कैलिफोर्निया में जाति आधारित भेदभाव पर प्रतिबंध की मांग वाला बिल पास,

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March 28, 2025

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कैलिफोर्निया में जाति आधारित भेदभाव पर प्रतिबंध की मांग वाला बिल पास,

-किसी ने जताई खुशी तो कहीं हुआ विरोध

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/वाशिंगटन/शिव कुमार यादव/- भारतीय-अमेरिकी व्यापार और मंदिर संगठनों के कड़े विरोध के बीच कैलिफोर्निया में जातिगत भेदभाव पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाने वाला एक विधेयक राज्य की सीनेट न्यायपालिका समिति द्वारा सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है। इस बिल के पास होने से अधिकतर जगह लोगों ने खुशी जताई जबकि कुछ जगहों पर इसका विरोध भी हुआ।
               कैलिफोर्निया की सीनेट न्यायपालिका समिति ने मंगलवार को सर्वसम्मति से जाति-विरोधी भेदभाव बिल को सीनेट के पास भेजने के लिए सहमति जताई थी। बता दें, यह पहली बार है जब अमेरिका की राज्य विधानसभा जाति भेदभाव संबंधित कानून पर विचार किया गया है। यदि बिल पारित हो जाता है, तो अमेरिका का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य कैलिफोर्निया जाति-आधारित पूर्वाग्रह को खत्म करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।


                 कैलिफोर्निया स्थित इक्वैलिटी लैब्स की संस्थापक और ’द ट्रॉमा ऑफ कास्ट’ की लेखक थेनमोझी साउंडराजन ने कहा कि आज मैं जाति उत्पीड़ित समुदाय के सदस्यों के साथ खड़ी हूं। साथ ही जाति समानता को लेकर लड़ाई लड़ रहे लोगों के एकजुटता को लेकर गर्व महसूस कर रही हूं। उन्होंने कहा कि कैलिफोर्निया के लोगों को अब अपना हक मिल जाएगा। जिस सुरक्षा के लिए वह लड़ाई लड़ रहे थे, उसे उन्होंने करीब करीब प्राप्त ही कर लिया है।

कई सालों से चल रही लड़ाई
15 साल से चल रही लड़ाई को लेकर साउंडराजन ने कहा था कि इस बिल की आवश्यकता है। हमारे पास राज्य में किसी भी एशियाई अमेरिकी समुदाय के भेदभाव की उच्चतम दर है। यही कारण है कि हम अपनी आजादी के लिए लड़ रहे हैं।

लोगों ने किया समर्थन
हिंदू फॉर कास्ट इक्विटी की पूजा रेन ने विधेयक की पहली बड़ी बाधा दूर होने के बाद कहा कि जातिगत भेदभाव गैरकानूनी और अन्यायपूर्ण है। यह विधेयक हम सभी को जाति की भयावहता से उबारेगा। वहीं, प्रोग्रेसिव कॉकस के डेमोक्रेटिक चेयर अमर शेरगिल ने कहा कि कैलिफोर्निया ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी तरह के भेदभाव या हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगा।

पिछले महीने हुआ था बिल पेश
गौरतलब है, राज्य की विधायिका के लिए चुनी गई पहली मुस्लिम और अफगान अमेरिकी सीनेटर आयशा वहाब ने पिछले महीने बिल पेश किया था।

इन्होंने की आलोचना
हिंदू मंदिर कार्यकारी सम्मेलन, उत्तरी अमेरिका में हिंदू मंदिरों का एक छात्र संगठन, हिंदू बिजनेस नेटवर्क और हिंदू पॉलिसी रिसर्च एंड एडवोकेसी कलेक्टिव ने भी बिल की आलोचना की। एशियन अमेरिकन होटल ओनर्स एसोसिएशन के बोर्ड सदस्य कल्पेश जोशी ने कहा कि हम बिल के सख्त खिलाफ है। हम मानते हैं कि यह भारतीय होटल और मालिकों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
               वहीं, एशियन अमेरिकन शॉप ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विपुल पटेल ने कहा कि यह बिल अमेरिका में जातिगत भेदभाव के मनगढ़ंत आख्यान पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हमें डर है कि अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो छोटे व्यवसायों के खिलाफ छोटे छोटे मुकदमों को बढ़ावा मिलेगा।
                 हिंदू मंदिर कार्यकारी सम्मेलन के संयोजक तेजल शाह ने कहा कि बिल के पीछे संगठनों और लोगों ने हिंदू रीति-रिवाजों और परंपराओं के लिए अपना तिरस्कार स्पष्ट कर दिया है।

अमेरिका के सिएटल में जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध
हाल ही में अमेरिका का सिएटल जाति के आधार पर भेदभाव को बैन करने वाला पहला शहर बना था। सिएटल सिटी काउंसिल ने भेदभाव विरोधी कानून में जाति को जोड़ दिया है। इस कानून को लागू करने के लिए बकायदा मतदान हुआ था। इस नए अध्यादेश का समर्थन करने वालों ने कहा था कि भेदभाव राष्ट्रीय और धार्मिक सीमाओं को पार करता है और ऐसे कानूनों के बिना, जातिगत भेदभाव का सामना करने वालों की कोई सुरक्षा नहीं हो सकती है। बता दें यह पहली बार था जब अमेरिका के किसी शहर ने जाति आधारित भेदभाव को दूर करने के खिलाफ कानून बनाया।

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