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    निष्कासित 991 आंगनवाड़ी वर्करों ने दिल्ली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया तेज, सीएम के पोस्टर पर कालिख पोती

    -रविवार को नजफगढ़ में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने किया मंत्री कैलाश गहलोत के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन -गलत सूचनाओं के आधार पर आंगनवाड़ी वर्करों को बनाया जा रहा निशाना, सरकार विरोध प्रदर्शन का ले रही बदला -दिल्ली सरकार ने लगाया ऐस्मा, ज्वाइनिंग के बाद की वर्करों के खिलाफ निष्कासन की कार्यवाही

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- दिल्ली सरकार अब आंगनवाड़ी वर्करों के खिलाफ मनमानी पर उतर आई है। पहले ऐस्मा लगाकर उनकी हड़ताल खत्म कराई फिर उनपर नौकरी पर जाने का दबाव बनाया और अब ज्वाइनिंग के बाद उन्हे निष्कासित कर आखिर सरकार क्या दिखाना चाह रही है। अरविंद केजरीवाल ने अपनी जायज मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही हजारों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मानदेय बढौतरी का झांसा तो दे दिया लेकिन वो उनके आंदोलन को खत्म नही करा पाये जिसके लिए उन्होने विभाग का मंत्री तक बदल डाला और नजफगढ़ विधायक व परिवहन तथा उर्जा मंत्री को एक बाल कल्याण विभाग भी सौंप दिया। लेकिन जिन 991 वर्करों को चालबाजी के तहत निष्कासित किया है वह सरकार को भारी पड़ेगा। यह कहना है आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का जो सरकार पर अब उनके संगठन में फूट डालने का आरोप भी लगा रही हैं।


                    रविवार को बाल कल्याण विभाग से निष्कासित 991 आंगनवाड़ी वर्करों ने मंत्री कैलाश गहलोत के कार्यालय पर जोर दार तरीके से विरोध प्रदर्श न किया। वर्करों ने एक तरफ जहां सरकार व मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की वहीं कैलाश गहलोत के कार्यालय पर लगे सीएम केजरीवाल के पोस्टर पर कालिख भी पोत दी। इतना ही नही मंत्री कैलाश गहलोत के कार्यालय के बाहर लगे आम आदमी पार्टी के नेताओं के पोस्टर व बैनर भी फाड़ दिये गये। इस अवसर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है और यह सब मंत्री कैलाश गहलोत का किया धरा है। यहां बता दें कि सीएम केजरीवाल ने समाज कल्याण व बाल विकास मंत्रालय अभी हाल ही में कैलाश गहलोत के जन्मदिन पर उन्हे सौंपा गया है जो पहले राजेन्द्र पाल गौतम के पास था।
                      आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि दिल्ली सरकार ने ऐस्मा लगाकर सभी वर्करों को अपनी डयूटी पर जाने का आदेश दिया था जिसका सभी ने पालन भी किया लेकिन फिर बाद में सरकार ने 991 वर्करों को निष्कासित कर उन्हे नोटिस दे दिये जो सरासर गलत है। हमने सरकार से बात भी करनी चाही लेकिन ना सीएम ने और ना ही मंत्री ने उन्हे मिलने का समय दिया। उन्होने बताया कि 2016 से वो अपनी मांगों को लेकर सरकार से अपील कर रही है लेकिन आज तक कोई सुनवाई नही हुई है। उन्होने बताया कि 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आंगनवाड़ी वर्करों के मानदेय में 1500 रूपये की बढौतरी की थी जो आज तक नही मिला है। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना का पैसा अभी तक नही मिला है। जनवरी से अब तक सैलरी नही मिली है। सीवीई गतिविधि के पैसे नही मिले है। 2016 से अब तक पेंशन इंक्वायरी का पैसा नही दिया गया है जो 30 रूपये प्रति फॉर्म होता है। हालांकि केजरीवाल सीएम ने पांच राज्यों के चुनावों से पहले वर्करों के मानदेय में 3000 रूपये बढौतरी का ऐलान किया था लेकिन चुनाव खत्म होते ही निष्कासन का तौफा दिया जा रहा है। जबकि उनकी मांग 25 हजार की थी और सभी सरकारी कर्मचारियों के समान सुविधाये देने की थी जिस पर सरकार ध्यान ही नही दे रही है।


                     वर्करों का कहना है कि कोरोना में उन्होने अपनी जान की परवाह किये बिना घरों से बाहर निकलकर लोगों की सेवा की। मंहगाई दोगुनी हो गई। सरकारी कर्मचारियों के भत्ते बढ़ गये। मंत्रियों-संतरियों की सैलरी बढ़ गई लेकिन उन्हे सरकार ने इतना नही दिया की वो अपने परिवार का गुजारा ठीक से कर सकें। जबकि उनसे काम पूरा-पूरा दिन लिया गया। उन्होने आंगनवाड़ी वर्करों के निष्कासन पर कहा कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है और जब तक सरकार अपना आदेश वापिस नही लेगी तब तक उसके खिलाफ धरना-प्रदर्शन अलग-अलग स्थानों पर जारी रहेगा। हर मंडल के हिसाब से आंगनवाड़ी वर्कर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे।
                     हालांकि इस मुद्दे पर बाल विकास मंत्री कैलाश गहलोत से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होने कोई जवाब नही दिया।

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