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    June 21, 2025

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    नाइजीरिया ने भारतीय तकनीक पर जताया भरोसा, भारत से खरीदे 4 ‘प्रचंड’ हेलिकॉप्टर!

    मानसी शर्मा /- भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, और अब इसका प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखने को मिल रहा है। हाल के वर्षों में, भारत ने कई रक्षा उपकरण, हथियार, और हेलिकॉप्टर का निर्माण स्वदेशी स्तर पर शुरू किया है। अब इस प्रयास का परिणाम भी हमें देखने को मिल रहा है।

    हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित ‘प्रचंड’ लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर नाइजीरिया के रक्षा बेड़े में शामिल होने जा रहा है। नाइजीरिया HAL से 4 ‘प्रचंड’ हेलिकॉप्टर खरीदने की तैयारी कर रहा है और इसके लिए सॉफ्ट क्रेडिट की व्यवस्था कर रहा है। नाइजीरियाई सेना के अधिकारी पहले ही ध्रुव हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण ले चुके हैं।  

    ‘प्रचंड’ हेलिकॉप्टर की प्रमुख विशेषताएँ

    हेलीकॉप्टर की रफ्तार और वजन: ‘प्रचंड’ हेलिकॉप्टर का वजन 5800किलोग्राम है, जिससे यह हल्का और दक्ष बनता है। इसकी लंबाई 51.10फीट और ऊंचाई 15.5फीट है। यह हेलिकॉप्टर 268किमी प्रति घंटा की अधिकतम गति से उड़ सकता है और इसकी कॉम्बैट रेंज 550किलोमीटर है।

    ‘प्रचंड’ की उड़ान क्षमता:’प्रचंड’ एक बार में सवा तीन घंटे तक लगातार उड़ान भर सकते हैं, जो उनकी उच्च उड़ान क्षमता को दर्शाता है। इसे 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की आवश्यकताओं के आधार पर विकसित किया गया था।

    अत्याधुनिक सुरक्षा और हथियार प्रणाली:इस हेलिकॉप्टर में एक 20मिमी M621कैनन या नेक्स्टर THL-20टरेट गन की क्षमता है। इसके अलावा, इसमें चार हार्डपॉइंट्स पर रॉकेट, मिसाइल, या बम फिट किए जा सकते हैं। ‘प्रचंड’ में उन्नत एवियोनिक्स सिस्टम, रडार और लेजर वॉर्निंग सिस्टम जैसे सुरक्षा तंत्र भी लगे हैं, जो इसे दुश्मनों के हमलों से बचाने में सक्षम बनाते हैं।

    विश्व स्तर पर बढ़ रही है भारतीय तकनीक की स्वीकार्यता

    ‘प्रचंड’ हेलिकॉप्टर का विकास कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की विशिष्ट जरूरतों को ध्यान में रखकर किया गया था। इसे ध्रुव हेलिकॉप्टरों की तकनीक पर आधारित किया गया है, और भारतीय रक्षा बलों के लिए इसकी भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।

    इस तरह, ‘प्रचंड’ हेलिकॉप्टर की अंतरराष्ट्रीय मान्यता और नाइजीरिया द्वारा इसकी खरीद, भारतीय रक्षा उद्योग की बढ़ती आत्मनिर्भरता का एक प्रमुख उदाहरण है। यह न केवल भारतीय रक्षा उत्पादों की उत्कृष्टता को उजागर करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय तकनीक की स्वीकार्यता को भी दर्शाता है।

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