खबर विशेष/- कृष्ण एक अलौकिक विलक्षण बालक है जिसकी कल्पना हर माँ अपने बच्चे में करती हैं। श्री कृष्ण को जानना एक श्रेष्ठ गुरु, एक श्रेष्ठ सखा, एक श्रेष्ठ दार्शनिक और एक श्रेष्ठ बालक को जानना है। कृष्ण जीवन में सकारात्मकता और खुशियों का संदेश देते हैं। कृष्ण ने कारावास में जन्म लिया और एक सामान्य बालक की तरह अपने मित्रों के साथ खेलना और उनके दुःख-दर्द मिटाना, उन्हें साझेदारी का समभाव सिखाना यह सब की सब कृष्ण की अनूठी शिक्षाएँ हैं।
हर्ष-विषाद में समभाव का संदेश देते है श्रीकृष्ण।
श्यामवरण, मनमोहक सौन्दर्य का रूप है श्रीकृष्ण।
श्रेष्ठ गुरु, सखा, स्वामी के प्रवर्तक रूप है श्री कृष्ण।
कोरोना काल की विभीषिका को झेलने के पश्चात विद्यार्थियों के कौशल को कोरोना काल से कुंठित होने से बचाने के लिए विभिन्न स्कूलों द्वारा कुछ नवीन प्रयास किए जा रहे हैं, उन्हीं में से के.सी.किड्स प्ले स्कूल, ऊधमपुर ने कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के माध्यम से बच्चों को कई तरह की शिक्षाओं से जोड़ा जैसेः कृष्ण की तरह नृत्य करना, उनका संगीत से प्रेम, प्रकृति प्रेम, ग्वाला बनकर पशु प्रेम और संरक्षण को प्रदर्शित करना। स्कूल प्रयासरत है बच्चों को एक्टिविटी ओरिएंटेड एजुकेशन देकर उनमें क्रियात्मक, कलात्मक एवं प्रयोगात्मक गुणों को विकसित करने में। उन्होंने कृष्ण की वेशभूषा, नृत्य, उनके सखा, माता-पिता, जन्म-भूमि इत्यादि की जानकारी बच्चों को दी। उक्त कार्यक्रम में एन.सी.सी. अधिकारी एवं शिक्षिका डॉ. रीता माहेश्वरी तथा कवयित्री एवं लेखिका डॉ. रीना रवि मालपानी की उपस्थिति प्रधान रही। कार्यक्रम की संयोजक कोऑर्डिनेटर रेखा गुप्ता रही। बच्चों के विभिन्न सुंदर छायाचित्र सीमा प्रोडक्शन, ऊधमपुर ने संकलित किए। कृष्ण जन्माष्टमी कार्यक्रम में बच्चों ने कृष्ण, सुदामा, बलराम, राधा रानी बनकर विभिन्न लीलाएँ प्रस्तुत की। मटकी फोड़, माखन चोर जैसी विभिन्न लीलाओं के द्वारा भी बच्चों ने कृष्ण के बालचरित्र को समझा। हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की एवं हरे कृष्ण हरे राम पर बच्चों ने खूब उत्साहित होकर नृत्य किया एवं कृष्ण के आगमन की खुशी को चहुं ओर फैलाया।
मीठी मधुर मुस्कान के प्रतिबिंब है श्री कृष्ण।
ममत्व का सहर्ष गुणगान करते है श्री कृष्ण।
बच्चों को त्यौहारों से जोड़ना, उनमें जीवन के प्रति आशावादी नजरिया एवं उमंगों को संचारित करता है। यदि बच्चों को प्रारंभ से ही अध्यात्म, भक्ति-भाव और ईश्वरीय आराधना से जोड़ा जाए तो वह जीवन में कभी भी नकारात्मकता और अवसाद के शिकार नहीं होंगे। बच्चों को जीवन को त्यौहार की तरह उमंग और उल्लास से जीने के लिए शिक्षा देनी चाहिए। कृष्ण के जीवन में बहुत से अभाव रहे पर उन्होंने आनंद और हर्ष उल्लास को कभी नहीं छोड़ा। यदि बच्चों को कृष्ण के चरित्र और उनकी शिक्षा का ज्ञान हो जाए तो वह सफलता के चरम को बड़ी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे एवं सकारात्मकता और आशावादी नजरिए से अपने जीवन में उपलब्धियों के कीर्तिमान रच सकेंगे।
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)
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