• DENTOTO
  • पेंडिंग मामलों पर ध्यान नहीं दे पाने पर सीजेआई ने जताया अफसोस

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    April 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    282930  
    April 24, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    पेंडिंग मामलों पर ध्यान नहीं दे पाने पर सीजेआई ने जताया अफसोस

    -रिटायर होने से पहले जूनियर वकीलों को दिए टिप्स

    नई दिल्ली/- भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में रिटायर हो रहे जस्टिस एनवी रमना. सीजेआई ने पेंडिंग मामलों पर अधिक ध्यान नहीं दे पाने को लेकर अपना खेद जताया। रिटायर होने से पहले सीजेआई ने कहा कि समाधान खोजने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस को तैनात करने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने युवा वकीलों को अपने मामलों को शीर्ष अदालत में सूचीबद्ध कराने में आने वाली समस्याओं का भी जिक्र किया। दिन के अपने पहले विदाई भाषण में, न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि न्यायपालिका की जरूरतें बाकी जरूरतों से अलग थींं। साथ ही सीजेआई ने कहा कि जब तक बार एसोसिएशन अपने पूरे दिल से सहयोग करने को तैयार नहीं होता, तब तक आवश्यक बदलाव लाना मुश्किल होगा.।
                 औपचारिक पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति रमना ने कहा, “हालांकि हमने कुछ मॉड्यूल विकसित करने की कोशिश की, लेकिन अनुकूलता और सुरक्षा मुद्दों के कारण, हम ज्यादा प्रगति नहीं कर सके.।” उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी प्राथमिकता अदालतों को चलाना था लेकिन कामर्शियल प्रतिष्ठानों की तरह वह सीधे बाजार से तकनीकी उपकरणों को नहीं ले सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि लंबित मामले हमारे सामने एक बड़ी चुनौती हैं। सीजेआई के मुताबिक वह पेंडिंग मामलों पर अधिक ध्यान नहीं दे सकें और इसके लिए उन्हें खेद है।

    ‘जूनियर का मार्गदर्शन करें वरिष्ठ वकील’
    जूनियर वकीलों पर अपनी राय देते हुए चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि पेशे में प्रवेश करने वाले जूनियर वरिष्ठ वकीलों को अपने आदर्श के रूप में देखते हैं। उन्होंने सभी वरिष्ठों से अनुरोध किया कि वे जूनियर वकीलों को सही रास्ते पर चलने के लिए मार्गदर्शन करें। सीजेआई ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका समय के साथ विकसित हुई है और इसे किसी एक आदेश या निर्णय से परिभाषित या आंका नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब तक संस्था की विश्वसनीयता की रक्षा नहीं की जाती हैं। इस न्यायालय के अधिकारी होने के नाते, लोगों और समाज से सम्मान प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

    पहली बार शीर्ष अदालत में 34 न्यायाधीशों की पूरी ताकत
    अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने ब्श्रप् के कार्यों की तारीफ करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय में 224 रिक्तियों को दाखिल किया गया था और न्यायाधिकरण में 100 से अधिक सदस्यों को प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति रमना के कार्यकाल के दौरान नियुक्त किया गया था। उन्होंने सीजेआई की उपलब्धियों को ‘उल्लेखनीय’ करार दिया और कहा कि रिक्तियां उनके कार्यकाल के दौरान भरी गईं और पहली बार शीर्ष अदालत में 34 न्यायाधीशों की पूरी ताकत थी।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox