नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- तिरुपति मंदिर प्रसाद विवाद को लेकर राजनीतिक बयानबाजी ने तूल पकड़ लिया है, और इसी बीच आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने तिरुपति मंदिर जाने और क्षमा अनुष्ठान करने का फैसला लिया है। इस अनुष्ठान के पीछे मुख्य उद्देश्य मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा तिरुपति लड्डू प्रसाद पर लगाए गए आरोपों के कथित ‘पाप’ का प्रायश्चित करना बताया जा रहा है।
नायडू ने पहले तिरुपति लड्डू प्रसाद में अशुद्धि का मुद्दा उठाया था और जगन मोहन रेड्डी सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। टीडीपी ने भी मिलावट के लिए सीधे तौर पर रेड्डी सरकार को दोषी ठहराया। हालांकि, चंद्रबाबू नायडू ने खुद पर लगे सभी आरोपों को निराधार करार देते हुए खारिज कर दिया।
प्रायश्चित के रूप में तिरुमला यात्रा
वाईएसआर कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि जगन मोहन रेड्डी 27 सितंबर को तिरुमाला पहुंचेंगे और वहां रात्रि विश्राम करेंगे। अगले दिन, 28 सितंबर को, वे भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करेंगे। इस दौरान उन्होंने राज्य के लोगों से आह्वान किया कि वे भी 28 सितंबर को प्रदेश के मंदिरों में पूजा-अर्चना करें, ताकि तिरुपति लड्डुओं पर लगे आरोपों के कारण मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा किए गए कथित ‘पाप’ का प्रायश्चित हो सके।
भाजपा और टीडीपी की मांगें
जगन मोहन रेड्डी की तिरुमला यात्रा पर भाजपा और टीडीपी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। आंध्र प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी ने कहा कि जगन मोहन रेड्डी तिरुमला यात्रा से पहले गरुड़ प्रतिमा के समक्ष अपनी आस्था की घोषणा करें। यह परंपरा है कि तिरुमला जाने से पहले अलीपीरी में गरुड़ प्रतिमा के समक्ष आस्था व्यक्त की जाती है। वहीं, टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम कुमार जैन ने सवाल किया कि क्या जगन रेड्डी एसआईसी (स्व-घोषणा पत्र) भरेंगे, जो हिंदू धर्म के प्रति उनकी आस्था को प्रमाणित करेगा, और फिर तिरुमला मंदिर में अपनी भक्ति व्यक्त करेंगे।
यह मामला तिरुपति मंदिर प्रसाद को लेकर उठे विवाद से जुड़ा है, लेकिन इसके पीछे राजनीतिक उद्देश्य भी साफ दिखाई दे रहे हैं।
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