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    इसरो एस्ट्रोसैट में 8 साल में 600 गामा-किरण विस्फोट रिकॉर्ड

    -हर जीआरबी विस्फोट का मतलब एक तारे की मौत, सैटेलाइट 5 साल के लिए हुआ था डिजाइन

    बेंगलुरु/शिव कुमार यादव/- भारत के एस्ट्रोसैट स्पेस टेलीस्कोप ने 600 से ज्यादा गामा-रे बर्स्ट (जीआरबी) का पता लगाया है। यह एस्ट्रोसैट के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। जिन विस्फोट के बारे में बात की जा रही है, उनमें से हर एक किसी विशाल तारे की मौत या न्यूट्रॉन तारों के विलय का मोमेंट है।

    कैडमियम जिंक टेलुराइड इमेजर (सीजेडटीआई) की खोज करने वाले दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा- लॉन्च के 8 साल बाद 600वें जीआरबी का पता लगाना इसके डिजाइन और अब तक के जीवनकाल का एक बड़ा प्रदर्शन है।

    एक जीआरबी मिनी बिग बैंग की तरह
    आईआईटी बॉम्बे से पीएचडी कर रहे गौरव वाराटकर इस जीआरबी स्टडी के लीडर हैं। गौरव ने बताया कि जीआरबी ब्रह्मांड में होने वाला सबसे ऊर्जावान विस्फोट हैं, जिन्हें मिनी बिग-बैंग कहा जाता है।

    इनके जरिए कुछ सेकेंड्स में इतनी ऊर्जा उत्सर्जित की जाती है, जितनी सूर्य अपने पूरे जीवनकाल में करता है। एक विस्फोट का समय एक सेकेंड के एक अंश से लेकर कई मिनट तक रहती है। इसके बाद एक ब्लैक होल के जन्म का होता है।

    2015 में केवल 5 साल के लिए लॉन्च हुआ था, आज भी वर्किंग मोड में
    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एस्ट्रोसैट टेलीस्कोप को 2015 में लॉन्च किया था। एस्ट्रोसैट का डिजाइन पांच साल की लाइफ वाला था, लेकिन यह खगोलविदों के लिए आज भी वर्किंग कंडीशन में है। यह सैटेलाइन भारत का पहला मल्टीवेव लैंथ स्पेस ऑब्जर्वेट्री है। इसमें अल्ट्रावॉयलेट से लेकर एक्स रेज तक की अलग-अलग वेवलैंथ का ऑब्जर्वेशन करने के लिए पेलोड्स से अपडेटेड है।

    एडवांस टेलीस्कोप दक्ष पर हो रहा है काम
    आईआईटी-बॉम्बे के एसोसिएट प्रोफेसर वरुण भालेराव ने कहा- एस्ट्रोसैट ने जो हासिल किया है उस पर हमें गर्व है। इस सफलता को आगे बढ़ाने के लिए, कई संस्थान एक साथ आए हैं और नेक्स्ट जेनरेशन जीआरबी स्पेस टेलीस्कोप दक्ष को बनाने का प्रस्ताव रखा है, जो दुनिया भर में ऐसे किसी भी सैटेलाइट से कहीं बेहतर होगा। दक्ष काफी सेंसेटिव होगा। प्रोफेसर वरुण भालेराव ने बताया कि सीजेडटीआई ने आठ साल में क्या किया, इसे पता लगाने में ही सिर्फ एक साल लग गया।

    5 दिन में 3 और जीआरबी घटनाएं डिटेक्ट हुईं
    एस्ट्रोसैट के सीजेडटीआई डिटेक्टर ने 600वें जीआरबी का पता 22 नवंबर को लगाया था। इसे दुनिया भर के खगोलविदों को बताया गया ताकि वे इस तरह की घटना का अपने शोध में इस्तेमाल कर सकें। वारटकर ने कहा कि 600वें विस्फोट के बाद से सीजेडटीआई ने सोमवार तक तीन और ऐसी घटनाओं का पता लगाया है।

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