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    कानून का भय न होने से अराजकता जन्म लेती है-अनिल आर्य

    -“शस्त्र और शास्त्र का समन्वय“ पर गोष्ठी सम्पन्न -शास्त्र का अनुपालन शस्त्र से सम्भव है -डॉ.दयानिधि सेवार्थी

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- रविवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “शस्त्र और शास्त्र का समन्वय“ पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कॅरोना काल में 319 वा वेबिनार था।
                  वैदिक विद्वान डॉ. दयानिधि सेवार्थी ने कहा कि शास्त्र का अनुपालन शस्त्र से ही सम्भव है,व्यक्ति नियमो का पालन भय व दंड से ही करता है । उन्होंने कहा कि समाज व समझ शब्द का भेद शास्त्र व शस्त्र समन्वय इस विषय  में यजुर्वेद के मंत्र संख्या 20/25 व ऋग्वेद के मंत्रों को उद्धृत करते हुए राष्ट्र व समाज को  सशक्त करने में शास्त्र व शस्त्र का समन्वय अत्यंत आवश्यक है। शास्त्र सिद्धांत है तो शस्त्र प्रयोगात्मक रूप है और विषय को स्पष्ट करते हुए सेवार्थी जी ने कहा कि शास्त्र के अनुसार योग्य का तिरस्कार और अयोग्य का सम्मान जिस संगठन व समाज में होता है वहां सर्वनाश ही होता है। महर्षि विश्वामित्र व महर्षि परशुराम के जीवन को उद्धृत करते हुए विषय को ओज पूर्ण प्रस्तुति करते हुए सभी श्रोताओं का मार्गदर्शन किया।
    केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि शास्त्र सामाजिक व्यवस्था चलाने में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और शस्त्र उसे मानने को बाध्य करते है तभी समाज चलता है,जहाँ कानून का भय नहीं होता वहाँ अराजकता जन्म लेती है। ऋषियों की तपस्या भी तभी हो पाती है जब सुरक्षा में राम लक्ष्मण से धुरंधर खड़े होते है। मुख्य अतिथि आर्य नेता सुरेश आहूजा ने कई उदाहरणों से शस्त्र की महत्ता को स्पष्ट किया। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्ष ग्रंथों का प्रचार किया लेकिन समय आने पर राव कर्ण सिंह की तलवार भी तोड़ दी।
                   गायिका प्रवीना ठक्कर, रेणु घई, मधु खेड़ा, उषा आहुजा, सुशांता अरोड़ा, सविता भुटानी, रजनी चुघ, जनक अरोड़ा, प्रतिभा कटारिया, कमला हंस, कमलेश चांदना, रविन्द्र गुप्ता आदि ने मधुर भजन सुनाये। प्रमुख रूप से रामकुमार सिंह आर्य, डॉ.(कर्नल) विपिन खेड़ा, रजनी गर्ग, सुदेश आर्या, आस्था आर्या, रचना वर्मा आदि उपस्थित थे।

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