मानसी शर्मा / – भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के नए अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के करीबी संजय सिंह के बनने के साथ ही ओलंपिक पदक विजेता पहलवानों का विरोध प्रदर्शन एक बार फिर उजागर हो गया है और साक्षी मलिक (Sakshi Malik) के संन्यास और बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) के द्वारा पदक लौटाये जाने के बाद से ही ये मामला तूल पकड़ने लगा है।
पिछले साल हुए बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रहे बजरंग पुनिया ने अपना पद्म श्री मध्य दिल्ली में कर्तव्य पथ के पास फुटपाथ पर रख दिया और कहा कि वह अब ये पदक घर वापस नहीं ले जाएंगे।
इस दौरान पुनिया ने कहा, “हम अपनी बेटियों और बहनों के लिए लड़ रहे थे। मैं उन्हें न्याय नहीं दिला सका। इसके कारण, मुझे लगता है कि मैं इस सम्मान के लायक नहीं हूं। मैं यहां अपना पुरस्कार लौटाने आया था, हालांकि, मैं नहीं मिल सका पीएम के साथ क्योंकि मेरे पास अपॉइंटमेंट नहीं था। पीएम का कार्यक्रम व्यस्त है। इसलिए मैं अपना पुरस्कार पीएम को लिखे पत्र पर रख रहा हूं। मैं यह पदक अपने घर नहीं ले जाऊंगा।”
हालांकि की इसे बाद कुछ ऐसा हुआ जिससे ये मुद्दा और गर्म हो गया क्योंकि अपना पदक लौटाने के बाद बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक समेत कई पहलवानों से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने मुलाकात की। जिसके बाद से ये मुद्दा राजनीतिक मोड़ लेने लगा और सवाल उठने लगे कि क्या ये किसी के इशारे पर हो रहा है। एक इंटरव्यू में जब साक्षी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने का सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, अभी ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है।
प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने पहलवानों की लड़ाई में हर तरह से समर्थन देने का आश्वासन दिया। प्रियंका ने कहा कि पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करने वाली महिला पहलवानों ने भाजपा सांसद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था लेकिन सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा, भारतीय जनता पार्टी अब भी आरोपी के साथ खड़ी है और देश की महिलाएं इन अत्याचारों को देख रही हैं।
आपको बता दे 21 दिसंबर को WFI के नए अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के काबिज होने से एक नया विवाद शुरू हो गया है और इस जीत के तुरंत बाद ही जीत से निराश होकर साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा कर दी।
गौरतलब है कि बृजभूषण शरण सिंह पर महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण का आरोप लगा था। इसे लेकर लंबे समय तक महिला खिलाड़ियों ने धरना-प्रदर्शन किया था। मगर खेल मंत्रालय का रवैया इस मामले में पक्षपातपूर्ण ही देखा गया था। तब अदालत के हस्तक्षेप से बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा सकी थी। फिर भी दिल्ली पुलिस जांच में कोताही बरतती देखी गई थी। अंतत: अदालत की सख्ती के बाद उनके खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल हो सका था।इसलिए अदालत ने उनके और उनके परिवार के किसी सदस्य के महासंघ का चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी।
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