आजादी के 75 साल बाद भी जातिवाद का नही हुआ खात्मा- एससी

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
December 22, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

आजादी के 75 साल बाद भी जातिवाद का नही हुआ खात्मा- एससी

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समाज आगे आये और सामाजिक नासूर बनी जातिवाद की भयानक हिंसा को नामंजूर करे

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-  ऑनर किलिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी प्रकट करते हुए कहा है कि आजादी के 75 साल बाद भी समाज से जातिवाद का खात्मा नही हुआ है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह उचित समय है जब समाज आगे आये और जातिवाद की सामाजिक बुराई की भयानक हिंसा को मिलकर ना मंजूर करे। य
                 शीर्ष कोर्ट ने यह टिप्पणी 1991 में यूपी में हुई ऑनर किलिंग की घटना के खिलाफ दायर कई याचिकाओं पर अपने फैसले में की। इस घटना में एक महिला समेत तीन लोग मारे गए थे। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इससे पहले भी वह सरकारों को ऑनर किलिंग को रोकने के लिए कई दिशा निर्देश जारी कर चुकी है। इन दिशा-निर्देशों का पालन बगैर देरी के किया जाना चाहिए।
                जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में मुकदमे को दागदार होने और सचाई को आहत होने से बचाना जरूरी है। इसमें गवाहों को सुरक्षा देने में सरकार की निश्चित ही अहम भूमिका है, खासकर उन संवेदनशील मामलों में, जिनमें सत्ता से जुड़े लोग शामिल हों और जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हो। ये लोग बाहुबल व धनबल का इस्तेमाल गवाहों के खिलाफ कर सकते हैं।
               सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाति-आधारित प्रथाओं द्वारा कायम कट्टरता आज भी चलन में है। यह संविधान में सभी नागरिकों के लिए समानता के उद्देश्य को बाधित करती है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि जाति आधारित सामाजिक नियमों को तोड़ने पर दो युवकों और एक महिला के साथ 12 घंटे तक मारपीट की गई और बाद में उनकी मौत हो गई। देश में जाति आधारित हिंसा के ये मामले बताते हैं कि आजादी के 75 साल बाद भी जातिवाद का खात्मा नहीं हुआ है। पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई भी शामिल थे।  
                शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला कायम रखा। हालांकि जिन 23 लोगों को हाईकोर्ट ने दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी, उनमें से तीन को दोषमुक्त करार दिया। इन तीनों की पहचान स्पष्ट नहीं थी, इसलिए उन्हें राहत दी गई। बता दें कि 1991 में उत्तर प्रदेश में ऑनर किलिंग की यह घटना हुई थी। मामले में निचली कोर्ट ने नवंबर 2011 में 35 आरोपियों को दोषी ठहराया था। बाद में हाईकोर्ट ने इनमें से दो को बरी कर दिया था, जबकि बाकी की सजा कायम रखी थी। हालांकि हाईकोर्ट ने आठ दोषियों को मृत्युदंड की सजा को अंतिम सांस तक उम्रकैद में बदल दी थी।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox