उत्तर प्रदेश/फतेहपुर/सिमरन मोरया/- उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के अबू नगर मोहल्ले में स्थित फतेहपुर मकबरा इन दिनों गहरे विवादों में घिरा हुआ है। हिंदू संगठनों का दावा है कि यह मकबरा वास्तव में हजारों साल पुराना भगवान शिव और श्रीकृष्ण का मंदिर है। उनका कहना है कि यहां शिवलिंग मौजूद है और बरामदे में पहले नंदी जी विराजमान थे। मकबरे की दीवारों और गुंबदों पर बने फूल, त्रिशूल जैसी आकृतियों को भी वे अपने दावे का सबूत मानते हैं। इसी के चलते वे यहां पूजा-पाठ करने पर अड़े हुए हैं।
दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मकबरा मुगलकालीन है और इसे नवाब अब्दुल समद की मजार के रूप में जाना जाता है। वर्तमान में खुद को मकबरे का मुतवल्ली बताने वाले मोहम्मद नफीस के अनुसार, इसे मुगल शासक अकबर के पौत्र ने लगभग 500 वर्ष पहले बनवाया था। निर्माण में दस वर्ष लगे और यहां अबू मोहम्मद व अबू समद की मजारें हैं। मकबरा करीब साढ़े 12 बीघे में फैला है और मौजूदा विवाद जमीन को लेकर है, जिसमें नफीस का आरोप है कि भूमाफियाओं की नजर इस संपत्ति पर है।
बीते सोमवार को विवाद तब और बढ़ गया जब सैकड़ों की संख्या में हिंदू पक्ष के लोग मकबरे में घुसकर तोड़फोड़ करने लगे। इससे माहौल तनावपूर्ण हो गया और प्रशासन ने मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया। तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है।
फतेहपुर शहर का इतिहास बेहद प्राचीन और पौराणिक काल से जुड़ा माना जाता है। यह गंगा और यमुना नदियों के बीच बसा है। नामकरण को लेकर दो प्रमुख मान्यताएं हैं—पहली के अनुसार, जौनपुर के इब्राहिम शाह ने अथगढ़िया के राजा सीतानंद को हराने के बाद इसका नाम फतेहपुर रखा, जबकि दूसरी मान्यता में कहा गया है कि 1519 ईस्वी में फतेहमंद खान ने इस शहर की स्थापना की थी और उनके नाम पर ही इसका नाम पड़ा।


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