श्रीनगर/शिव कुमार यादव/- 16 नवंबर की शाम जम्मू-कश्मीर के कुलगाम के सामनू इलाके में सुरक्षाबलों को आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों ने फायरिंग कर दी। इसके बाद एनकाउंटर शुरू हुआ। एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने 5 आतंकियों को ढेर कर दिया। मारे गये पांचों आतंकी लश्कर ए तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फोर्स के बताए जा रहे हैं। ऑपरेशन में सेना की 34वीं राष्ट्रीय राइफल्स, 9 पैरा (एलीट स्पेशल फोर्स यूनिट), सीआरपीएफ और राज्य पुलिस शामिल थी। एनकाउंटर करीब 19 घंटे तक चला।
कश्मीर जोन पुलिस के आईजीपी विके बिरदी के मुताबिक, सुरक्षा बलों को कुलगाम में कुछ आतंकवादियों की आवाजाही के बारे में एक खुफिया इनपुट मिला था। तलाशी अभियान के दौरान, एक आतंकवादी ने एक घर से गोलीबारी की जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। एनकाउंटर गुरुवार शाम साढ़े 4 बजे से शुरू हुआ था। देर रात अंधेरे की वजह से इसे रोक दिया गया, लेकिन सुबह होते ही एक बार फिर फायरिंग शुरू हो गई। आज सुबह एनकाउंटर में 5 आतंकी मारे गए। पांचों आतंकी जिस घर में छिपे हुए थे, क्रॉस फायरिंग के दौरान उसमें आग लग गई। आतंकियों की बॉडी ड्रोन कैमरा के जरिए देखी गई है।
आर्टिकल 370 हटने के बाद से नाम बदलकर ऑपरेट कर रहा लश्कर-ए-तैयबा
लश्कर-ए-तैयबा अब कश्मीर घाटी में द रेजिस्टेंस फोर्स के नाम से ऑपरेट कर रहा है। सुरक्षाबलों के अधिकारी बताते हैं कि 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से एलईटी ने सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा किया है। दो वजहों से लश्कर-ए-तैयबा ने नाम बदला है। रेजिस्टेंस फ्रंट जैसा नाम रखने से आतंकियों की हथियारबंद लड़ाई को स्थानीय कश्मीरी लड़कों की लड़ाई जैसे दिखाया जाता है। ये नाम सेक्युलर भी है जो फॉरेन मीडिया को ज्यादा आकर्षित करता है और कश्मीर के संघर्ष की नई तस्वीर पेश करता है।
अक्टूबर में आतंकियों ने पुलिस इंस्पेक्टर को गोली मारी थी
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में पिछले महीने ईदगाह इलाके में एक आतंकी ने पुलिस इंस्पेक्टर को तीन गोलियां मारी थीं। गोलियां उनके पेट, गर्दन और आंख में लगी थीं। इंस्पेक्टर की पहचान मसरूर अली वानी के रूप में हुई थी। मसरूर येचिपोरा ईदगाह इलाके के रहने वाले हैं। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन एलईटी ने ली है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हमला उस समय हुआ, जब मसरूर वानी स्थानीय लड़कों के साथ क्रिकेट खेल रहे थे।
सितंबर में 3 अफसर, 2 जवान शहीद हुए थे
जम्मू-कश्मीर में 13 सितंबर को आतंकियों के साथ दो मुठभेड़ों में 3 अफसर और दो जवान शहीद हो गए थे। शहीद अफसरों में सेना के एक कर्नल, एक मेजर और पुलिस के एक क्ैच् शामिल थे। आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर उस वक्त गोली चला दी, जब वे सर्च ऑपरेशन चला रहे थे। एक जवान की मौत राजौरी में हुई। इस दौरान दो आतंकी भी मारे गए। यहां सर्चिंग के दौरान मंगलवार को सेना के डॉग की भी मौत हो गई। उसने अपने हैंडलर की जान बचाने के लिए खुद की जिंदगी दांव पर लगा दी।
10 अक्टूबर को दो आतंकी ढेर
जम्मू-कश्मीर के शोपियां के अलशीपोरा में 10 अक्टूबर को सेना के एनकाउंटर में दो आतंकी मारे गए थे। इनकी पहचान मोरीफत मकबूल और जाजिम फारूख उर्फ अबरार के नाम से हुई। दोनों लश्कर-ए-तैयबा आतंकी संगठन से जुड़े थे। कश्मीर के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ने बताया कि आतंकी अबरार कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या में शामिल था। इलाके में बड़ी संख्या में सैन्य बल तैनात हैं। और भी आतंकियों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है।
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