पंजाब में तेजी से बदल रही राजनीतिक फिजा, मोदी की तारीफ में गढ़े जा रहे कसीदे

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September 8, 2024

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पंजाब में तेजी से बदल रही राजनीतिक फिजा, मोदी की तारीफ में गढ़े जा रहे कसीदे

-जहां दो दिन पहले तक भाजपा व मोदी का नाम कोई सुनना पसंद नही करता था वहीं अब होने लगी बात

-मोदी के मास्टरस्ट्रोक ने कांग्रेस, बसपा, आम आदमी पार्टी व अकाली दल की निकाली हवा

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/अमृतसर/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कुछ दिन पहले तक पंजाब में मोदी व भाजपा का नाम लेने वाला तक कोई नही था वहीं मोदी के मास्टरस्ट्रोक के चलते अब पंजाब के गांवों में भाजपा की एक बार फिर एंट्रीः हो गई है। गुरूनानक देव जी के प्रकाश पर्व पर मोदी जी ने कृषि बिलों को वापिस लेकर ऐसा मास्टरस्ट्रोक मारा की प्रदेश में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, अकाली दल व बसपा की हवा निकल गई है। पंजाब में एक बार फिर हर-हर मोदी घर-घर मोदी के नारे लगने लगे हैं। जिसके चलते कैप्टन अमरेन्द्र व अकाली दल ने भाजपा के साथ चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा भी जाहिर कर दी है।
                 पंजाब के गांवों में किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र सिंह मोदी के ऐलान की तारीफ कर रहे हैं। हालांकि वह साथ ही कह रहे हैं कि फैसला थोड़ी देर से लिया गया। आंदोलन में 800 किसानों की शहादत को भूल नहीं सकते। गांवों में जश्न का माहौल है, कई जगह मिठाई बांटी गई और भांगड़ा भी किया। पंजाब के टोल प्लाजा पर पिछले एक साल से किसान बैठे हैं और अब उम्मीद है कि जल्दी उनकी वापसी होगी। हालांकि अभी भी कुछ किसान इसे किसानों व चुनावों के दबाव में लिया गया फैसला बता रहे है। किसानों का यह भी कहना है कि इसमें कैप्टन अमरेन्द्र सिंह का कोई रोल नही है। यह सिर्फ और सिर्फ किसानों की जीत है। हालांकि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने भी इस फैसले को लेकर अपना कोई दावा नही किया है बल्कि मोदी जी के फैसले की तारीफ जरूर की है। पंजाब के गांवों में इस फैसले को लेकर राजनीतिक हवा तेजी से बदलने लगी है। लोग भाजपा व मोदी को लेकर अब बात करने लगे है। यह बात और है कि कुछ दिन पहले तक पंजाब में लोग भाजपा व मोदी का नाम सुनना भी पसंद नही करते थे। किसानों की माने तो कुछ समय पहले तक जिन नेताओं से कृषि कानूनों को लेकर सवाल पूछे जाते थे वो अगर कृषि कानून रद्द हो जाते हैं तो हम नेताओं से सवाल पूछना बंद कर देंगे। घेराव भी नहीं होंगे और इससे पंजाब के गांवों का माहौल भी बदल जाएगा। चुनाव सिर पर हैं तो सभी नेता गांवों में आते हैं। लेकिन अब भाजपा नेताओं का घेराव व उनसे सवाल पूछने बंद हो जायेंगे। किसानों ने मोदी के ऐलान के बाद मिठाई बांटकर जश्न मनाया। हालांकि कई जगह हर-हर मोदी घर-घर मोदी के नारे भी लगे जिससे ये लगने लगा है कि अब भाजपा के पक्ष में पंजाब में तेजी से माहौल बदलने लगा है।
                 करतारपुर कॉरिडोर खोलने व कृषि कानून वापसी का चुनावी मास्टरस्ट्रोक पंजाब में 3 महीने बाद होने वाले चुनाव में भाजपा को बड़ा तोहफा दे सकता है। पीएम मोदी ने इस ऐलान के लिए गुरु पर्व का दिन चुनकर एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास किया है। भाजपा अभी तक पंजाब में 22 शहरी सीटों पर ही चुनाव लड़ती आ रही है। भ्लेकिन अगर भाजपा के साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह आते हैं तो पार्टी के पास किसानों के बीच जाने के लिए एक बड़ा चेहरा होगा। ये चुनाव परिणाम को प्रभावित करेगा। हालांकि पंजाब में 75 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खेती से जुड़ी है। प्रदेश की कुल 117 विधानसभा सीटों में से 40 शहरी, 51 अर्द्धशहरी और 26 ग्रामीण सीटें हैं। ग्रामीण के साथ अर्द्धशहरी विधानसभा हलकों में किसान वोट बैंक ही हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। ऐसे में भाजपा का यह मास्टरस्ट्रोक पंजाब चुनाव में पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
                  पंजाब में भौगोलिक एरिया मालवा, माझा और दोआबा क्षेत्र के रूप में बंटा है। मालवा में सबसे ज्यादा 69 विधानसभा हलके हैं। इन सीटों में ही ज्यादातर ग्रामीण हलके हैं, जहां किसान वोट बैंक डिसाइडिंग फैक्टर है। यही इलाका पंजाब में सरकार गठन में निर्णायक भूमिका में है। दोआबा रीजन के 23 हलकों में ज्यादातर दलित वोट बैंक के प्रभाव में है। वहीं माझा के 25 हलकों में अधिकतर सिख बहुल हैं। भाजपा ने गुरुपर्व के अवसर को ऐलान के लिए चुनकर सिख वोट बैंक को भावनात्मक रूप से साथ जोड़ने का दांव खेला है।

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