नहाय-खाय से आरंभ हुआ छठ महापर्व, छाई आस्था की लहर

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 22, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

नहाय-खाय से आरंभ हुआ छठ महापर्व, छाई आस्था की लहर

नई दिल्ली/उमा सक्सेना/-     आज से पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति का चार दिवसीय पर्व छठ महापर्व आरंभ हो गया है। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे कई राज्यों में सुबह से ही आस्था का वातावरण देखने को मिला। नहाय-खाय के साथ शुरू होने वाले इस पर्व में व्रती महिलाएं और पुरुष सूर्योदय से पहले स्नान कर पवित्रता का संकल्प लेते हैं। गंगाजल से स्नान करने के बाद व्रत की शुरुआत की जाती है, जो आने वाले चार दिनों तक चलती है।

शुद्धता और नियमों से जुड़ा पहला दिन ‘नहाय-खाय’
छठ पूजा का पहला दिन पूरी तरह शुद्धता और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन घरों की साफ-सफाई की जाती है, पूजा स्थल को सुसज्जित किया जाता है और सूर्यदेव के समक्ष घी का दीपक जलाया जाता है। नहाय-खाय के साथ व्रती अपने मन, वचन और कर्म को पवित्र रखते हुए व्रत का संकल्प लेते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किया गया स्नान और शुद्ध आहार पूरे छठ पर्व के फल को कई गुना बढ़ा देता है।

सूर्यदेव और छठी मईया की उपासना का पर्व
छठ महापर्व सूर्यदेव और छठी मईया की आराधना का प्रतीक है। यह पर्व प्रकृति, ऊर्जा और जीवन के प्रति आभार व्यक्त करने का माध्यम है। तीसरे दिन डूबते सूर्य को और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती अपने व्रत की पूर्णता करते हैं। माना जाता है कि इस उपासना से जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

सात्विक भोजन से होती है पूजा की शुरुआत
नहाय-खाय के दिन व्रती केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं। इस दिन कद्दू-भात, लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल का विशेष महत्व होता है। भोजन सेंधा नमक से तैयार किया जाता है और प्याज-लहसुन का प्रयोग वर्जित होता है। यह भोजन शुद्ध घी में पकाया जाता है और प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस सात्विक आहार से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है।

छठ पर्व का सामाजिक और आध्यात्मिक संदेश
छठ पूजा सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह जीवन में अनुशासन, संयम और कृतज्ञता का प्रतीक है। यह पर्व समाज में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और एकता का संदेश देता है। नहाय-खाय के साथ शुरू होकर छठ महापर्व सूर्य उपासना, मातृत्व और प्रकृति के प्रति आभार का उत्सव बन जाता है।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox