचा पाएंगे। मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसा माना जा सकता है कि इस बार केवल तीन या चार उम्मीदवार ही जमानत बचाने लायक वोट हासिल करेंगे। इनमें से एक तो विजेता होगा, दूसरा उपविजेता, और तीसरे स्थान पर आने वाला उम्मीदवार भी अपनी जमानत बचा लेगा। चौथे स्थान पर आने वाले उम्मीदवार की जमानत बचनी मुश्किल है, और अगर वह बचा भी लेता है तो बेहद कम अंतर से, अन्यथा नहीं।
बहादुरगढ़ में फिलहाल कुल 2,45,974 पंजीकृत मतदाता हैं। पिछली बार 62.8% मतदान हुआ था। इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। यदि इस बार करीब 1.60 लाख (1,60,000) वोट पड़ते हैं, तो किसी उम्मीदवार को अपनी जमानत बचाने के लिए कम से कम 26,600 वोट हासिल करने होंगे। चुनाव नियमों के अनुसार, किसी भी उम्मीदवार को अपनी जमानत बचाने के लिए कुल पड़े हुए वोटों का एक-छठा (16.67%) वोट मिलना जरूरी होता है।
इन आंकड़ों के आधार पर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि कौन उम्मीदवार यह 26,600 वोट का आंकड़ा पार कर पाएगा। मुख्य राजनीतिक दलों के उम्मीदवार इस लक्ष्मण रेखा को पार कर सकते हैं, जबकि स्वतंत्र या कम प्रसिद्ध उम्मीदवारों के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
आइए, मुख्य उम्मीदवारों और उनके जमानत बचाने की संभावनाओं पर नजर डालते हैं:
विजेता उम्मीदवार: इस उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलेंगे, और यह 26,600 वोट की जरूरत से कहीं अधिक वोट हासिल करेगा।
उपविजेता: दूसरे स्थान पर रहने वाला उम्मीदवार भी जरूरी वोटों से अधिक वोट हासिल करेगा, क्योंकि वह अक्सर प्रमुख पार्टी से होता है या उसके पास मजबूत जनसमर्थन होता है।
तीसरे स्थान का उम्मीदवार: यह उम्मीदवार थोड़ी कठिनाई में हो सकता है, लेकिन फिर भी उसे पर्याप्त वोट मिल सकते हैं, खासकर तब जब मुकाबला कड़ा हो और वोट कई उम्मीदवारों में बंट जाएं।
चौथे स्थान का उम्मीदवार: अगर मुकाबला करीबी हुआ, तो चौथे स्थान पर आने वाला उम्मीदवार मुश्किल से अपनी जमानत बचा पाएगा। लेकिन इसके लिए भी उसे बहुत कम वोटों का अंतर तय करेगा कि उसकी जमानत बचेगी या नहीं।
अंततः, बहादुरगढ़ में इस बार जोरदार मुकाबला होने की उम्मीद है, लेकिन केवल तीन या चार उम्मीदवार ही 26,600 वोट की सीमा पार कर अपनी जमानत बचा पाएंगे। बाकी उम्मीदवारों को पर्याप्त वोट नहीं मिलेंगे, जिससे उनकी जमानत जब्त हो जाएगी। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, देखना दिलचस्प होगा कि कौन-कौन से उम्मीदवार इस महत्वपूर्ण आंकड़े को पार कर पाते हैं।
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