• DENTOTO
  • ओम पर्वत से गायब हुई ’ऊं’ की आकृति, पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेताया

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    May 2025
    M T W T F S S
     1234
    567891011
    12131415161718
    19202122232425
    262728293031  
    May 11, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    ओम पर्वत से गायब हुई ’ऊं’ की आकृति, पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेताया

    -हिंदू धर्म का पवित्र स्थल है ओम पर्वत, इसे छोटा कैलाश भी कहा जाता है

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- इतिहास में ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है कि ओम पर्वत पर बर्फ से बनने वाली ’ऊं’ की आकृति गायब हो गई है। इस साल ओम पर्वत पर ’ऊं’ की आकृति नहीं बनी है, जो पहले हर साल बर्फ के संचय से बनती थी। विज्ञानियों के अनुसार, इस बदलाव के पीछे ग्लोबल वार्मिंग मुख्य वजह है। इसके साथ ही, यहां पर पर्यटन की बढ़ती गतिविधियां भी इस स्थिति में योगदान दे रही हैं। पर्यटन के बढ़ने से यहां सड़कें बनाई जा रही हैं और यात्रियों की सुविधा के लिए कई संरचनाएं स्थापित की जा रही हैं। इन निर्माण गतिविधियों के कारण हिमालय क्षेत्र के पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे बर्फ की आकृतियों का निर्माण प्रभावित हो रहा है।

            बता दें कि हिंदू धर्म में कई ऐसे पवित्र स्थल हैं जो अपनी चमत्कारी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें से एक अमरनाथ की गुफा है, जहाँ हर साल बर्फ के प्राकृतिक संयोग से शिवलिंग का निर्माण होता है। लाखों भक्त हर साल इस अद्भुत चमत्कार के दर्शन के लिए कई किलोमीटर लंबा और कठिन मार्ग तय कर अमरनाथ पहुंचते हैं। ठीक इसी प्रकार, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित ओम पर्वत भी एक विशेष धार्मिक महत्व रखता है। इस पर्वत पर हर साल बर्फ के संचय से ’ऊं’ की आकृति बनती है। यह पर्वत चीन सीमा से लगे लिपुलेख दर्रे के पास स्थित है। इस अनूठी बर्फ की आकृति के कारण ही इस पर्वत को ओम पर्वत के नाम से जाना जाता है। इस स्थल की अद्वितीयता और धार्मिक महत्व के कारण यह जगह भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

    ऊं पर्वत उत्तराखंड के नाभीढांग क्षेत्र में स्थित है
    आपको बता दें कि ओम पर्वत उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से 170 किलोमीटर दूर, नाभीढांग क्षेत्र में स्थित है। यह पर्वत एक चमत्कारी स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, जहां हर साल बर्फ से ’ऊं’ की आकृति बन जाती है। इस अद्भुत घटना को नास्तिक भी आश्चर्यचकित देखता है, क्योंकि यह बर्फ के प्राकृतिक संयोग से ही बनती है। ओम पर्वत को शिवशक्ति के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि यहां पर कोई भी व्यक्ति भगवान शिव की उपस्थिति और आशीर्वाद को महसूस कर सकता है। इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व का उल्लेख महाभारत, रामायण और वृहत पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में किया गया है। इन ग्रंथों में ओम पर्वत की विशेषता और उसकी दिव्यता का वर्णन किया गया है, जिससे यह स्थल धार्मिक श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन चुका है।

    ओम पर्वत को अक्सर ’छोटा कैलाश’ भी कहा जाता है
    स्कंद पुराण के मानस खंड में आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा को कैलाश मानसरोवर यात्रा के समकक्ष महत्व दिया गया है। इस कारण ओम पर्वत को अक्सर ’छोटा कैलाश’ भी कहा जाता है। हिमालय क्षेत्र में स्थित ओम पर्वत को धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्वत अपनी दिव्यता और विशेषताओं के कारण श्रद्धालुओं के बीच एक प्रमुख स्थल के रूप में जाना जाता है। इसके अद्भुत दृश्य और धार्मिक महत्व इसे हिमालय क्षेत्र के अन्य पवित्र स्थलों के समकक्ष मानते हैं, जो इसे विशेष बनाते हैं।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox