
मानसी शर्मा/- 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करेंगी। इस बजट में किसानों के लिए कई अहम घोषणाएं हो सकती हैं। सरकार ने हमेशा कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता दी है। पिछले बजट में भी कृषि को सबसे महत्वपूर्ण रखा गया था। किसानों के आंदोलनों के चलते इस बार भी कुछ खास फैसले लिए जा सकते हैं। बता दें कि,इस बजट में सरकार किसान सम्मान निधि की किस्त बढ़ा सकती है।
फिलहाल, किसानों को हर साल 6000 रुपये मिलते हैं। इस बार इसे बढ़ाकर 8000 रुपये करने का प्रस्ताव है। संसद की स्थायी समिति ने इस राशि को 12000 रुपये तक बढ़ाने की सिफारिश की थी। इससे किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है। फसल बीमा योजना में बदलाव की उम्मीद बजट 2025में सरकार फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा सकती है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में इस योजना के फायदे बताए थे। संसद की स्थायी समिति ने भी इसमें सुधार की सिफारिश की है। रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया कि 2हेक्टेयर तक कृषि भूमि वाले किसानों को भी यूनिवर्सल क्रॉप इंश्योरेंस स्कीम का लाभ मिलना चाहिए। इससे वे प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रह सकेंगे।
कृषि अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाने की जरूरत सेफेक्स केमिकल्स के चेयरमैन एस के चौधरी ने कृषि अनुसंधान और विकास के लिए आवंटन बढ़ाने पर जोर दिया है। उनका कहना है कि कृषि जीडीपी का कम से कम 1%हिस्सा इस क्षेत्र में निवेश किया जाना चाहिए। इससे मौसम की मार सह सकने वाली नई किस्मों का विकास संभव हो सकेगा। इसके साथ ही उन्होंने किसानों को मिलने वाली कीमतों पर भी चिंता जताई। कृषि उत्पादों के बेहतर मूल्य के लिए एक राष्ट्रीय बोर्ड बनाने की जरूरत बताई है। इस बजट में किसानों के हित में कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल सकती है और कृषि क्षेत्र में भी सुधार हो सकता है।
More Stories
दिल्ली में नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण: अरविंद केजरीवाल और आतिशी को भी मिला निमंत्रण
ममता बनर्जी के ‘मृत्यु कुंभ’ बयान पर सियासी संग्राम: समर्थन और विरोध में तीखी प्रतिक्रियाएँ
अंतरिम डिविडेंड चाहिए? आज है IRCTC शेयर खरीदने का आखिरी दिन!
पाकिस्तान में 29 साल बाद खेला जाएगा कोई ICC टूर्नामेंट, ‘मिनी विश्व कप’ चैंपियंस ट्रॉफी का आज से आगाज।
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके, लोगों में दहशत
संस्कृत का विरोध भारत और भारतीयता का विरोध है : प्रो. मुरलीमनोहर पाठक