नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- पोषण पखवाड़ा, जो हर साल एक व्यापक जन-जागरूकता अभियान के रूप में मनाया जाता है। इस साल 8 अप्रैल से 22 अप्रैल तक पोषण पखवाड़े का 7वां संस्करण मनाया जा रहा है। जिसे देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र उजवा ने भी 8 अपै्रल से पोषण पखवाड़े के 7वें संस्करण की शुरूआत की है। इस अभियान के तहत कृषि विज्ञान केंद्र की टीम गांवों में जाकर महिलाओं को पोषणता पर पूरी जानकारी दे रही है। जिसका मुख्य उद्देश्य है मातृ और शिशु पोषण, डिजिटल पहुंच के ज़रिए लाभार्थियों को इस अभियान से जोड़ना और बचपन के मोटापे जैसी नई चुनौतियों से निपटना है।
भारत जैसे विशाल देश में, जहां विज्ञान और तकनीक में निरंतर प्रगति हो रही है, वहीं कुपोषण अब भी एक गंभीर और जटिल सामाजिक संकट बना हुआ है। यही वजह है कि सरकार ने वर्ष 2018 में ‘पोषण अभियान’ की शुरुआत की थी, ताकि महिलाओं, बच्चों और पूरे परिवार को उचित पोषण सुनिश्चित किया जा सके, इस मिशन की एक महत्वपूर्ण पहल है। इस वर्ष का फोकस केवल जागरूकता तक सीमित नहीं है, बल्कि समुदायों की भागीदारी और परिणाम आधारित उपायों पर आधारित है। सभी गतिविधियां संयोजन विभागों के समन्वय से आयोजित की जाएंगी।

इस सन्दर्भ में कृषि विज्ञानं केंद्र उजवा दिल्ली द्वारा नज़फगढ़ ब्लॉक के विभिन्न गावों में अप्रैल माह के दौरान राष्ट्रिय पोषण पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इस
उपलक्ष्य पर केंद्र के अध्यक्ष डॉ डी के राणा ने बताया कि कृषि विज्ञानं केंद्र, महिला एवं बाल विकास विभाग, दिल्ली सरकार के सहयोग से महिलाओं एवं बच्चों के खाद्य सुरक्षा के लिए आंगनवाड़ी केन्द्र पर पोषण वाटिका को बढ़ावा देने, आहार विविधता को बढ़ावा देना, बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन के लिए स्थानीय और सस्ती सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शन, मोटे अनाज/श्री अन्न आधारित
खाद्य पदार्थों से बने पारंपरिक भोजन को बढ़ावा देना, कम लागत वाली पौष्टिक रेसिपी प्रतियोगिता/प्रदर्शन इत्यादि कार्यशालाओं का आयोजन करेगा।
केंद्र की गृह विज्ञानं विशेषज्ञ डॉ रितु सिंह ने बताया कि परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस) 2019-21 के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिल्ली जिला में 70 प्रतिशत 6 माह से 5 वर्ष के बच्चे, व लगभग 56 प्रतिशत 15 से 49 वर्ष कि महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं प् आधे से ज़्यादा (43 फीसदी) महिलाएँ और 38 प्रतिशत पुरुष
ज़्यादा वज़न या मोटापे से ग्रस्त हैं। कुपोषण ख़ास तौर पर युवा आयु समूहों (ख़ास तौर पर 15-19 वर्ष की आयु), ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और अनुसूचित जाति के लोगों में आम है। इन सबसे निपटने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। इस वर्ष का पोषण पखवाड़ा सामग्री, सेवा वितरण, प्रचार-प्रसार और परिणामों को मजबूत करने में सहायक होगा तथा हम अपने उद्देश्य में सफल होंगे।


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