नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- चीनी सेना की घुसपैठ के दो दिन बाद लद्दाख सीमा को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। भारतीय सेना ने चीन की चालबाजियों का जवाब देते हुए न केवल उसकी तैयारियों व तकनीक को धत्ता साबित कर दिया है बल्कि उन्हे तार-तार करते हुए पेंगोंग त्सो झील की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराकर माकूल जवाब दे दिया है। सेना के सूत्रों के मुताबिक, पेंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे को भारत ने अपने अधिकार में ले लिया है। यहां की कई चोटियों पर भारतीय सेना के जवान तैनात हैं। सूत्रों ने बताया कि सेना ने मुश्किल माने जाने वाले स्पांगुर गैप, स्पांगुर झील और इसके किनारे चीन द्वारा बनाई गई सड़क पर भी अपना कैंप स्थापिात कर लिया है। बताया जा रहा है कि चीन ने अब बातचीत की पेशकश की है।
पेंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे के पास स्थित ऊंचाई वाले स्थानों पर चीनी सेना ने कैमरा और निगरानी उपकरण लगाए हुए थे, लेकिन फिर भी भारत के शूरवीर जवानों ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों से पहले इलाके को अपने अधिकार में कर लिया।
सूत्रों ने बताया, चीनी सेना ने ऊंचाई पर भारतीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उन्नत कैमरे और निगरानी उपकरण तैनात किए, लेकिन इसके बावजूद भारतीय सेना वहां ऊंचाई वाले इलाके को अपने अधिकार में करने में कामयाब हुई। चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भी ऐसे उपकरण लगाए हैं, ताकि भारतीय गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और जब भी भारतीय सैनिक चीन द्वारा दावा किए गए क्षेत्रों में गश्त करें, तो वे प्रभावी रूप से प्रतिक्रिया देने में सक्षम हों।
सूत्रों ने बताया कि जब भारतीय सेना ने इन ऊंचाई वाले क्षेत्रों को अपने अधिकार में लिया, तो चीन ने धीरे से कैमरों और निगरानी उपकरणों को अपने क्षेत्रों से हटा लिया। चीन दावा करता रहा है कि ऊंचाई वाले क्षेत्र उसके हैं। साथ ही वह इस क्षेत्र में कब्जा जमाना चाहता है, ताकि उसे पेंगोंग झील के दक्षिणी किनारे और निकटवर्ती स्पंगुर गैप तक बढ़त मिल जाए। इस इलाके में चीन ने अपने बख्तरबंद रेजिमेंट तैनात किए हुए हैं।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय पक्ष ने एक विशेष ऑपरेशन यूनिट और सिख लाइट इन्फैंट्री सैनिकों सहित अपने अन्य सैनिकों द्वारा चीन की कार्रवाई के खिलाफ उसे कड़ा जवाब देने के लिए अच्छी तैयारी की हुई है।
वहीं दूसरी तरफ एनएसए अजित डोभाल ने शीर्ष अधिकारियों के साथ भारत-चीन सीमा पर स्थिति की समीक्षा की। रक्षा मंत्री द्वारा मंगलवार को एक और उच्च स्तरीय बैठक बुलाने की संभावना है। यह जानकारी सूत्रों द्वारा दी गई है।
सीमाओं का नहीं हुआ है सीमांकन, इसलिए हमेशा रहेंगी समस्याएं- चीनी विदेश मंत्री
वहीं चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि भारत-चीन सीमा का अभी सीमांकन किया जाना बाकी है और इसलिए वहां पर हमेशा समस्याएं बनी रहेंगी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को मतभेदों को संघर्ष में तब्दील होने से रोकने के लिए उनके नेतृत्व के बीच बनी सहमति को लागू करना चाहिए।
भारत एवं जापान से चीन के संबंधों से जुड़े एक सवाल पर मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की उकसावे की नवीनतम कार्रवाई का सीधा उल्लेख नहीं किया। उनकी यह टिप्पणी भारतीय सेना के इस बयान के घंटों बाद आया जिसमें कहा गया कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में उकसावे की कार्रवाई करते हुए पेंगोंग झील के दक्षिण में एकतरफा तरीके से यथास्थिति बदलने की कोशिश की।
वांग ने कहा, चीन-भारत संबंध ने हाल में सभी पक्षों का ध्यान आकर्षित किया है। चीन और भारत की सीमा का अबतक सीमांकन नहीं हुआ है, इसलिए वहां पर इस तरह की समस्याएं हमेशा रहेंगी। हम भारत के साथ सभी मुद्दों को बातचीत से निपटाने को तैयार हैं।
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