सबका प्रिय, भक्तों के दिल के निकट एवं बेहद चर्चित पवित्र जन्माष्टमी का त्योहार विश्वभर में 26 अगस्त सोमवार को मनाया गया। दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से एक इस्कॉन द्वारका में भी खूब धूमधाम से अनोखा और भव्य उत्सव मनाया गया। जन्माष्टमी का यह कार्यक्रम 26 अगस्त को सुबह 4:30 बजे से श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश के दर्शन के साथ आरंभ हुआ। प्रातः 8 बजे परम पूज्य भक्ति आश्रय वैष्णव स्वामी महाराज द्वारा कृष्ण कथा की गई। पूरे दिन मंदिर में कीर्तन का आयोजन किया गया। अपने जीवंत और हर्षोल्लास पूर्ण कीर्तन के लिए प्रसिद्ध विश्व प्रसिद्ध कीर्तन कलाकार सच्चिनंदन गौर प्रभु ने अपनी टीम के साथ विशेष कीर्तन प्रस्तुत किया। भक्तों ने भगवान के जन्म के समय आधी रात तक नृत्य और गायन का आनंद लिया।
इस महामहोत्सव में चार चाँद लगाने के लिए जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर यानी 25 अगस्त अगस्त की शाम को 500 से अधिक स्कूली बच्चों ने कृष्ण के जीवन और लीलाओं को दर्शाने वाले नाटक प्रस्तुत किए। एक आकर्षक मंच प्रस्तुति में सुपर स्टार सिंगर सीजन-3 यानी छोटे परदे के चमकते सितारे खुशी व पिहू शर्मा एवं खुशी नागर अपने राधारानी और कृष्णमय भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया व श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश की कृपा प्राप्त की। भगवान को अनेक किस्म के लड्डू व पेड़े आदि मिलाकर एक लाख भोग लगाए गए। देश-विदेश से मंगाए गए अनेक तरह के फूलों से सुसज्जित मंदिर की सजावट व भगवान के ऑल्टर की साज-सज्जा बेहद आकर्षक रही। इस जन्माष्टमी पर इस्कॉन द्वारका में भगवान के महाभिषेक के लिए भक्तों ने भी भाग लिया। विशेष वीवीआई व्यवस्था के तहत मंदिर निर्माण में सहयोग करने वाले भक्तों ने महाआरती और महाभिषेक किया।
इस्कॉन द्वारका के उपाध्यक्ष श्री गौर प्रभु ने कहा कि, “जन्माष्टमी के उत्सव को धूमधाम से मनाने के साथ-साथ लोगों के लिए यह जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर भगवान कृष्ण के क्या उपदेश हैं, उनकी शिक्षाएँ क्या है ! भगवद्गीता में स्वयं भगवान कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से हमें ये शिक्षाएँ प्रदान की हैं, जो लाइफ मैनुअल के रूप में हम सबको अपनानी चाहिए। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि एक खुशहाल और संतोषजनक जीवन के लिए कृष्ण की शिक्षाओं को पढ़ना और समझना महत्वपूर्ण है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमारे साथ वैज्ञानिक, इंजीनियर, डॉक्टर, व्यवसायी व अनेक युवा छात्र आगे आए हैं। कृष्ण के संदेशवाहक बनकर वे स्वयंसेवक के रूप में दिल्ली एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों में कृष्ण के संदेश को प्रसारित कर रहे हैं। उत्साहपूर्वक पुस्तकों का वितरण कर रहे हैं। श्री गौर प्रभु ने आगे कहा कि भगवद्गीता और इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद की लिखी ये पुस्तकें कृष्ण की कृपा का एक रूप हैं। इनके अंदर जीवन बदलने की शक्ति है। जैसा कि उन्होंने हमारा जीवन बदला है।” उन्होंने आगे कहा कि इस्कॉन द्वारका की ओर से जन्माष्टमी के इस अवसर पर लगभग 5 लाख से अधिक लोगों को प्रसाद वितरित किया गया। जन्माष्टमी पर कृष्ण का आशीर्वाद प्रसाद के रूप में भी प्राप्त होता है, जो शरीर और आत्मा दोनों का पोषण करता है।
कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन 27 अगस्त को नंदोत्सव मनाया जाता है। यह गोकुल में भगवान कृष्ण के जन्म का एक खुशी का अवसर है। यह त्योहार विशेष रूप से जीवंत है, जहाँ भक्त शिशु कृष्ण के बचपन के दृश्यों को दोहराते हैं। उत्सव में विशेष कथा, चंचल अनुष्ठान, भक्ति गीत गाना और मीठे प्रसाद का वितरण शामिल है। इस्कॉन के संस्थापक आचार्य भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद का जन्म इसी दिन हुआ था, इसलिए भक्तगण उनका अवतरण दिवस मनाते हैं।
इस्कॉन द्वारका की उपलब्धियाँ
पिछले 12 सालों से आध्यात्मिक विकास और सामाजिक सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाने वाला इस्कॉन द्वारका मंदिर कठिन समय में पीड़ितों की आस का केंद्र रहा है। कोविड महामारी के दौरान, इस्कॉन द्वारका ने न केवल प्रतिदिन 5 लाख भोजन वितरित किए, बल्कि 200 बिस्तरों वाला अस्पताल भी खोला, जिसमें 1800 मरीजों का इलाज किया गया, जिससे यह मंदिर आशा और करुणा का एक सच्चा केंद्र बन गया।
दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से एक इस्कॉन द्वारका का लक्ष्य 250,000 दाताओं को सुदामा सेवक के रूप में जोड़ना है ताकि मंदिर निर्माण परियोजना को पूरा किया जा सके। वर्तमान में, 175,000 से अधिक दाता पहले से ही इस दिव्य मिशन का हिस्सा बन चुके हैं। मंदिर को उम्मीद है कि भविष्य में उनके साथ और भी सुदामा सेवक जुड़ेंगे, जो भगवान कृष्ण और समाज सेवा में अपने प्रयासों को आगे बढ़ा सकें। होमी नामक एक प्रमुख पीजी सुविधा प्रदाता के साथ सहयोग में, इस्कॉन द्वारका समग्र जीवन और परामर्श सेवाएँ भी प्रदान कर रहा है। इस पहल में वंचित छात्रों के लिए आर्थिक सहायता शामिल है। हमारा प्रयास है कि कृष्ण चेतना का लाभ समाज के हर कोने तक पहुँचे क्योंकि इस्कॉन द्वारका कृष्ण प्रेम और उनकी शिक्षाओं को दुनिया में फैलाने के अपने मिशन को जारी रखता है।
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