
गांव गुभाना। ग्राम गुभाना स्थित लोकहित पुस्तकालय में महान क्रांतिकारी नाना साहेब की जयंती पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर समिति सदस्यों और ग्रामीणों ने नाना साहेब के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
समिति अध्यक्ष नरेश कौशिक ने नाना साहेब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जन्म 19 मई 1824 को बिठूर में हुआ था। उनका असली नाम ढो़धूपंत था। उनके पिता का नाम नारायण भट्ट और माता का नाम गंगाबाई था। नाना साहेब के सबसे करीबी मित्र तात्या टोपे थे।
उन्होंने आगे बताया कि नाना साहेब 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख शिल्पकार थे और उन्होंने कानपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध नेतृत्व किया था। वे एक महान पेशवा और साहसी शासक थे जिन्होंने शिवाजी महाराज के शासनकाल के बाद प्रभावशाली कार्य किए। उन्होंने गाँवों को शहरों का रूप देने, मंदिरों की स्थापना, और जनकल्याण से जुड़े कई अविश्वसनीय कार्य किए।
नरेश कौशिक ने उपस्थित जनों से आह्वान किया कि हमें नाना साहेब के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए राष्ट्र और समाजहित में कार्य करना चाहिए।
इस अवसर पर सूबेदार मेजर सुरेश कुमार, जय भगवान प्रधान, पहलवान रामकुमार, सुदेश कौशिक, सतबीर, मोंटी, देवेंद्र, एवं अन्य ग्रामीणों ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके बलिदान को नमन किया।
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