चीन ने एक बार फिर अरूणाचल व अक्साई चिन को बताया कानूनन अपना हिस्सा

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

October 2024
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  
October 18, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

चीन ने एक बार फिर अरूणाचल व अक्साई चिन को बताया कानूनन अपना हिस्सा

-भारत को शांत रहने व ज्यादा बात न करने की दी नसीहत -भारत के विदेश मंत्री ने कहा यह चीन की पुरानी आदत, उसके दावों से कुछ नही होता

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/– पिछले सप्ताह जोहांसबर्ग में भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी व चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी और दोनो पक्षों ने शांति व सदभाव बनाये रखने की वकालत की थी। लेकिन इसके ठीक विपरीत चीन ने एक सप्ताह बाद ही अपना असली रंग दिखाते हुए एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपने नक्शे में दिखाकर कानूनन उसे अपना क्षेत्र बताया है। उसने अपनी इस बात को जायज ठहराने के लिए इसे सामान्य बात बताया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार 30 अगस्त को कहा कि चीन के नक्शे का 2023 एडिशन जारी करना सामान्य प्रक्रिया है। यह नक्शा चीन की संप्रुभता और अखंडता को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है। यह हिस्सा कानूनन हमारा है। उनके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष (भारत) इस मुद्दे पर शांत रहेगा और इस पर ज्यादा बात करने से बचेगा। वहीं भारत के विदेश मंत्री ने चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना बताने के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। कहा कि ये चाइना की पुरानी आदत है।

             चीन ने 28 अगस्त को अपना ऑफिशियल मैप जारी किया था। इसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चीन, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को अपने क्षेत्र में दिखाया था। चीन के सरकारी न्यूज पेपर ने एक्स एप पर दोपहर 3ः47 बजे नया मैप पोस्ट किया था। इस पर भारत के विदेश मंत्री ने कहा था कि चीन की यह पुरानी आदत है। उनके दावों से कुछ नहीं होता।

विदेश मंत्री ने कहा था- चीन पहले भी ऐसे दावे करता रहा है
हाल ही में मीडिया से बात करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत के इलाकों को अपना बताने के चीन के दावे को सिरे से खारिज कर दिया था। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था- चीन ने नक्शे में जिन इलाकों को अपना बताया है, वो उनके नहीं हैं। ऐसा करना चीन की पुरानी आदत है। उन्होंने कहा- अक्साई चिन और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है। पहले भी चीन भारत के हिस्सों के लेकर नक्शे निकालता रहा है। उसके दावों से कुछ नहीं होता। हमारी सरकार का रुख साफ है। बेकार के दावों से ऐसा नहीं हो जाता कि किसी और के इलाके आपके हो जाएंगे।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा- चीन का दावा बेतुका
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी चीन के दावे को बेतुका बताया था। तिवारी ने कहा था- चीनी मैप मानक मानचित्र नहीं हैं। ये चीन-भारत सीमा विवाद के इतिहास से मेल नहीं खाते। ऐसे में चीन का दावा बेतुका है। आज असली मुद्दा यह है चीनियों ने थिएटर स्तर पर कई बिंदुओं पर वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया है। तिवारी ने कहा था- सितंबर में होने वाले जी-20 मीटिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आ रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में सरकार को गंभीरता से आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या जिनपिंग की मेजबानी करना भारत के स्वाभिमान के अनुरूप होगा।
              उन्होने कहा कि चीन ने एलएसी के साथ 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है, जिसे खाली करने की जरूरत है। संक्षेप में कहें तो, चीनी मानचित्र बेतुके हैं, वे चीन के इतिहास के साथ मेल नहीं खाते हैं।

चीन ने अप्रैल में अरुणाचल के 11 जगहों के नाम बदले थे
इससे पहले चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया है। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।

भारत ने कहा था- नाम बदलने से हकीकत नहीं बदल जाएगी
भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन की इस हरकत पर पलटवार किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था- हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा था, हिस्सा है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।

अरुणाचल और अक्साई चिन पर भी विवाद
दोनों देशों में 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) को लेकर विवाद है। हालांकि, चीन अरुणाचल प्रदेश वाले हिस्से को भी विवादित मानता है। अरुणाचल प्रदेश की 1126 किलोमीटर लंबी सीमा चीन के साथ और 520 किलोमीटर लंबी सीमा के साथ मिलती है। चीन का दावा है कि अरुणाचल पारंपरिक तौर पर दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, वहीं भारत अक्साई चिन इलाके को अपना बताता है। 1962 के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया था।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox