नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/हैल्थ डेस्क/भावना शर्मा/- आजकल की लाइफस्टाइल में अजीबोगरीब बिमारियां लोगों को घेर रही हैं। कोरोना के बाद से तो बिमारियों की अति ही हो गई है। लोग मानसिक परेशानी के साथ-साथ शारीरिक थकावट भी महसूस कर रहे हैं। ठीकठाक बैठे-बैठे या फिर चलते हुए अचानक लोग मर रहे है और चिकित्सक इसे पर कुछ नही कर पा रहे है। लेकिर अब थकावट से जुड़ी एक गंभीर बिमारी भी सामने आ रही है। जिसमें मरीज हर समय शरीर में थकावट महसूस करता है। इस बिमारी को चिकित्सा जगत में टैट यानी टायर्ड ऑल द टाइम सिंड्रोम का नाम दिया है।
टीएटीटी (टायर्ड ऑल द टाइम) सिंड्रोम आजकल की लाइफस्टाइल से जुड़ी एक मनोवैज्ञानिक समस्या है। जिसमें व्यक्ति को हर समय थकान महसूस होती रहती है। तो आइए जानते हैं इसके लक्षण और बचाव के बारे में-
टैट (टायर्ड ऑल द टाइम) सिंड्रोम आजकल की लाइफस्टाइल से जुड़ी एक मनोवैज्ञानिक समस्या है। पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों में इस समस्या से जुड़े लक्षण ज्यादा पाए जाते हैं। मनोवैज्ञानिकों द्वारा की गई एक स्टडी में यह सामने आया है कि, हर 10 में से 1 व्यक्ति टैट सिंड्रोम का शिकार है। लेकिन लोग इसे केवल काम से होने वाली मामूली थकान समझकर अनदेखा कर देते हैं। जिसकी वजह से धीरे- धीरे यह समस्या शरीर के साथ-साथ दिमाग पर भी असर डालने लगती है, जिसकी वजह से मूड चिड़चिड़ा रहने लगता है।
प्रमुख लक्षण :
यदि आप समय रहते इस समस्या पर ध्यान दें तो आप इससे छुटकारा पा सकते हैं। वैसे तो, काम करने के बाद सभी को थकान महसूस होती है और कुछ देर आराम करने के बाद थकावट अपने आप दूर भी हो जाती है, लेकिन आराम करने के बावजूद अगर किसी व्यक्ति को लगातार छह महीने तक थकान महसूस हो रही हो, तो ये टैट सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं।
इसके अलावा पलकों में भारीपन होना, एकाग्रता, उत्साह एवं ऊर्जा के स्तर में कमी आना, गहरी निराशा और निर्णय लेने में कठिनाई आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
कारण :
मोटापा, चिंता एवं तनाव आदि इसके भावनात्मक कारण हैं। इसके अलावा कैफीन, एल्कोहॉल और जंक फूड का अधिक मात्रा में सेवन, देर रात तक मोबाइल का इस्तेमाल करना जैसी गलत आदतों से इसका खतरा और बढ़ जाता है।
बचाव एवं उपचार :
1. जहां तक संभव हो अपने कार्य स्वयं करें, यह शारीरिक सक्रियता और तनाव को दूर करने में मददगार होता है।
2. नियमित योग और मेडिटेशन करने से भी ज्।ज्ज् से राहत मिलती है।
3. ’कॉग्नेटिव बिहेवियर थेरेपी’ की सहायता से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
4. अगर इन प्रयासों से भी लक्षणों में कोई बदलाव नज़र ना आए, तो किसी मनोवैज्ञानिक सलाहकार से संपर्क करें।
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