सेहत/नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- दुनियाभर में हृदय रोगों का खतरा तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है, और अब यह समस्या सिर्फ वृद्ध लोगों तक सीमित नहीं रह गई है। कम उम्र के लोग, यहां तक कि 20 वर्ष से कम आयु के युवाओं में भी हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। हाल के वर्षों में ऐसी घटनाओं में वृद्धि हुई है, जो लोगों को चौंका रही हैं।
ताजा घटनाएं
गुरुवार, 3 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री और सुरनकोट से बीजेपी उम्मीदवार सैयद मुश्ताक अहमद बुखारी का हार्ट अटैक से निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। इसी तरह, 1 अक्टूबर को हैदराबाद के एक शोरूम में 37 वर्षीय व्यक्ति की भी हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई, जब वह खरीदारी कर रहा था। इन घटनाओं ने फिर से लोगों का ध्यान बढ़ते हृदय रोगों की ओर आकर्षित किया है।
2010 में कम थे मामले
हार्ट अटैक के मामलों को लेकर जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं। नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स (एनसीएचएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में 18 से 44 वर्ष की आयु के केवल 0.3% अमेरिकी वयस्कों को दिल का दौरा पड़ा था। इस आयु वर्ग में हार्ट अटैक के मामले अभी भी कम पाए जाते हैं, लेकिन पिछले चार-पांच वर्षों में इसमें बढ़ोतरी हुई है। डॉक्टरों का मानना है कि अगर वजन को नियंत्रित किया जाए, तो हृदय रोगों के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
युवाओं में बढ़ता खतरा
एनसीएचएस के डेटा से पता चलता है कि हृदय रोगों के मामले वृद्ध लोगों में अधिक होते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में युवा आबादी में भी इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं। कोलंबिया विश्वविद्यालय के हृदय रोग विशेषज्ञ और महामारी विज्ञानी डॉ. एंड्रयू मोरन ने कहा है कि दुनियाभर में बढ़ते हार्ट अटैक और हृदय रोगों के मामलों के पीछे मोटापा एक प्रमुख कारण हो सकता है।
मोटापा और जीवनशैली एक बड़ी समस्या
डॉ. मोरन के अनुसार, मोटापा अब एक वैश्विक समस्या बन चुकी है, जो सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रही है, लेकिन खासकर युवा आबादी में इसका खतरा ज्यादा देखा जा रहा है। आजकल की बदलती जीवनशैली, अस्वास्थ्यकर खानपान, और शारीरिक गतिविधियों की कमी हृदय रोगों को बढ़ावा दे रही है। यदि समय रहते जीवनशैली में बदलाव नहीं किया गया, तो हृदय रोगों का खतरा और भी बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोग अब केवल उम्रदराज़ लोगों की समस्या नहीं रह गई है, बल्कि युवा आबादी में भी इसका जोखिम बढ़ता जा रहा है। जीवनशैली में सुधार, वजन का नियंत्रण, और स्वस्थ खानपान से इन रोगों के खतरे को कम किया जा सकता है। साथ ही, नियमित स्वास्थ्य जांच और सही जानकारी से हृदय रोगों से बचा जा सकता है।
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