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    जम्मू के बाद अब पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, यूपी व दिल्ली में भी रैलियां करेंगे जी-23 के कांग्रेसी नेता

    -कांग्रेस के बागी या कांग्रेस के पक्षधर, अभी जी-23 के नेताओं की मंशा नही साफ, जी-23 की रैलियों से बढ़ सकती हैं कांग्रेस की टेंशन

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- जम्मू में शांति सभा में भगवा साफा व कांग्रेस के कमजोर होने की बात से साफ हो गया कि जी-23 समूह कुछ नया करने वाला है। हालांकि नेताओं ने अभी यह स्पष्ट नही किया है कि वो अलग पार्टी बनायेंगे या फिर कांग्रेस में रहकर उसकी मजबूती के लिए काम करेंगे। लेकिन इतना साफ हो गया है कि अब जी-23 के नेता शांत नही बैंठेंगे। जम्मू में शांति सभा के दौरान जो भी ऐलान व संबोधन हुए उनसे कई चर्चाऐं चल निकली है। फिर भी जी-23 के नेताओं का ऐलान है कि जम्मू के बाद अब पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, यूपी व दिल्ली में भी सभाऐं होंगीं। जिसका मतलब साफ है कि जी-23 के नेता अब रैलियों के जरीये हवा का रूख भांपना चाह रहे हैं। हालांकि अभी तक नेताओं ने कांग्रेस को मजबूत करने की ही बात कही है।
    कांग्रेस के बागी नेताओं के समूह जी-23 की हाल ही में जम्मू में मीटिंग हुई थी। इस रैली के दौरान गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल जैसे दिग्गज कांग्रेसी नेता भगवा साफे में दिखे थे। इसके जरिए उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की थी कि वे हिंदू विरोधी नहीं है। एक तरफ भगवा साफा और दूसरी तरफ रैली में कांग्रेस के कमजोर होने की बात कहकर इन नेताओं ने 135 साल पुरानी पार्टी में एक नया धड़ा बनने की बात साफ कर दी। हालांकि कांग्रेस की चिंताएं खत्म नहीं हुई है। कांग्रेस का यह जी-23 गुट अभी कुछ और रैलियां कर सकता है। ये रैलियां जम्मू-कश्मीर से बाहर दूसरे राज्यों में हो सकती हैं। हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली से लेकर यूपी तक में ये रैलियां हो सकती हैं। यदि ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर यह कांग्रेस के लिए चिंता वाली बात होगी।
    कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस तरह की मीटिंग अब हिमाचल प्रदेश में हो सकती है। इस राज्य से ही श्ळ23श् के दिग्गज नेता आनंद शर्मा आते हैं। कभी गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे आनंद शर्मा के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में ये रैलियां हो सकती हैं। आनंद शर्मा के करीबी सूत्रों का कहना है कि एक दौर में भले ही वह कांग्रेस फैमिली के करीबी नेताओं में से एक थे, लेकिन बीते कुछ वक्त में दूरी बढ़ी है। राज्यसभा में उनकी जगह पर मल्लिकार्जुन खड़गे को लीडर बनाया गया है और वह सदन में उपनेता के तौर पर काम संभाल रहे हैं। ऐसे में उन्हें मल्लिकार्जुन खड़गे को रिपोर्ट करना पड़ रहा है। दरअसल मल्लिकार्जुन खड़के राहुल गांधी के करीबी हैं और पार्टी के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि आनंद शर्मा उनके मुकाबले सोनिया के ज्यादा करीब हैं।
    सोनिया और राहुल गांधी के करीबियों के बीच का यह टकराव ही श्ळ 23श् के तौर पर सामने आया है। हिमाचल प्रदेश के बाद हरियाणा, पंजाब, यूपी और दिल्ली में भी इस तरह की मीटिंग्स हो सकती है। हालांकि यह सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा। कांग्रेस के ये नेता जून में पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए भी अपना कैंडिडेट खड़ा करने पर विचार कर रहे हैं। यदि राहुल गांधी अध्यक्ष के तौर पर चुनाव में उतरते हैं तो उनकी जीत तय ही है, लेकिन श्ळ23श् की ओर से उनके खिलाफ कैंडिडेट खड़ा कर पाना चिंता का सबब जरूर हो सकता है।
    कांग्रेस के ये नेता लगातार पार्टी के कमजोर होने पर सवाल उठा रहे हैं। हाल ही में जम्मू में शांति सभा के नाम से आयोजित कार्यक्रम में आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल ने कहा था कि कमजोर कांग्रेस आज की सच्चाई है। कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद समेत 23 दिग्गज नेताओं ने बीते साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर नियमित अध्यक्ष की मांग की थी। हालांकि उनके इस लेटर को लेकर विवाद छिड़ गया था और कई नेताओं ने उन्हें पार्टी के मंच पर ही सवाल उठाने की नसीहत दी थी।

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