नई दिल्ली/उमा सक्सेना/- फैशन के मायने हर दौर के साथ बदलते रहे हैं। यह केवल वस्त्रों के पहनने की कला भर नहीं, बल्कि समाज की सोच, संस्कृति और जीवनशैली का आईना है। फ़ैशन में आने वाले बदलाव यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि समाज समय के साथ किस दिशा में अग्रसर हो रहा है। व्यक्ति की पहचान उसके पहनावे में झलकती है—और यही वजह है कि फ़ैशन का अर्थ आज सिर्फ कपड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि व्यवहार, शैली, सौंदर्यबोध और जीवन-संकल्प तक विस्तृत हो चुका है।
फैशन उद्योग बना वैश्विक शक्ति केंद्र
आज फैशन केवल एक कला नहीं रहा, बल्कि दुनिया की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ बन चुका है। अंतरराष्ट्रीय और भारतीय ब्रांड नई डिज़ाइनों और उन्नत बिजनेस मॉडलों के साथ उपभोक्ताओं तक पहुँच रहे हैं। पहले जहां यह सवाल होता था कि क्या पहनना चाहिए, वहीं अब फैशन का दायरा मौलिकता, आराम, अवसर और व्यक्तित्व तक फैल चुका है। स्थानीय फैशन ट्रेंड्स में भी बड़ा परिवर्तन देखा जा रहा है—पारंपरिक भारतीय स्टाइल को आधुनिकता के साथ नया रूप दिया जा रहा है।
कम्फर्ट और सस्टेनेबिलिटी: नई फैशन सोच की दो धुरी
डिज़ाइनर वियर के मामले में अब ‘लुक’ से ज़्यादा ‘आराम’ पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे कपड़ों और फैब्रिक का चुनाव किया जाता है जो सुंदर होने के साथ सुविधाजनक भी हों। कम्फर्ट और सस्टेनेबिलिटी को साथ लेकर चलने वाली यह नई सोच उपभोक्ताओं को व्यवहारिक और पर्यावरण-हितैषी विकल्प प्रदान कर रही है।
इंडो-वेस्टर्न का बढ़ता प्रभाव
मिलेनियल्स और युवा पीढ़ी के बीच इंडो-वेस्टर्न फैशन की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। कुर्ती में स्लिट्स, पॉकेट्स, नए कट्स, टू-पीस और थ्री-पीस सेट्स—ये सब आज के मार्केट में अपनी खास जगह बना चुके हैं। अवसर आधारित श्रेणियां जैसे—डेली वियर, ऑफिस वियर, पार्टी वियर और किटी वियर का फैशन अब स्पष्ट रूप से परिभाषित हो चुका है।
हाइब्रिड फैशन: पश्चिमी और भारतीय शैलियों का अनूठा मेल
आज वेस्टर्न और भारतीय पहनावे के बीच की सीमाएं लगभग मिट चुकी हैं। यह हाइब्रिड फैशन आज के युवा का पसंदीदा विकल्प बना हुआ है।
जींस-कुर्ती, साड़ी-स्नीकर, लहंगा-क्रॉप टॉप—इन ट्रेंड्स ने आधुनिकता और परंपरा के बीच की दूरी को कम कर दिया है। यह नया मिश्रण खूबसूरती, आराम और व्यवहारिकता का संतुलित रूप है।
डिज़ाइन और रंगों में लगातार नए प्रयोग
फैशन मार्केट में आज कपड़े केवल पहनने की वस्तु नहीं बल्कि व्यक्तित्व को परिभाषित करने का माध्यम बन चुके हैं। हल्के और पेस्टल रंगों की मांग सबसे ज्यादा है। पिंक, ऑलिव, रस्ट, ब्लॉसम, व्हाइट—ये रंग आजकल के ट्रेंड चार्ट पर हावी हैं।
महिलाओं की ड्रेसिंग में सिंपल स्टाइल की जगह स्टेटमेंट स्टाइल ने ली है। ब्लाउज डिज़ाइन में किए जा रहे प्रयोग साड़ी को आधुनिक आयाम दे रहे हैं—कभी-कभी यह पहचानना भी मुश्किल हो जाता है कि वो ब्लाउज है या स्टाइलिश टॉप।
खादी और प्राकृतिक फैब्रिक की वापसी
वस्त्र चयन में अब फैब्रिक की संवेदनशीलता पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है। कॉटन, लिनन, खादी, चंदेरी जैसे प्राकृतिक फैब्रिक—गर्मी और नमी वाले मौसम में शरीर के अनुकूल होने के कारण फिर लोकप्रिय हो रहे हैं।
ये फैब्रिक्स परंपरा के प्रतीक होने के साथ फैशन और सेहत का संतुलन भी बनाए रखते हैं।
सतत परिवर्तन और व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति
अंत में यही कहा जा सकता है कि फैशन कभी स्थिर नहीं रहता। यह निरंतर बदलता रहता है और बदलाव के साथ समाज की मानसिकता व जीवनशैली को भी नए आयाम देता है। आज का फैशन सिर्फ सौंदर्य या स्टाइल का नाम नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, व्यक्तित्व, सुविधा और सामाजिक चेतना की खुली अभिव्यक्ति बन चुका है।


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