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    नए नियमों के तहत बिना डीएनए टेस्ट के सऊदी नहीं जाएगा बासमती चावल

    सांकेतिक तस्वीर

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/मेरठ :- नए नियमों के तहत अब बासमती उन्हीं मिलों से खरीदा जाएगा, जिनके पास बासमती एक्सपोर्ट के लिए बीआईएस सर्टिफिकेशन आईएसओ 22000 और बीआरसी मानक हैं। शर्त ये भी है कि बासमती का डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल (डीएनए) टेस्ट कराया जाएगा। उस पर खरा उतरने पर ही इसे अपनाया जाएगा।
    भारतीय बासमती के प्रमुख आयातक देश सऊदी अरब ने कीटनाशक मुक्त बासमती के लिए नियमों में काफी सख्ती कर दी है। एक सितंबर से लागू होने वाले इन नियमों से चावल इंडस्ट्री में हड़कंप मचा है। हालांकि राहत की बात ये है कि मानकों को पूरा करने के लिए 31 दिसंबर 2019 तक की मोहलत दी है। सऊदी अरब ईरान के बाद दूसरा ऐसा सबसे बड़ा देश है, जहां पर भारतीय बासमती का सबसे अधिक निर्यात होता है। कीटनाशक से बचाव के लिए सऊदी अरब ने इसकी क्वालिटी व इसमें बाह्य तत्वों और रसायनों के अवशेष की उपस्थिति के संबंध में सख्त नियम बनाए हैं।
    दरअसल सऊदी क्रूड एंड ड्रग अथॉरिटी ने पहले भारतीय निर्यातक से पुष्टि प्रमाण पत्र के साथ-साथ न्यूनतम अवशेष स्तर पर प्रयोगशाला परीक्षण रिपोर्ट की मांग करनी शुरू कर दी। ये सख्त नियम वहां एक सितंबर से लागू होने जा रहे थे। लेकिन अब इसे चार माह के लिए स्थगित कर दिया है। सऊदी फूड अथॉरिटी द्वारा बासमती चावल की किस्मों की विश्वसनीयता या सत्यता प्रमाणित करने के लिए निर्यातकों से डीएनए टेस्टिंग रिपोर्ट मांगी जाने वाली थी। उसने भारतीय चावल निर्यातकों से कहा था कि वे उन्हीं क्षेत्रों में मिलर्स से चावल या किसानों से बासमती धान की खरीद करें, जहां बेहतर कृषि प्रणाली का प्रमाण दिया गया है। जिसे अथॉरिटी ने भी अनुमोदित किया है। वहीं, सऊदी अरब ने 101 किस्म के कीटनाशकों की सूची जारी की है। कहा है कि इनमें से किसी भी कीटनाशक का अंश या प्रभाव बासमती में नहीं होना चाहिए। बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान (बीईडीएफ) के प्रभारी डॉ. रितेश शर्मा के अनुसार भारत से निर्यात होने वाले और सऊदी अरब के बंदरगाहों पर पहुंचने वाले बासमती की सभी खेपों को 31 दिसंबर 2019 तक प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित नए नियम की जरूरतों से मुक्त कर दिया गया है। निर्यातक अब गुणवत्ता के अनुरूप बासमती के विभिन्न ब्लेंड्स में अपने ब्रांड का निर्यात कर सकते हैं। भारत ने सऊदी अरब को आश्वस्त किया है कि यदि किसी खेप में बासमती चावल की मात्रा 93 प्रतिशत और दूसरी खेप में 85 प्रतिशत है तो उसके अनुरूप ही लेबल लगाया जाएगा। इस संबंध में 29 अगस्त को दोनों देशों के बीच बातचीत भी हुई थी। डॉ. रितेश शर्मा, प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक, बीईडीएफ मोदीपुरम ने बताया कि अभी तक अमेरिका को छोड़कर कहीं पर भी बिना डीएनए के भारतीय बासमती का निर्यात होता था। अब सभी देशों में डीएनए जांच के बाद ही बासमती का निर्यात होगा। नए जो नियम किए जा रहे हैं, उनसे निर्यात में परेशानी आएगी। 1 सितंबर से लागू होने वाले नियम 31 दिसंबर तक स्थगित कर दिए गए हैं। इस संबंध में एक्सपोर्टर, सरकार और बीईडीएफ गंभीर हैं।

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