नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- दिल्ली शिक्षा निदेशालय, सरकार एवं प्रशासन निजी स्कूल व संस्थाओं के सामने हुई मूक बधिर। निजी स्कूलों को लेकर अपने ही नियमों पर अमल करने में दिल्ली शिक्षा निदेशालय नाकाम साबित हो रहा है।
दरअसल, कोरोना काल में कोई ऐसा नहीं जो किसी तरह से प्रभावित नहीं हुआ था और इसी के मद्देनजर प्रशासन/सरकारों ने भी आम जनता की मदद के लिए कुछ योजना/नियम एवं छूट प्रदान की थी जिसमे 1 नियम व छूट स्कूलों के लिए यह भी थी कि 2020-21 एवं 2021-22 (कोरोना काल) में कोई भी स्कूल न तो फीस में बढ़ोतरी करेगा साथ ही सभी प्रकार के शुल्कों पर 15 प्रतिशत की छूट प्रदान करेगा, लेकिन इन सब को नियम/कानूनों को ताक दरकिनार कर दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), द्वारका सेक्टर 3 एवम संस्था ने अपनी मनमानी करते हुए न तो अभिभावकों को छूट ही दी साथ ही साथ फीस में भी बढ़ोतरी की और बात यह नहीं रुकी तब 2020-21 (कोरोना काल) से लेकर एकेडमिक सेशन 2024 -25 तक लगभग 100 प्रतिशत की फीस बढ़ोतरी कर चुकी है यहां तक आलम यह है कि डीपीएस स्कूल द्वारा प्रस्तावित फीस बढ़ोतरी के सभी प्रस्ताव 2023-24 तक शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा निरस्त किए जा चुके है।
जब अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय एवं डीएसईएआर एक्ट के नियम का पालन करते हुए स्वीकृत फीस दी तो डीपीएस स्कूल ने मनमानी फीस वसूली के लिए अनैतिक हथकंडे अपनाते हुए बाटो एवं राज करो की नीति अपनाते हुए मई में 13 एवं गर्मियों की अवकाश (28 जून) के दौरान 26 छात्रों के नाम काटने के नोटिस ई मेल द्वारा भेज दिए एवं नाबालिग/नाजुक बच्चों को स्कूल की लाइब्रेरी में बैठा दिया। इस कयावद के बारे में अभिभावकों ने सभी संबंधित विभागों (डीआई, एनसीपीसीआर, एलजी, दिल्ली सीएम, शिक्षा मंत्री, डीडीए, विजिलेंस आदि) के लगातार दरवाजे खटखटाते लेकिन खाली आश्वासन के अलावा अभी तक भी किसी विभाग के अधिकारियों द्वारा इन अभिभावकों को किसी प्रकार का सहयोग/सहायता नहीं प्रदान की गई है। सभी अभिभावकों ने डीडीई एसडबल्यू बी जोन, नजफगढ़ के ऑफिस में मौन विरोध प्रदर्शन किया तब सविता ड्राल, डिप्टी डायरेक्टर ने उनको बुलाया एवं 1 घंटे चली वार्ता के बावजूद भी डीडीई द्वारा कोई ठोस कदम लेने की जगह उन्हें सिर्फ आश्वाशन मिला।
यहां मौजूद अभिभावक, समाजसेवी, फैडरेशन ऑफ साउथ एंड वेस्ट डिस्ट्रीक्ट वेलफेयर फोरम के सचिव महेश मिश्रा ने बताया कि प्रशासन एवं सरकारी विभाग इन बड़े बड़े संस्थानों/स्कूलों के सामने अपने ही बनाए नियम कानून को अमल करने में सक्षम नहीं है और इन सब के लिए अगर हम को न्यायालय ही जाना पड़ेगा तो इन अधिकारियों को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि इससे सरकारी/आम जनता के टैक्स का पैसा इनके वेतन में बरबाद न हो।
अभिभावक पिंकी पांडे ने कहा की शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेश 22 मई 2024 का पालन करते हुए स्वीकृत फीस देने के बावजूद स्कूल अपनी मनमानी करते हुए डीएसआर (DSEAR) एक्ट 35 का हवाला देते हुए हमारे बच्चों का नाम काट रहा है जब की इस एक्ट के तहत नाम काटने का प्रावधान नहीं है। अगर देश की राजधानी में स्कूलों की यह मनमानी चल रही है तो देश के और क्षेत्रों में क्या हाल होगा इसलिए भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से अनुरोध है इसमें हस्तक्षेप कर हम सभी अभिभावकों को न्याय दिलवाए।
अभिभावक विनय राजपूत ने बताया की शिक्षा निदेशक राम निवास शर्मा ने हमें आश्वासन दिया था कि वोह डीपीएस स्कूल से बात करेंगे और अगर उन्होंने हमारे आदेशों की अनदेखी कर मनमानी की तो हम डीडीए से मिली सरकारी जमीन की लीज को समाप्त करने की करवाई करेंगे लेकिन हफ्तों बीत जाने पर भी कोई करवाई नहीं हुई है।
क्या हैं मांगे
1. शिक्षा निदेशालय फीस बढ़ोतरी पर अपने बनाए नियमों को कठोरता से अमल करें एवं उसके तहत जिन 26 बच्चो के नाम काटे गए है उन्हें स्कूल द्वारा तत्काल वापस जोड़ा जाए साथ ही स्कूल आगे ऐसी कोई करवाई करे तो उस पर कठोर से कठोर कदम उठाए जिससे यह सभी स्कूलों के लिए सबक हो।
2. फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव एवं निस्तारण की समय सीमा नए शैक्षणिक सत्र के दाखिले के प्रकिया से पहले पूर्ण हो।
3. फीस बढ़ोतरी के प्रस्ताव में फोरेंसिक ऑडिट को अनिवार्य किया जाए।
4. शिक्षा निदेशालय द्वारा पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन में शिक्षा निदेशालय के नियमों के तहत सभी दिल्ली के स्कूलों में पेरेंट्स रिप्रेजेंटेटिव के लिए अपने सुपरविजन एवं वीडियोग्राफी के अंदर इलेक्शन कर पेरेंट्स रिप्रेजेंटेटिव निर्वाचित हो जो अभी तक स्कूलों द्वारा अपनी मनमर्जी से चुने जाते है।
5. स्कूलों को प्रदान आरक्षित मैनेजमेंट कोटा की हर साल शिक्षा निदेशालय व विजिलेंस विभाग द्वारा जांच हो जिससे यह ज्ञात हो सके की इस कोटे के अंतर्गत सीटों की खरीद फरोख्त तो नहीं हो रही है और मैनेजमेंट कोटा के अंतर्गत हुए सभी छात्रों का विवरण सालाना विद्यालय की वेबसाइट पर अलग से पब्लिश करे।
6. राजस्थान सरकार के तर्ज पर स्कूल द्वारा 1 बार फीस बढ़ाने के बाद 3 साल तक विद्यालय की फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव नहीं दे सकते।
अगर शिक्षा निदेशालय उपरोक्त लिखी मांगों को पूर्ण करने में सक्षम नहीं है तो शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों को पद से हटाया जाए साथ ही इन के नामों पर विजिलेंस जांच पड़ताल हो जिससे भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारियों को अपने कार्य को न करने की सजा मिले।
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