चुनाव आयोग का फैसला होगा स्वीकार्य- अजित पवार

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चुनाव आयोग का फैसला होगा स्वीकार्य- अजित पवार

-एनसीपी पर दावेदारी को लेकर अजित ने किया साफ, सीएम बनने की खबरों को किया खारिज

मुंबई/शिव कुमार यादव/- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की दावेदारी को लेकर निर्वाचन आयोग में शरद पवार और भतीजे अजित पवार में लड़ाई चल रही है। एनसीपी से बगावत कर भाजपा के साथ जाने वाले अजित गुट ने पार्टी के चुनाव चिंह व नाम को लेकर चुनाव आयोग का रूख किया था लेकिन अब निर्वाचन आयोग की सुनवाई पर  महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि आयोग का जो भी फैसला होगा उसे स्वीकार किया जाएगा। वहीं, उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की खबरों को भी खारिज कर दिया है।

वहीं, पत्रकारों ने जब महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार से सीएम बनने के बारे में पूछा तो तो उन्होंने कहा कि इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है। वह केवल विकास के बारे में सोचते हैं। अजित पवार का कहना है कि इससे पहले जब आरक्षण दिया गया था तो कोर्ट ने शिक्षा में आरक्षण की अनुमति दी थी, लेकिन रोजगार में नहीं। उन्होंने कहा, ‘यह तीन दलों की सरकार है। इसलिए मैं इस मुद्दे को सीएम और डिप्टी सीएम के सामने रखूंगा और हम इसके लिए एक समाधान खोजने की कोशिश करेंगे।’

अजित की बगावत के बाद बदले हालात
गौरतलब है, पांच जुलाई को निर्वाचन आयोग को 40 सांसदों, विधायकों और एमएलसी के हलफनामों के साथ-साथ कुछ एनसीपी सदस्यों का एक प्रस्ताव भी मिला था, जिसमें उन्होंने अजित पवार को एनसीपी प्रमुख के रूप में चुना था। इस संबंध में पत्र 30 जून को लिखा गया था। इससे दो दिन पहले अजित पवार ने एनसीपी को दो फाड़ कर दिया था और आठ मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण की थी। अजित ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

चुनाव आयोग ने क्या कहा था?
दोनों शरद पवार गुट और अजित पवार खेमे ने पार्टी के नाम और निशान के दावे पर चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देने के लिए चार सप्ताह की मोहलत मांगी थी। इस पर बाद में 14 अगस्त को, चुनाव आयोग ने एनसीपी के विरोधी गुटों को पार्टी के नाम और निशान से संबंधित नोटिस का जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है।

27 जुलाई को मामले में नोटिस जारी किया था
इससे पहले चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को मामले में नोटिस जारी किया था। आयोग ने दोनों खेमों से असली पार्टी होने के दावे से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। चुनाव आयोग ने दोनों खेमों को तय समय में दस्तावेजों का आदान-प्रदान करने को कहा था।

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