रोम/शिव कुमार यादव/- इटली के सिर दर्द बन चुके चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) पर इटली ने आधिकारिक तौर पर इससे बाहर निकलने का ऐलान कर दिया है। हालांकि यह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट है और इटली के बाहर होने से इसे बड़ा झटका लगा है। इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने इस बारे में चीन की सरकार को जानकारी दे दी है।
इटली अब बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा नहीं है। आधिकारिक तौर पर उसने इस बारे में चीन की सरकार को जानकारी दे दी है। इटली, यूरोप और जी-7 का इकलौता देश था जो इसका हिस्सा बना है। ऐसे में उसके इससे बाहर होने को चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इटली ने जो वजह चीन को बताई है, वह उसे परेशान कर सकती है। इटली का कहना है कि बीआरआई वो नतीजे नहीं दे सका जिसकी उसे उम्मीद थी। न्यूज एजेंसी एएफपी ने इटली की सरकार के अधिकारियों के हवाले से कहा है कि पिछले चार साल से बीआरआई का हिस्सा था लेकिन प्रोजेक्ट उसकी उम्मीदों पर जरा भी खरा नहीं उतरा।
मेलोनी का बड़ा फैसला
इटली के अखबार कोरिएरे डेला सेरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की सरकार ने करीब तीन दिन पहले यानी पिछले हफ्ते ही एक नोट लिखकर चीन की सरकार को इस बात के बारे में सूचित कर दिया था। लेकिन दोनों पक्षों की तरफ से इस बारे में कोई भी आधिकारिक बयान अभी तक जारी नहीं किया गया है।
इस साल सितंबर में जब भारत ने जी20 की मेजबानी की थी तो उस समय ही इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने अपने चीनी समकक्ष ली कियांग को बता दिया था कि उनका देश अब बीआरआई का हिस्सा बने रहने के लिए इच्छुक नहीं है। उसी समय इटली ने भारत की भागीदारी वाले मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (आईएमईई ईसी) में शामिल होने का ऐलान किया था। इटली ने सम्मेलन के पहले दिन ही एक ज्ञापन पर साइन कर इस कॉरिडोर में शामिल होने का ऐलान कर दिया था।
बातचीत के दरवाजे खुले
इटली के अधिकारियों की तरफ से कहा गया है कि इटली ने इस तरह से इस प्रोजेक्ट से अपने हाथ पीछे खींचे हैं कि राजनीतिक वार्ता के सभी दरवाजे पूरी तरह से खुले हैं। हालांकि उन्होंने इस बारे में और ज्यादा जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया। पीएम मेलोनी ने पिछले साल चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व सरकार के बीआरआई में शामिल होने के फैसले पर जमकर खरी-खोटी सुनाई थी। उन्होंने कहा था कि पूर्व पीएम ग्यूसेप कोंटे ने साल 2019 में इस प्रोजेक्ट में शामिल होकर भयानक गलती की थी। बीआरआई हमेशा से अलोचकों के निशाने पर रहा है। आलोचक इस खरबों डॉलर वाले प्रोजेक्ट को ’सफेद हाथी’ के तौर पर करार देते हैं। उनकी मानें तो चीन का मकसद इस प्रोजेक्ट के जरिए अपने राजनीतिक कद को बढ़ाना है।
चीनी प्रभाव का हथियार
इटली के वित्त मंत्री एंटोनियो ताजानी ने भी सितंबर में कहा था कि बीआरआई ने वो नतीजे नहीं दिए हैं जिनकी वो उम्मीद कर रहे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ने पश्चिम अफ्रीका के साथ पापुआ न्यू गिनी, केन्या और श्रीलंका में इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर लाखों डॉलर खर्च किए और लैटिन अमेरिकियों के साथ ही साथ दक्षिण पूर्व एशियाई लोगों को कम्युनिकेशन का ढांचा मुहैया कराया है। लेकिन यह भी सच है कि यह प्रोजेक्ट चीन के प्रभाव को दुनियाभर में फैलाने के एक उपकरण के तौर पर प्रयोग हो रहा है।
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